भारत में कोरोना महामारी का ख़तरा अभी टला नहीं है कि एक और संकट ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। केरल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित मध्य प्रदेश में बर्ड फ़्लू (Bird Flu) वायरल ने दस्तक दे दी है। हाल के दिनों में इन राज्यों में बड़ी संख्या में पक्षियों के मरने की ख़बरों के बीच अलर्ट जारी कर दिया गया है। केरल (Kerala) ने बर्ड फ़्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे 'स्टेट स्पेसिफ़िक डिज़ास्टर' करार दिया है। झारखण्ड, बिहार और कर्नाटक की राज्य सरकारों ने भी एहतियातन एडवाइज़री जारी कर दी है।
इन्फ्लूएंजा वायरस यानी H5N1 क्या है?
बर्ड फ़्लू, जिसे इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza Virus) या एवियन इन्फ्लुएंजा 'ए' (Avian Influenza A) भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है। हिमाचल प्रदेश, केरल सहित एमपी और राजस्थान में मरे पक्षियों में H5N8 और H5N1 वायरस मिले हैं। आमतौर पर यह वायरस पक्षियों में ही पाया जाता है। परन्तु जानकारों की माने तो बर्ड फ़्लू इंसानों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता है। इसे ज़ूनोटिक वायरस (Zoonotic Virus) की श्रेणी में रखा जाता है |
H5N1 के ख़तरे
H5N1 को बर्ड फ़्लू का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। यह वायरस पक्षियों के अलावा इंसानों के लिए भी ख़तरनाक होता है। यदि पहले से किसी बीमार व्यक्ति में H5N1 वायरस फ़ैल जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। अगर वायरस म्यूटेट यानी अपना रूप बदल ले तो यह इंसानों में भी एक से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है। इस वायरस का पहला मामला 1996 में चीन में पाया गया था | इससे एक हंस संक्रमित था | यही वायरस इंसानों में 1997 में हॉन्गकॉन्ग में पाया गया था | हालांकि मानव से मानव संक्रमण बेहद दुर्लभ हैं परन्तु एशियन HPAI H5N1 को बांग्लादेश, चीन, इजिप्ट, भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम का स्थानिक (endemic) माना जाता है |
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क्या हैं लक्षण?
इन्सानों में सर्दी, ज़ुखाम, सांस में तकलीफ़ और बार-बार उल्टी आना जैसे बेहद सामान्य लक्षण होते हैं। यही वजह है कि इस वायरस का शिकार होने के बावजूद हमें बीमारी का एहसास नहीं होता। इसके अलावा बदन में जकड़न और सीने में दर्द जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं। हालांकि यह ज़रूरी नहीं कि सारे लक्षण एक साथ ही दिखाई दें लेकिन इनमें से कुछ ज़रूर दिखाई दे सकते हैं।
कैसे पता लगायें?
सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक़, एवियन इन्फ्लुएंजा ए वायरस को मानव शरीर में केवल क्लीनिकल संकेतों या लक्षणों से नहीं पहचाना जा सकता है; टेस्ट ज़रूरी होता है | इसकी जांच के लिए गले या नाक से स्वाब लेकर प्रयोगशाला भेजते हैं | प्रयोगशाला में या तो वायरस की संख्या को बढ़ाया जाता है (PCR / RT-PCR) या मॉलिक्यूलर टेस्ट (molecular test) का इस्तेमाल किया जाता है | इससे ज्ञात होता है व्यक्ति संक्रमित है या नहीं |
बचाव क्या है?
आमतौर पर किसी भी तरह के वायरस से बचने का सबसे सरल और उपयुक्त तरीका यही है कि शरीर में इम्यूनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाई जाए। इसके अलावा पक्षियों और प्रभावित इलाकों से दूर रहें क्योंकि बर्ड फ़्लू का वायरस पक्षियों के थूक और मल में होता है। इसका वायरस इंसानी शरीर में आंखों, नाक या मुंह के जरिए जा सकता है। इससे बचने के लिए साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखें और यदि कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।
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क्या है इलाज?
अगर इंसान को बर्ड फ्लू हो जाता है तो उसके लिए इलाज के कई तरीके मौजूद है। इनमें सबसे सामान्य इलाज का तरीका है डॉक्टर की बताई गयी एंटीवायरल दवाएं। इन दवाओं के इस्तेमाल से वायरस को आसानी से ख़त्म किया जा सकता है।
कई राज्यों में बर्ड फ़्लू का प्रकोप
राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केरल में बर्ड फ़्लू का प्रकोप सबसे अधिक है। इन राज्यों में हजारों की तादाद में पक्षी मृत पाए गए हैं। सबसे ज़्यादा ख़तरा प्रवासी पक्षियों और कौवे में देखा गया है। केरल में एहतियातन प्रभावित इलाकों के एक किलोमीटर के दायरे में मुर्गियों, बत्तखों और अन्य पक्षियों को मारने के आदेश दे दिए गए हैं जबकि दूसरे राज्य भी इसे आमाल में लाने का प्लान कर रहे हैं।