प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक भ्रामक दावा किया कि बेंगलुरु पुलिस ने भगवान गणेश की मूर्ति को 'सलाखों के पीछे' डाल दिया. पीएम मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में हिंदुओं को गणेश उत्सव मनाने से प्रतिबंधित किया गया था.
बूम ने पाया कि यह दावा भ्रामक है. बूम ने पहले ही इस दावे का फैक्ट चेक किया था. दरअसल पीएम मोदी जिस घटना का जिक्र कर रहे थे, वह बेंगलुरु में मांड्या हिंसा के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान की है.
13 सितंबर 2024 को कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य बेंगलुरु के टाउन हॉल के सामने प्रदर्शन के दौरान गणेश की प्रतिमा लेकर पहुंचे थे. इस प्रदर्शन के लिए पुलिस की अनुमति नहीं थी. बाद में पुलिस प्रदर्शनकारियों पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर गणेश की प्रतिमा को पुलिस वैन में रख दिया था.
पीएम मोदी ने 14 सितंबर 2024 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक जनसभा के दौरान यह दावा किया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस के लिए तुष्टिकरण ही सबसे बड़ा लक्ष्य है. आज स्थिति ऐसी हो गई है कि कर्नाटक में कांग्रेस के शासन में, गणपति जी को भी सलाखों के पीछे डाला जा रहा है. गणपति जी को पुलिस की गाड़ी में डाल दिया. आज पूरा देश गणेश उत्सव मना रहा है... और कांग्रेस विघ्नहर्ता की पूजा में भी बाधा डाल रही है."
बीजेपी हरियाणा, बीजेपी मध्य प्रदेश और पॉलिटिकल कीडा ने भी एक्स पर पीएम मोदी के इसी दावे का वीडियो शेयर किया.
पीएम मोदी ने 17 सितंबर को ओडिशा के भुवनेश्वर में एक समारोह के दौरान दोबारा इसी दावे को दोहराया. प्रधानमंत्री ने कहा, "कर्नाटक में, जहां इनकी (कांग्रेस) सरकार है, वहां इन्होंने बड़ा अपराध किया है. इन लोगों ने भगवान गणेश की मूर्ति को सलाखों के पीछे डाल दिया." बीजेपी के आधिकारिक एक्स हैंडल ने इस भ्रामक दावे को शेयर किया गया.
फैक्ट चेक : गणेश प्रतिमा को पुलिस वैन में रखे जाने पर मीडिया रिपोर्ट
पीएम मोदी का भगवान गणेश की मूर्ति को बेंगलुरु पुलिस द्वारा सलाखों के पीछे रखे जाने का दावा गलत है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 13 सितंबर को बेंगलुरु की है. कुछ लोग मांड्या सांप्रदायिक हिंसा की जांच की मांग को लेकर बेंगलुरु टाउन हॉल के पास प्रदर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन वहां प्रदर्शन की इजाजत नहीं थी.
नियम के मुताबिक, बेंगलुरु में सिर्फ फ्रीडम पार्क में ही विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति है. लिहाजा पुलिस प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के लिए वहां पहुंची. वहां प्रदर्शनकारियों के हाथ में गणेश की मूर्ति थी, जिसे पुलिस ने लेकर एक खाली वैन में रख दिया. यह तस्वीर वायरल हो गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पुलिस ने उसके तुरंत बाद ही मूर्ति को जीप में रख दिया.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, टाउन हॉल के सामने विरोध प्रदर्शन की कोशिश कर रहे लगभग 40 प्रदर्शनकारियों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था.
पुलिस का स्पष्टीकरण : बाद में विधि-विधान के साथ विसर्जित की गई मूर्ति
बूम को 16 सितंबर को बेंगलुरु सेंट्रल के डीसीपी शेखर एच टी ने बताया था, "यह 13 सितंबर 2024 की घटना है, जब हिंदू संगठनों ने नागमंगला गणेश जुलूस की घटना को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए बेंगलुरु के टाउन हॉल में विरोध प्रदर्शन किया, जबकि विरोध प्रदर्शन को फ्रीडम पार्क तक ही सीमित कर दिया गया था. उनमें से कुछ प्रदर्शनकारी गणपति की मूर्ति के साथ थे, जिसके चलते सार्वजनिक उपद्रव हुआ."
उन्होंने आगे बताया, "पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया. बाद में पुलिस अधिकारियों ने धार्मिक रीति-रिवाजों और औपचारिकताओं के साथ गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया."
डीसीपी शेखर ने बूम से गणेश प्रतिमा के विसर्जन की तस्वीरें भी शेयर कीं, जिन्हें नीचे देखा जा सकता है.
बेंगलुरु सेंट्रल डीसीपी के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी घटना पर तस्वीरों के इसी कोलाज के साथ एक स्पष्टिकरण दिया गया, जिसमें बताया गया कि बाद में अधिकारियों द्वारा विधि-विधान के साथ गणेश की मूर्ति को विसर्जित कर किया गया.
बीजेपी नेता इस भ्रामक दावे को फैला रहे
पीएम मोदी के अलावा, कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा, सांसद तेजस्वी सूर्या और स्मृति ईरानी सहित कई अन्य बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि यह घटना भगवान गणेश का अपमान थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए दावा किया कि कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने गणेश उत्सव समारोह बंद कर दिया है.
मांड्या में सांप्रदायिक हिंसा के बाद बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन
मीडिया रिपोर्ट (आजतक) के मुताबिक कर्नाटक के मांड्या स्थित नागमंगला में 11 सितंबर को गणेश चतुर्थी का जुलूस एक मस्जिद के सामने से गुजर रहा था. जुलूस को मस्जिद के सामने ज्यादा देर तक रोक दिया गया, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया. कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस दौरान जुलूस पर पथराव भी किया. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने घटना में शामिल होने के संदेह में 52 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.
इसी हिंसक सांप्रदायिक झड़प के खिलाफ 13 सितंबर 2024 को बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था.