सोशल मीडिया पर रेलवे पटरी की एक तस्वीर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल है, जिसमें पटरी के इंटरलॉक के बीच एक बोल्डर फंसा हुआ है. सोशल मीडिया यूजर इसे हाल-फिलहाल का बताकर शेयर कर रहे हैं.
बूम की जांच में वायरल सांप्रदायिक दावा फर्जी पाया गया. वायरल तस्वीर ओडिशा के भद्रक जिले के मंजुरी रोड रेलवे स्टेशन की साल 2023 की है. बूम को भद्रक रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था कि किसी ने जानबूझकर ऐसा किया हो.
बता दें कि बीते कुछ समय में देश में कई रेल हादसे हुए हैं. बीते 30 जुलाई को झारखंड के चक्रधरपुर के पास हावड़ा-मुंबई मेल दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी.
इससे पहले 18 जुलाई 2024 को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही एक एक्सप्रेस ट्रेन उत्तरप्रदेश के गोंडा के पास पटरी से उतर गई. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी. बीते 17 जून 2024 को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में कंचनजंगा एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 10 लोगों की मौत हो गई थी.
पिछले साल जून में ओडिशा के ही बालासोर में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और कोरोमंडल एक्सप्रेस के टकराने से 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल तस्वीर को पोस्ट करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'बढ़ती हुई रेल दुर्घटना बता रही है कि जिहादियों के स्लीपर सेल एक्टिव हो गए हैं और यह सब आपके दिए 99 सीट का कमाल है.' (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी यह तस्वीर इसी दावे के साथ वायरल है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
फैक्ट चेक
बूम ने जब वायरल तस्वीर की पड़ताल के लिए इसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें न्यूज वेबसाइट Odishatv.in की 8 जून 2023 की रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक वायरल तस्वीर ओडिशा के भद्रक जिले के मंजुरी रोड रेलवे स्टेशन की है.
Odishatv.in की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे पटरी के इंटरलॉक के बीच फंसे बोल्डर को एक रेलवे कर्मचारी ने देखा और उसके बाद उन्होंने स्टेशन मैनेजर और संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी. बाद में मंजुरी रोड रेलवे स्टेशन के स्टेशन मैनेजर ने आरपीएफ के पास इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी.
इससे जुड़े कीवर्ड को गूगल पर सर्च करने पर हमें न्यूज वेबसाइट दैनिक जागरण पर भी इस घटना की रिपोर्ट मिली. दैनिक जागरण को उस वक्त आरपीएफ इंस्पेक्टर दिलीप कुमार ने बताया था कि मामले की जांच जारी है.
बूम ने वायरल दावे की जांच के लिए भद्रक रेलवे पुलिस अधिकारी से बात की. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह मामला 2023 का है और इसमें किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था.
उन्होंने बूम से कहा, "हमें मंजुरी रोड रेलवे स्टेशन के स्टेशन मैनेजर से मामले की शिकायत मिली थी, जिसके बाद हमने जांच शुरू की थी. मामले की जांच के बाद हमें कोई सबूत नहीं मिला था कि पत्थर वहां किसी ने जानबूझकर लगाया है. रेलवे ट्रैक पर पत्थर होते हैं और हो सकता है कि वही पत्थर उसमें फंस गया हो. सबूतों के अभाव में जांच आगे नहीं बढ़ पाई थी." बता दें कि मंजुरी रोड रेलवे स्टेशन भद्रक रेलवे पुलिस स्टेशन के अंतर्गत ही आता है.