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'I Love Mohammad': कानपुर FIR से बढ़ा विवाद, बरेली से गांधीनगर तक हंगामा

बारावफात के मौके पर 'आई लव मोहम्मद' के बैनर को लेकर विवाद के पीछे की मुख्य वजह कानपुर पुलिस की एक एफआईआर है. जानिए इसमें क्या कहा गया है-

By -  Shefali Srivastava |

25 Sept 2025 2:04 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर में ईद-ए- मिलाद उन नबी (बारावफात) के मौके पर 'I Love Mohammad' के बैनर पर विवाद के बाद यह मामला देश के दूसरे हिस्सों तक पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश के बरेली में 26 सितंबर 2025 को जुमे की नमाज के बाद स्लोगन के समर्थन में हुए बवाल में 8 की गिरफ्तारी और 39 हिरासत में लिए गए हैं. इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में पिछले हफ्ते गरबा मैदान में दो गुटों के बीच झड़प हो गई. आगजनी और पथराव के चलते यहां पुलिस ने 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

इस पूरे विवाद की शुरुआत कानपुर से हुई जहां बैनर को लेकर विवाद के बाद FIR के चलते इसके विरोध में जगह-जगह जुलूस निकाले गए. यहां बारावफात के मौके पर एक बैनर को लेकर दूसरे पक्ष ने विरोध जताया. इसके बाद पुलिस ने बैनर का स्थान बदलकर मामला शांत कराया. हालांकि इस मामले में 10 सितंबर को 26 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई और सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगा कि आई लव मोहम्मद के बैनर को लेकर यह केस दर्ज किया गया.

यहीं से यह विवाद कानपुर से सटे उन्नाव, राजधानी लखनऊ से होते हुए बरेली, बहराइच, वाराणसी और यूपी के अन्य जिलों तक पहुंच गया है. वहीं उत्तराखंड के काशीपुर और महाराष्ट्र के नागपुर में भी जुलूस निकालने की घटनाएं सामने आईं.

हालांकि विवाद के जोर पकड़ने के बाद कानपुर पुलिस बैकफुट पर है. पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि FIR बैनर को लेकर नहीं बल्कि उसकी लोकेशन को लेकर दर्ज हुई थी. वहीं 23 सितंबर 2025 को कानपुर पुलिस कमिश्नर ने इस मसले पर धर्मगुरुओं से मुलाकात कर उन्हें एफआईआर पढ़वाई और बताया कि जो विरोध हो रहा है वह गलत तथ्यों पर हो रहा है. 

बूम को इस मामले की एफआईआर कॉपी प्राप्त हुई जो 10 सितंबर 2025 को दर्ज हुई थी. इसमें रावतपुर थाने के दारोगा पंकज शर्मा की तहरीर पर 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है जिनमें 9 नामजद शामिल हैं.

FIR में क्या लिखा है

बूम को मिली इस FIR के अनुसार, इस मामले की तहरीर थाना रावतपुर के सब इंस्पेक्टर पंकज शर्मा ने दी थी जिन्होंने बताया कि उन्हें 4 सितंबर 2025 को सूचना मिली कि  सैयद नगर मोहल्ले में जफर वाली गली के सामने बारावफात की रोशनी के कार्यक्रम में I LOVE MOHAMMAD का लाइट बोर्ड, सजाए गए गेट के सामने रास्ते पर लगाया गया है जो पिछले कुछ वर्षों में कभी नहीं लगा है. इसका स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि यह एक नई परंपरा की शुरुआत है जो सैयद नगर रावतपुर में पहले कभी नहीं हुई. दोनों पक्षों के बीच सांप्रदायिक तनाव की स्थिति देखते हुए पुलिस बल और उच्च अधिकारियों की मदद से मामले को शांत कराया गया और बैनर को वहां से हटवाकर दूसरी जगह लगवा दिया गया.

एफआईआर में आगे कहा गया कि अगले दिन 5 सितंबर 2025 को बारावफात के जुलूस निकाले जाने पर रावतपुर गांव में एक बस्ती में लगे कुछ धार्मिक पोस्टर फाड़े गए, हालांकि पुलिस ने स्थिति को सामान्य कराकर जुलूस आगे बढ़वा दिया. पुलिस का कहना है कि 10 सितंबर 2025 को घटना की सीसीटीवी फुटेज से यह पता चला कि जानबूझकर सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की गई थी. 

इस मामले में पुलिस ने 9 नामजद- शराफत हुसैन, शबनूर आलम, बाबू अली, मोहम्मद सिराज, फजलू रहमान, इकराम अहमद, इकबाल, बंटी और कुन्नू कबाड़ी और 17 अज्ञात के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 और 299 के तहत केस दर्ज किया. हालांकि इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई है.  

