सोशल मीडिया पर ट्रैक्टर से बंधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले का वीडियो इस गलत दावे से वायरल है कि यह भारत में चल रहे किसान आंदोलन का है.
बूम ने पाया कि वीडियो भारत का नहीं बल्कि अमेरिका के ओरेगॉन स्थित ऑरोरा सिटी का है और वायरल क्लिप के ऑडियो से छेड़छाड़ की गई है ताकि ऐसा लगे कि यह भारत का है.
हालांकि, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि वीडियो कब शूट किया गया था.
गौरतलब है कि 13 फरवरी से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लगभग 200 से अधिक किसान संगठन आंदोलनरत हैं. एमएसपी के अलावा किसान संगठन कर्ज माफी और 2021 की खीरी हिंसा में न्याय की मांग कर रहे हैं. आंदोलनकारी किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बैठे हैं. इसके मद्देनजर पुलिस ने दिल्ली के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी है.
रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों को रोकने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए हैं. इस आंदोलन के शुरू होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी फर्जी और भ्रामक खबरें भी लगातार शेयर की जा रही हैं, इस क्रम में यह वीडियो भी वायरल है
वायरल वीडियो में एक ट्रैक्टर पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दिख रहा है, जिसके चारों तरफ जूते बंधे हैं. इसमें किसानों का समर्थन करती कुछ तख्तियां भी देखी जा सकती हैं.
वीडियो में पीछे से एक आवाज भी आ रही है, जिसमें एक व्यक्ति सवाल कर रहा है कि इतनी ठंड में दिल्ली क्यों जा रहे हो? इसपर एक आदमी पंजाबी में जवाब देते हुए कहता है, 'वह हमारी रोटी छीन रहा है, वह हमारी जमीन भी छीन लेगा, मोदी को हम मुक्का मारेंगे.'
ऑनलाइन प्लेटफार्म एक्स पर यूजर योगी देवनाथ (@MYogiDevnath) ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 'ये किसान हैं?? आंदोलनकारी खालिस्तानी भिंडरावाले की फोटो को शान से प्रस्तुत कर रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री मोदी जी का पुतला बनाकर उसे घसीट रहे हैं. सरकार को इन खालिस्तानियों का अब इलाज उसी तरह किया जाना चाहिए जैसे पहले हुआ था.'
लगभग इसी दावे से एक अन्य एक्स यूजर ने भी वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, 'Blood Boils' (खून खौलता है).
फैक्ट चेक
बूम ने पड़ताल के दौरान पाया कि ट्रैक्टर से बंधे पीएम मोदी के पुतले का यह वीडियो अमेरिका के ओरेगॉन स्थित ऑरोरा का है. इसका भारत में चल रहे मौजूदा किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है.
इसके अलावा, हमने यह भी पाया कि वायरल वीडियो में जो आवाज जोड़ी गई है, वह 2020 की एनडीटीवी की न्यूज रिपोर्ट से ली गई गई है. एनडीटीवी की यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे तत्कालीन किसान आंदोलन की एक ग्राउंड रिपोर्ट थी.
आगे हमने वायरल वीडियो में दिख रहे साइनबोर्ड पर लिखे टेलीफोन नंबर का इस्तेमाल कर 'सिज़लिंग तंदूरी हट' नाम के पंजाबी ढाबे की पहचान की और इसे अमेरिका के ओरेगॉन स्थित ऑरोरा में जियो-लोकेट किया.
इसमें वायरल वीडियो जैसा वही दुकान का बोर्ड देखा जा सकता है. साथ ही हम इस रेस्टोरेंट के एंट्रेंस पर वायरल वीडियो जैसा ही नीला मिनी ट्रैक्टर भी देख सकते हैं.
गूगल मैप पर देखने के लिए यहां क्लिक करें.
नीचे हमने वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट की गूगल मैप पर मिली तस्वीर के साथ तुलना की है. इससे स्पष्ट होता है कि वीडियो अमेरिका स्थित ओरेगॉन का है, भारत का नहीं.
वायरल वीडियो में आ रही ऑडियो से हिंट लेते हुए हमने फेसबुक पर उससे जुड़े कुछ कीवर्ड्स सर्च किए, इसके जरिए हम एनडीटीवी के उस रिपोर्ट तक पहुंचे, जो 2020 के किसान आंदोलन के समय की गई ग्राउंड रिपोर्ट थी. हमने पाया कि इसके ऑडियो का इस्तेमाल कर वायरल वीडियो को एडिट किया गया है और इसे फ़र्जी दावे से शेयर किया जा है.
हमें फेसबुक पर Farmer Lover नाम के पेज पर एनडीटीवी वाली रिपोर्ट के साथ 1 दिसंबर 2020 का एक पोस्ट मिला, जिसमें साफ सुना जा सकता है, जहां एनडीटीवी का रिपोर्टर एक बुजुर्ग प्रदर्शनकारी से पूछता है कि वे ठंड में दिल्ली क्यों जा रहे हैं और वे जवाब में कहते हैं, "वह हमारी रोटी छीन रहा है, वह हमारी जमीन भी छीन लेगा, मोदी को हम मुक्का मारेंगे.''
इन तमाम फैक्ट्स से यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो भारत का लगे इसलिए उसको एडिट कर उसमें अलग से ऑडियो जोड़ा गया है. मूल वीडियो संयुक्त राज्य अमेरिका के ऑरोरा सिटी का है, इसका भारत में चल रहे मौजूदा किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
(Additional reporting by Sujith A)