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फैक्ट चेक

VVPAT पर्चियों के साथ छेड़छाड़ के झूठे दावे से वायरल वीडियो पुराना है

बूम ने पाया कि असल में यह वीडियो गुजरात के भावनगर का है. 2022 में भावनगर के तत्कालीन डीएम डीके पारेख ने ट्वीट कर धोखाधड़ी के दावे का खंडन किया था.

By - Jagriti Trisha | 22 April 2024 10:11 AM GMT

लोकसभा चुनाव के बीच सोशल मीडिया पर स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर का एक वीडियो वायरल है जिसमें दो लोग VVPAT मशीनों से वोटिंग पर्चियां निकालते दिख रहे हैं. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि बिना गिनती की गई पर्चियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.

बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. वीडियो हाल का नहीं बल्कि पुराना है. 2022 में भावनगर के तत्कालीन डीएम डीके पारेख ने ट्वीट कर धोखाधड़ी के वायरल दावे का खंडन किया था.

वीडियो में एक शख्स को एक सीलबंद बॉक्स खोलकर वीवीपैट मशीन से सभी पर्चियां निकालते देखा जा सकता है. वह उन पर्चियों को एक काले लिफाफे में रखता है. फिर लिफाफे को सील करने के लिए आगे बढ़ता है और बॉक्स के ऊपर कागज का एक नया रोल रखकर बॉक्स बंद कर देता है. इस वीडियो में अन्य लोग भी यही प्रक्रिया दोहराते देखे जा सकते हैं.

आपको बताते चलें कि यह वीडियो 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी ईवीएम में धोखाधड़ी के दावे वायरल था. उस समय यूजर्स वीडियो को भावनगर का बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साध रहे थे. बूम ने तब भी इसका फैक्ट चेक किया था. यह वीडियो अभी फिर से लोकसभा चुनावों के मद्देनजर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को घेर रहे हैं.

एक्स पर एक यूजर @kiran_patniak ने इसे शेयर करते हुए लिखा, 'VVPAT पर्चियां 'सुरक्षित' रखी जा रहीं, जिस तरह #SupremeCourtOfIndia ने अपना फैसला 'सुरक्षित' रखा हुआ?? ये कौन लोग हैं और बिना गिनती किए पर्चियों को इस तरह सील किए बिना खुले में कहां ले जा रहे? इसका जवाब @ECISVEEP यहां देगा या अदालत में? #VVPAT_Slips_Scam #EVM_मशीन_मुर्दाबाद.'


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

फेसबुक पर यह वीडियो लगभग इसी भ्रामक दावे से वायरल है. 


पोस्ट का आर्काइव लिंक.


फैक्ट चेक

जैसा कि हमने पहले भी बताया इस वीडियो का फैक्ट चेक बूम ने 2022 में भी किया था. उस दौरान बूम ने गुजरात चुनाव आयोग से संपर्क किया था. आयोग के अधिकारी ने यह स्पष्ट किया था कि वीडियो में दिख रही चीजें नियमित प्रक्रिया के अंतर्गत आती हैं.

बूम से बात करते हुए भावनगर के उप चुनाव अधिकारी एस कटारा ने बताया कि वीडियो में कुछ गलत नहीं हो रहा है. वह व्यक्ति सिर्फ प्रक्रिया का पालन कर रहा है. उन्होंने प्रक्रिया पर बोलते हुए कहा, 'गिनती समाप्त होने के बाद सभी पर्चियों को काले लिफाफे में ट्रांसफर कर दिया जाता है. बचे हुए रोल एक तरफ रख दिए जाते हैं. ईवीएम मशीनें अपने तरीके से जाती हैं, और इसी तरह वीवीपैट से पर्चियां निकाली जाती हैं. वीडियो में जारी प्रक्रिया का ठीक से पालन किया जा रहा है.'

वीडियो की लोकेशन के बारे में बोलते हुए उन्होंने बताया, 'मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता कि यह घटना भावनगर की है या नहीं, वीडियो में ऐसा कोई सुराग नहीं है.'

आगे हमने चुनाव आयोग के वीवीपैट पर्चियों के संदर्भ में दिए गए दिशा निर्देशों की तलाश की. हमें चुनाव आयोग की वेबसाईट पर ईवीएम और वीवीपैट के मैन्युल का पीडीएफ मिला. इस मैन्युल के चैप्टर- 14.11. 'A Removal of VVPAT slips from VVPATs after completion of Counting of Votes' में इसका पूरा विवरण देखा जा सकता है.

इस मैन्युल के मुताबिक, मतदान केंद्रों के आधार पर वीवीपैट पर्चियों को वीवीपैट के ड्रॉप बॉक्स से निकाला जाएगा और कागज के काले लिफाफे में रखा जाएगा. उम्मीदवारों और उनके अधिकृत एजेंटों को प्रक्रिया देखने की अनुमति होगी और प्रत्येक लिफाफे पर उनके हस्ताक्षर भी लिए जाएंगे. इस मैन्युल में इसका भी जिक्र किया गया है कि यह पूरी प्रकिया पारदर्शिता के लिए रिकॉर्ड भी की जाएगी.



इसके अलावा हमने कीवर्ड्स की मदद से इससे संबंधित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की तलाश की. इससे हमें गुजरात के क्षेत्रीय मीडिया एजेंसी वीएनएम टीवी के फेसबुक पेज पर एक वीडियो मिला. 4 दिसंबर 2022 के इस रिपोर्ट में भावनगर के तत्कालीन कलेक्टर डीके पारेख ने धोखाधड़ी के इन दावों का खंडन किया था.

Full View

पोस्ट का आर्काइव लिंक.

उन्होंने कहा, 'हमने चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया है. चुनाव के दौरान पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हम इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करते हैं और उम्मीदवारों को आमंत्रित भी करते हैं.'

वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए पारेख ने कहा था, 'यह विशेष वीडियो एक अनधिकृत व्यक्ति द्वारा लिया गया है. हमने घटना की जांच शुरू कर दी है. इसके अलावा, हमने जो प्रक्रिया अपनाई है वह सभी नियमों के अनुसार है.'

दिसंबर 2022 में एक्स पर भी भावनगर, जिला मजिस्ट्रेट के आधिकारिक हैंडल से लगभग इसी दिशा निर्देश के स्क्रीनशॉट को शेयर किया गया था.

पोस्ट का आर्काइव लिंक.

इससे स्पष्ट है कि स्ट्रॉन्ग रूम में वोटिंग के बाद की नियमित प्रक्रिया के पुराने वीडियो को गलत दावे से हालिया लोकसभा चुनावों के बीच शेयर किया जा रहा है. 

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