सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जोड़कर एक दावा काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि उन्होंने शिक्षक भर्ती के लिए नए नियमों को मंजूरी दी है. इन नियमों के अनुसार अब केवल 10 साल के लिए ही शिक्षकों की भर्ती होगी.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि सोशल मीडिया में शिक्षक भर्ती को लेकर किया जा रहा यह दावा गलत है.
गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए अग्निवीर योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत अब युवा चार साल के लिए ही थल सेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती किए जाएंगे. हालांकि इस योजना की घोषणा होने के बाद कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिले, लेकिन सरकार अग्निवीर योजना पर अड़ी रही.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे को एक न्यूज़ पोर्टल के स्क्रीनशॉट के साथ शेयर किया जा रहा है. इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर भी मौजूद है. साथ ही इसमें हेडिंग के तौर पर लिखा हुआ है "Teachers will work for only 10 years अब केवल 10 साल ही नॉकरी करेंगे शिक्षक, राष्ट्रपति ने शिक्षक भर्ती के नए नियमों को दी मंजूरी".
इसके अलावा वायरल दावे को एक पेपर के स्क्रीनशॉट के साथ भी शेयर किया जा रहा है, जिसे आप नीचे देख सकते हैं.
फ़ेसबुक पर वायरल दावे वाले अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले इससे जुड़ी न्यूज़ रिपोर्ट्स को ख़ोजना शुरू किया तो हमें ऐसी कोई विश्वसनीय न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें वायरल दावे का जिक्र हो. जबकि आमतौर पर रोजगार से संबंधित ऐसी महत्वपूर्ण ख़बर टीवी चैनलों, अख़बारों और न्यूज़ वेबसाइट्स की सुर्खियां ज़रूर बनती है.
जांच के दौरान ही हमें सरकारी विभागों से जुड़े फ़ेक ख़बरों की जांच करने वाली पीआईबी फ़ैक्ट चेक के द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला. जिसमें उन्होंने वायरल दावे का खंडन किया है.
25 अगस्त 2022 को पीआईबी फ़ैक्ट चेक के द्वारा किए गए ट्वीट में बताया गया है कि ये सभी दावे फ़र्ज़ी हैं और ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है.
इस दौरान हमें न्यूज़ टीवी बिहार नाम की वेबसाइट पर लगी वह ख़बर भी मिली, जिसका स्क्रीनशॉट वायरल दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. हमने पाया कि दरअसल न्यूज़ टीवी बिहार नाम की उस वेबसाइट ने भी वायरल दावे का खंडन ही किया है.
अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने राष्ट्रपति भवन के प्रेस सचिव के कार्यालय में भी संपर्क किया. प्रेस सचिव के कार्यालय ने बताया कि 'आप इसके लिए पीआईबी के द्वारा की गई फ़ैक्ट चेक देखें'. हालांकि उन्होंने सीधे सीधे कुछ भी कहने से मना किया.