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फ़ैक्ट चेक

क्या शाहीन बाग में सीएए के ख़िलाफ जशोदाबेन मोदी ने किया विरोध?

तस्वीर 2016 की है जब जशोदाबेन मोदी मुंबई में मलिन बस्तियों के ध्वस्तीकरण के ख़िलाफ एक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं।

By - Krutika Kale | 21 Jan 2020 10:39 AM GMT

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट फैलाया जा रहा है जिसमें जशोदाबेन मोदी की तस्वीर है| यह दावा किया जा रहा कि वह शाहीन बाग़ में महिलाओं के साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कर रही हैं। यह पोस्ट भ्रामक है। यह तस्वीर 2016 की है और वर्तमान विरोधों से संबंधित नहीं है।

तस्वीर में जशोदाबेन को महिलाओं के एक समूह के साथ बैठा हुआ दिखाया गया है जो एक विरोध की तरह दिख रहा है। यह तस्वीर एक प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए एक व्यंग्यात्मक कैप्शन के साथ फ़ेसबुक और ट्विटर पर वायरल हो रहा है।

हिंदी कैप्शन - "भक्तो तुम्हारी अम्मा यसोदा मैया भी #ShaheenBaghProtest पहुंच गई पैसे लेने ...🧐 लेकिन तुम्हारे पप्पा #मोदीजी_शाहीनबाग_कब_आओगे"

यह भी पढ़ें: जयपुर निष्काशन अभियान का वीडियो, एनआरसी के तहत कार्यवाही के तौर पर वायरल

ट्वीट के अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें।

Full View

फ़ेसबुक पोस्ट के अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें।

बूम को यह तस्वीर अपने हेल्पलाइन नंबर (7700906588) पर भी प्राप्त हुई है।


जशोदाबेन मोदी एक सेवानिवृत्त प्राथमिक स्कूल शिक्षक हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी हैं।

शाहीन बाग में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन 15 दिसंबर, 2019 से चल रहा है जहां ज्यादातर महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। यह आंदोलन नागरिकता कानून का विरोध कर रहे जामिया मिलिया छात्रों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद शुरू हुआ।

फ़ैक्ट चेक

बूम ने एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया और पाया कि यह तस्वीर बहुत पुरानी है। हमने 13 फरवरी, 2016 से डेक्कन क्रॉनिकल की एक रिपोर्ट में एक तस्वीर देखी, जिसके साथ दिए गए हेडलाइन का हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार था, ""अनाथों के लिए नरेंद्र मोदी की पत्नी ने किया उपवास।"


लेख में तस्वीर के साथ दिए गए टाइटल का हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार था, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन मोदी, आजाद मैदान में मलिन बस्तियों के खिलाफ भूख हड़ताल पर। (फोटो: डीसी)"

कार्यक्रम में, मीडिया द्वारा अनुरोध करने पर जशोदाबेन ने गुजराती में कहा, "मैं अनाथ बच्चों, निराश्रित और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए काम करना चाहती हूं। मलिन बस्तियों को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए। मैं उनके लिए उपवास पर हूं। मैं समाज के लिए काम करना चाहती हूं," जैसा कि डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट में कहा गया है।

हमें द हिंदू की एक रिपोर्ट भी मिली जिसमें इसी घटना की एक अलग कोण से ली गई एक दूसरी तस्वीर शामिल है।

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