विवाद बढ़ने पर पुलिस ने दिया स्पष्टिकरण

एफआईआर को लेकर कानपुर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया गया और एफआईआर वापस लेने की मांग की गई. इस मामले में कानपुर के शहर काजी मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही ने पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि 'आई लव मोहम्मद' लिखना किसी तरह का अपराध या नई परंपरा नहीं है. यह इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म दिवस पर मनाए जाने वाली खुशी का एक हिस्सा है. इसी के साथ उन्होंने एफआईआर को असंवैधानिक कार्रवाई बताकर इसे हटाने की मांग की थी.

विवाद बढ़ने पर कानपुर के डेप्युटी पुलिस कमिश्नर पश्चिम दिनेश त्रिपाठी ने बयान जारी कर कहा कि सैयद नगर मोहल्ले से बारावफात के जुलूस से पहले कुछ लोगों द्वारा परंपरागत स्थान से अलग स्थान पर हटकर के एक टेंट लगा दिया और उस पर आई लव मोहम्मद का एक बैनर लगा दिया गया जिसका एक पक्ष के द्वारा विरोध किया गया. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने वहां पहुंचकर दोनों पक्षों की सहमति से टेंट और 'आई लव मोहम्मद' का बैनर परंपरागत स्थान पर लगवा दिया गया था. उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि 'आई लव मोहम्मद' के लिखने या बैनर लगाने पर कोई FIR नहीं की गई बल्कि नए स्थान पर बैनर लगाने और जुलूस निकालने के दौरान दूसरे पक्ष का बैनर फाड़ने पर हुई है. 

हालांकि एफआईआर के बाद इस मामले में अब तक पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

बूम से बातचीत में डीसीपी ने कहा, "एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं उसे लेकर जांच की जा रही है." 


वहीं लोगों में एफआईआर को लेकर गलतफहमी फैलने के पीछे डीसीपी पश्चिम दिनेश त्रिपाठी ने सोशल मीडिया को कारण बताया है.

इसी भ्रम को दूर करने के लिए 23 सितंबर को कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी और उन्हें एफआईआर की कॉपी पढ़ाई थी. बूम से बातचीत में शहर काजी मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही ने बताया कि पुलिस के साथ उनकी जो मीटिंग हुई उससे वह संतुष्ट हैं. वहीं प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए शहर काजी ने कहा कि जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं वह शांतिपूर्ण तरीके से करें और संविधान के दायरे में रहकर करें. 

एफआईआर को लेकर हुए भ्रम पर शहर काजी ने कहा, "रिपोर्ट में तीन चार जगह आई लव मोहम्मद का जिक्र था, इसे लेकर कंफ्यूजन हुआ."

 धर्मगुरुओं ने पुलिस से एफआईआर खारिज करने की भी मांग की थी जिस पर पुलिस कमिश्नर ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा है कि कोई भी बेकसूर गिरफ्तार नहीं होगा, मामले की जांच चल रही है.

FIR को लेकर उठ रहे सवाल पर क्या बोली पुलिस

इस पूरे विवाद में FIR की लेखनी और बार-बार स्लोगन का जिक्र होने पर दारोगा पंकज शर्मा पर भी सवाल उठ रहे हैं जिन्होंने तहरीर देकर केस दर्ज कराया. हालांकि एसीपी कल्याणपुर रंजीत कुमार ने इसे खारिज करते हैं.

बूम से बातचीत में उन्होंने बताया, "एफआईआर लिखने में कोई चूक नहीं हुई है. विवाद उस जगह को लेकर था जहां पहले कभी पंडाल नहीं लगता था. वहां इस बार मेज और पंडाल लगाकर बैनर लगाया गया."

एसीपी ने आगे कहा, "इसे प्रशासन से बचने या दूसरे पक्ष को चिढ़ाने की कोशिश माना गया. इस पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई. पुलिस ने मौके पर समझा-बुझाकर मामला शांत कराया, बाद में रोड के इस पार जहां पर उनका गेट था वहां बैनर लगा दिया गया. अगली सुबह भंडारे के पोस्टर फाड़ दिए गए. दारोगा ने पूरे संदर्भ के साथ मुकदमा दर्ज किया. असल विवाद बैनर पर नहीं बल्कि जगह पर कब्जे की नीयत को लेकर था."

एसीपी ने आगे बताया कि दरअसल जिस जगह को लेकर विवाद हुआ वहां दूसरा पक्ष रामनवमी के मौके पर पंडाल लगाता है. वह कहते हैं, "अगर किसी को भी आई लव मोहम्मद के बैनर से दिक्कत होती तो ऐसा कैसे था कि रोड के इस पार बैनर लगाने से समस्या है और उस पार नहीं है."

