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फ़ैक्ट चेक

पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ व्यक्ति ईसाई नहीं है

ननकाना साहिब पुलिस के प्रवक्ता वकास खालिद ने बूम को बताया कि मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ शख्स वारिस अली मुस्लिम है.

By -  Runjay Kumar | By -  Hazel Gandhi |

13 Feb 2023 2:06 PM GMT

शनिवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ननकाना साहिब जिले में भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में पुलिसिया हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति की हत्या कर दी. यह घटना ननकाना साहिब के वॉरबर्टन तहसील में हुई, जहां गुस्साई भीड़ ने उक्त शख्स को थाने से छुड़ा कर पीट-पीट कर मार डाला.

अब सोशल मीडिया पर इसी घटना से जोड़कर यह दावा काफ़ी वायरल हो रहा है कि "भीड़ ने जिस व्यक्ति को पीट-पीट कर मारा है, वह ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखता था". वायरल दावे को एक वीडियो के साथ भी साझा किया जा रहा है, जिसमें भीड़ जमीन पर लिटे हुए किसी चीज को आग लगाती हुई दिख रही है. साथ ही वीडियो के साथ मौजूद वायरल दावे वाले कई कैप्शन में उस व्यक्ति का नाम वारिस इस्सा बताया गया है.

हालांकि बूम ने अपनी जांच में यह दावा फ़र्ज़ी पाया है. ननकाना साहिब पुलिस के प्रवक्ता वकास खालिद ने बताया कि मारे गए व्यक्ति का नाम वारिस अली है और वह मुस्लिम है.

मेजर सुरेंद्र पूनिया ने वायरल दावे को भीड़ द्वारा आग लगाए जा रहे वीडियो के साथ अपने वेरिफ़ाईड ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है. पूनिया ने अंग्रेज़ी कैप्शन के साथ वायरल दावा शेयर किया है, जिसके अनुसार “वारिस इस्सा नाम के एक ईसाई व्यक्ति को ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान के ननकाना साहिब में गिरफ़्तार किया गया था. लेकिन मुस्लिम भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला कर और उसे सड़कों पर घसीटते हुए लाकर अल्लाह हू अकबर के नारे के साथ आग लगा दिया”.


कुछ अन्य वेरिफ़ाईड ट्विटर अकाउंट ने भी ऐसे ही कैप्शन के साथ वायरल दावे को साझा किया है.


(नोट: हमने वायरल दावे के साथ शेयर किए गए वीडियो में विचलित करने वाले दृश्य होने की वजह से यहां शामिल नहीं किया है.)

फ़ैक्ट चेक

बूम ने वायरल दावे की जांच के लिए सबसे पहले कैप्शन में मौजूद जानकारियों की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट द डॉन पर 12 फ़रवरी 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में घटना से जुड़ी सभी जानकारियां मौजूद थी.

द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार बीते शनिवार सुबह को ननकाना साहिब में कुछ लोगों ने मोहम्मद वारिस नाम के एक व्यक्ति को पवित्र कुरान की बेअदबी करने के आरोप में पकड़ा था. पुलिस के अनुसार उक्त शख्स पर अपनी पूर्व पत्नी के फ़ोटो को पवित्र कुरान शरीफ़ पर चिपकाने का आरोप था. पुलिस ने घटना की सूचना मिलते ही उस शख्स को अपने हिरासत में ले लिया और थाने लेकर चली आई.

लेकिन गुस्साई भीड़ आरोपी को फांसी देने की मांग कर रही थी. इस दौरान भीड़ थाने के सामने आकर उक्त शख्स को भीड़ के हवाले करने की मांग भी करने लगी. तभी भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर ही हमला कर दिया और वारिस को छुड़ा कर बाहर ले आई. इसके बाद भीड़ ने वारिस को पीट पीट कर मार डाला.

हालांकि भीड़ ने इस दौरान लाश को जलाने की भी कोशिश की, लेकिन पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए लाश को अपने कब्जे में ले लिया. पंजाब पुलिस के चीफ़ ने इस मामले में ननकाना सर्किल के डीएसपी नवाज़ विर्क और वॉरबर्टन थाने के एसएचओ को निलंबित कर जांच के आदेश भी दे दिए हैं.

हमें इस घटना से संबंधित रिपोर्ट जियो टीवी की वेबसाइट पर भी मिली, जिसे 11 फ़रवरी 2023 को प्रकाशित किया गया था.



हालांकि किसी भी रिपोर्ट में मृत व्यक्ति के धर्म की जानकारी नहीं दी गई थी, इसलिए हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए इससे संबंधित कई अन्य रिपोर्ट्स भी खंगाली. इसी दौरान हमें 12 फ़रवरी 2023 को द गार्जियन की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट भी मिली. रिपोर्ट में यह बताया गया था कि भीड़ ने जिस व्यक्ति को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला, वह मुस्लिम समुदाय से था.



जांच में हमें बीबीसी उर्दू की वेबसाइट पर भी प्रकाशित रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में उक्त शख्स से जुड़ी कई सारी जानकारियां दी गई थी. रिपोर्ट के अनुसार मृतक वारिस अली की माता का नाम नूरां बीबी है और उसके पिता का नाम ईशा है. साथ ही यह भी बताया गया था कि वारिस अली को बेअदबी के मामले में पहले भी जेल भेजा गया था.


इतना ही नहीं बीबीसी की रिपोर्ट में उस मस्जिद के इमाम का बयान भी शामिल था, जिसके निर्माण कार्य में वारिस अली ने भी हिस्सा लिया था. मस्जिद के इमाम के अनुसार करीब तीन वर्ष पूर्व तक वारिस इस मस्जिद में अक्सर आया करता और साफ़ सफ़ाई भी करता था लेकिन बेअदबी के मामले के बाद वह कभी इस मस्जिद में नहीं आया.

हमने अपनी जांच को और पुख्ता बनाने के लिए ननकाना साहिब पुलिस के प्रवक्ता वकास ख़ालिद से भी संपर्क किया तो उन्होंने वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा कि "मारे गए व्यक्ति का नाम वारिस अली है और वह मुस्लिम है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वारिस अली के पिता का नाम मोहम्मद ईशा और माता का नाम नूरां बीबी है". इस दौरान उन्होंने हमें घटना से जुड़ी अन्य जानकारियां भी दी, जो ऊपर मौजूद रिपोर्ट से मेल खाती हैं.

हालांकि इस दौरान हम यह पता लगाने में सफ़ल नहीं हो पाए कि वायरल दावे के साथ जो वीडियो साझा हो रहा है, वह कब और कहां का है.

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