हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, राज्य के वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने दिल्ली चुनाव लड़ने के दौरान "गोली मारो" नारे लगाए। हालांकि, 27 जनवरी, 2020 को आयोजित एक रैली के वीडियो फुटेज से पता चलता है कि ठाकुर ने भीड़ के सामने ऐसे नारे लगाए थे।
ठाकुर, राष्ट्रीय राजधानी में मतदान से पहले द्वेष को उकसाने में उनकी भूमिका पर मीडिया द्वारा सवालों का जवाब दे रहे थे।
"आप झूठ बोल रहे हैं!"
ठाकुर 1 मार्च, 2020 को आयकर विभाग द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे, जो विभिन्न ट्रेडों और उद्योगों के कनिष्ठ केंद्रीय मंत्री और हितधारकों के बीच एक बैठक के बाद हुआ था। साक्षात्कार के दौरान, शहर में हुए दंगों से एक महीने पहले से भी कम समय में, ठाकुर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली द्वेषपूर्ण भाषण के बारे में कई पत्रकारों ने सवाल उठाए थे।
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रिपोरर्टरों ने रैलियों के दौरान ठाकुर द्वारा दिए गए भाषण का विशेष रुप से उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था, "देश के गद्दारों को गोली मारो।" इसके जवाब में ठाकुर ने कहा, "आप झूठ बोल रहे हैं। यही कारण है कि मैं कहता हूं, मीडिया को अपने ज्ञान में सुधार करना चाहिए।"
ठाकुर ने इस मुद्दे पर यह कहते हुए आगे टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि मामला विचाराधीन है।
फ़ैक्ट चेक
27 जनवरी से ठाकुर के भाषण के बाद, चुनाव आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस (शो कॉज़ नोटिस) जारी किया| जिसमें कहा गया था, "उपरोक्त कथन जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और सामाजिक और धार्मिक समुदायों के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं, आपने उपरोक्त उल्लिखित प्रावधानों और आचरण अधिनियम, 1951 के नियमों का उल्लंघन किया है।"
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ठाकुर ने जवाब दिया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि "गोली मारो सालों को", और उन्होंने केवल "देश के गद्दार को (देश के गद्दारों को)" के नारे का पहला भाग कहा था। इस बयान से, ठाकुर ने जोर देकर कहा कि यह भीड़ थी जिसने नारा उठाया था और इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था।
हालांकि, घटना के कई फुटेज एक अलग तस्वीर दिखाते हैं। इंडियन एक्सप्रेस ऑनलाइन द्वारा प्रकाशित एक वीडियो में, ठाकुर को भड़काऊ नारे लगाने में भीड़ का नेतृत्व करते हुए देखा जा सकता है। हालांकि वास्तव में उसके सामने की भीड़ है जो कहती है "गोलो मारो सालो को", लेकिन वह भीड़ को जोर से नारा लगाने के लिए प्रेरित करते हुए देखे जा सकते हैं।
नारा लगाने के दौरान एक बिंदु पर, ठाकुर को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "आवाज पीछे तक सुनाई देनी चाहिए। गिरिराजजी (केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह) के कानों तक यह आवाज़ जानी चाहिए।" यह कहने के बाद वह फिर से नारे लगाना शुरु कर देते हैं। यह सब करते हुए, ठाकुर को साफ़ तौर पर पता है कि भीड़ क्या नारे लगा रही है और वह उन्हें नारेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए दिखाई देते हैं।
आखिरकार, ईसीआई ने ठाकुर के भाषण को एमसीसी और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के उल्लंघन के रूप में पाया, और दिल्ली चुनावों से पहले भाजपा के लिए स्टार-प्रचारकों की सूची से हटाने का आदेश दिया। एक अधिसूचना में, ईसीआई ने पाया कि ठाकुर ने बीजेपी नेता परवेश वर्मा के साथ "अवांछनीय और आपत्तिजनक बयान दिया था, जिससे मौजूदा मतभेद या विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच आपसी द्वेष बढ़ सकता है और इससे आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन होता है। "
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नारा नया नहीं
यह नारा नया नहीं है। प्रासंगिक कीवर्ड के साथ खोज करने पर बूम ने पाया कि ऐसा नारा फ़रवरी 2016 में इस्तेमाल किया गया था जब एबीवीपी के सदस्यों ने दिल्ली में एक मार्च का नेतृत्व किया था। यह मार्च, उस महीने के शुरू में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के विरोध में किया गया था।
20 दिसंबर, 2019 को, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम समर्थन मार्च का नेतृत्व किया, जहां फिर से यही नारा लगाया गया था।
5 जनवरी, 2020 को यही नारे लगाए गए थे, जब जेएनयू में छात्रों पर नकाबपोश लोगों के एक समूह ने हमला किया था।
A #JNU teacher who was speaking to the media is heckled and interrupted by ABVP, BJP & RSS goons outside JNU main gate with "Desh ke gaddaro ko, goli maro salo ko" slogans.
— Sanjay Lakhwad (@SanjayUkroond) January 6, 2020
Sickening how teachers are openly being insulted.#JNUattack #ResignAmitShah#अखिल_भारतीय_गुंडा_परिषद pic.twitter.com/fbZXOzgX7u
अभी हाल में, कोलकाता में भाजपा समर्थकों द्वारा 1 मार्च, 2020 को अमित शाह की एक रैली के आगे नारेबाजी की गई थी, जिसकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तीखी आलोचना की थी।