सोशल मीडिया पर बना ट्रेंड

कानपुर पुलिस के स्पष्टिकरण के बावजूद इस पर विवाद जारी है. सोशल मीडिया पर हैशटैग #Ilovemuhammad ट्रेंड में बना हुआ है. इंस्टाग्राम पर इस हैशटैग के तहत एक लाख से अधिक पोस्ट नजर आते हैं. इनमें देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग स्लोगन के बैनर के साथ जुलूस निकालते हुए दिख रहे हैं. वहीं वॉट्सऐप पर भी कुछ लोगों ने डिस्प्ले इमेज लगाकर समर्थन जाहिर किया है.

इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को एक एक्स पोस्ट को कोट करते हुए पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने कानपुर पुलिस को टैग करते हुए लिखा कि 'I LOVE MOHAMMAD ये जुर्म नहीं है, अगर है तो इसकी हर सजा मंजूर है.' ओवैसी ने जिस पोस्ट को कोट किया, उसमें दावा किया गया था कि मुस्लिम पक्ष की ओर से कथित तौर पर नई परंपरा शुरू करने को लेकर कानपुर पुलिस ने केस किया है.

बिहार में सीमांचल न्याय यात्रा निकालते हुए 24 सितंबर ओवैसी ने मीडिया से बातचीत में इस मुद्दे पर कहा कि यह मामला कानपुर से शुरू हुआ है, वहां शायद एडिशनल डीजीपी ने कहा कि कोई नया पोस्टर नहीं लगा सकते. इसके बाद हमने सोशल मीडिया से कहा कि हम पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत करते हैं. ये हमारे ईमान का हिस्सा है उन्होंने आगे कहा कि आर्टिकल 25 के तहत संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है. 


यूपी के दूसरे शहरों में पहुंचा प्रदर्शन

कानपुर पुलिस की एफआईआर के विरोध में यूपी के तमाम जिलों और देश के अलग-अलग हिस्सों में जुलूस निकाले जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के उन्नाव के शुक्लागंज में 21 सितंबर को रैली निकाले जाने के बाद पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया और 30 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. उन्नाव के स्थानीय पत्रकार ने बताया कि इलाके में त्योहारों के चलते बीएनएस 163 लागू की गई है. इसी के चलते पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई थी.

इसी तरह बागपत में बिना प्रशासनिक अनुमति के आइ लव मोहम्मद का जुलूस निकालने पर पुलिस ने दो नामजद और 150 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया. इसी तरह के मामले वाराणसी, बरेली, लखनऊ और भदोही में भी सामने आए.  

बरेली में पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प, 39 हिरासत में

बरेली में बीते शुक्रवार 26 सितंबर 2025 को जुमे की नमाज के बाद आई लव मोहम्मद के समर्थन में जुलूस निकालने पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. शुक्रवार को दोपहर 2 बजे आला हजरत मस्जिद और नौमहला मस्जिद में नमाज के बाद कुछ लोग आई लव मोहम्मद के पोस्टर लेकर बाहर निकले और नारेबाजी करते हुए इस्लामिया ग्राउंड की ओर जाने की कोशिश की. पुलिस के रोकने पर पथराव किया गया जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज  किया. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के लिए इजाजत नहीं दी गई थी. 

इस मामले में बरेली पुलिस ने 10 केस दर्ज कर 8 लोगों को अरेस्ट कर जेल भेजा है जबकि 39 को हिरासत में लिया गया है . पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए अधिकतर आरोपी जिले के बाहर से हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.


वहीं इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल (IMC)  के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने एक वीडियो जारी धरना प्रदर्शन की बात कही थी. पुलिस ने मौलाना को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

गुजरात के गांधीनगर में दो पक्षों में हिंसक झड़प

इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में देहगाम तालुका के बहियाल गांव में गरबा के दौरान दो गुटों के बीच विवाद हो गया. पुलिस अधीक्षक रवि तेजा ने मीडिया को बताया कि बहियाल गांव में हिंदू युवक ने इंटरनेट मीडिया पर आई लव मोहम्मद के प्रतिक्रिया स्वरूप एक पोस्ट कर दिया था, इसके बाद 24 सितंबर की रात दूसरे पक्ष ने इसका विरोध करते हुए चार दुकानों समेत छह वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बल प्रयोग किया और भीड़ को तितर-बितर कर दिया. इस मामले में 60 को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया है.

उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में 'आई लव मोहम्मद' जुलूस निकालने के बाद वहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. इसमें कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए और 7 लोगों को अरेस्ट किया गया.

महाराष्ट्र के नागपुर में शहर कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष वसीम खान के नेतृत्व में आंदोलन किया गया और आई लव मोहम्मद के पोस्टर के साथ नारे लगाए गए.

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