पिछले हफ़्ते, महाराष्ट्र से ग़लती से हैंड सैनिटाइज़र (Hand Sanitizer) निगलने की दो घटनाएं सामने आईं. पहली घटना में पोलियो ड्रॉप्स के बजाय स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा आकस्मिक रूप से सैनिटाइज़र की बूंदों का सेवन कराने के बाद बारह बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. जबकि, दूसरी घटना में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के एक अधिकारी ने निगम की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सैनिटाइज़र बोतल को बोतलबंद पानी समझ कर निगल लिया.
हालांकि, हैंड सैनिटाइज़र का सेवन करने वाले लोगों में से किसी को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्यायों का सामना नहीं करना पड़ा है, लेकिन सैनिटाइज़र को निगलने के प्रभावों (Effects of Ingesting Sanitizer) को समझना ज़रूरी है.
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सेवन के साइड इफ़ेक्ट्स
हैंड सैनिटाइज़र रासायनिक उत्पाद हैं, जो इथाइल या आइसोप्रोपिल अल्कोहल को सुगंधित ख़ुशबू के साथ मिला कर बनाए जाते हैं, जिसका सेवन करने पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं. कुछ मामलों में, यहां तक कि उत्पादों में भी मेथनॉल का उपयोग किया जाता है. महाराष्ट्र में पोलियो ड्रॉप्स की जगह सैनिटाइज़र ड्रॉप्स पी जाने पर बच्चों को लगातार उल्टी होनी शुरू हो गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. फ़िलहाल उनमें से सभी की हालत अब स्थिर है.
पीने वाला अल्कोहल अलग होता है
आमतौर पर हम जो अल्कोहल पीते हैं, वह इथेनॉल है. इसमें 100% इथेनॉल नहीं होता है. ज़्यादातर अल्कोहलिक पेय पदार्थों में अल्कोहल की मात्रा 4% से 60% के बीच होती है, जो कई स्वादों के साथ मिश्रित होती है, ख़मीर और स्टार्च से किन्वित (Fermented) होती है. अनासुत पेय पदार्थ जिसे अंग्रेज़ी में अनडिस्टिल्ड कहा जाता है, जैसे बीयर और वाइन. इनको फलों के रस या अनाज के किण्वन (Ferment) में स्वाद और इत्र मिलाकर तैयार किया जाता है. जिसमें अल्कोहल की मात्रा 3 से 15 प्रतिशत के बीच होती है. जबकि, लिकर और स्पिरिट्स आसुत पेय (Distilled) के आसवन द्वारा तैयार किया जाता है. इसमें अल्कोहल की मात्रा 40 से 55 प्रतिशत के बीच होती है.
लीवर के लिए घातक
मिथाइल अल्कोहल के साथ-साथ आइसोप्रोपिल अल्कोहल का उपयोग साफ़-सफ़ाई और कीटाणुनाशकों के रूप में किया जाता है, जिसे पी जाने पर लीवर फ़ेल जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
अमेरिका में 4 लोगों की मौत
दुनियाभर में कोरोना महामारी के दौरान हैंड सैनिटाइज़र लोगों की जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. क्योंकि यह कोरोना के प्रसार को कम करने के लिए स्वच्छता प्रोटोकॉल का हिस्सा है. ऐसी कई रिपोर्टें सामने आई हैं, जहां लोगों ने इन अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र को आकस्मिक या जानबूझकर निगल लिया है. यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अगस्त 2020 में एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें लोगों को सैनिटाइज़र को निगलने से मना किया गया था. यह एडवाइजरी तब जारी की गई थी जब सैनिटाइज़र निगलने के कारण 4 लोगों की मौत हो गई और 3 लोगों की आंखों में रोशनी संबंधी समस्या आई. एरिज़ोना और न्यू मैक्सिको में मेथनॉल विषाक्तता के 15 अन्य मामले सामने आए.
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सैनिटाइज़र निगलने पर स्वास्थ्य पर असर
बूम ने सैनिटाइज़र निगलने पर स्वास्थ्य पर असर और तत्काल उपचार को समझने के लिए डॉ. तुषार राणे, आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ, अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल मुंबई से संपर्क किया.
"जैसा कि सैनिटाइज़र में अल्कोहल होता है जो अधिक एसिडिक होता है और लोगों द्वारा आम तौर पर पी जाने वाली शराब की तुलना में अधिक अल्कोहल की मात्रा के साथ होता है, इसका सीधा असर यह होता है कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में जलन हो सकती है. पेट में अधिक मात्रा में एसिड होने से एसिड रिफ्लेक्स भी हो सकता है. हालांकि, पूरे प्रभाव के नुकसान की जांच के लिए ब्रोन्कोस्कोप या लेरिंस्कोस्कोप का उपयोग करने के बाद ही मूल्यांकन किया जा सकता है, "डॉ. राणा ने बताया.
'सैनिटाइज़र निगलने पर घरेलु उपचार से बचें'
डॉ. राणे ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हैंड सैनिटाइज़र को आकस्मिक निगलने की स्थिति में किसी घरेलू उपचार का पालन नहीं किया जाना चाहिए. "प्रभाव को कम करने के लिए किसी व्यक्ति को उल्टी करने या पानी या कोई फलों का रस पीने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए, क्योंकि जूस और पानी शरीर पर प्रभाव कम करने के बजाय और ज़्यादा बढ़ा सकते हैं."
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