नवरात्रि के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसको हालिया बताते हुए दावा किया जा रहा है कि गुजरात के खेड़ा में गरबा करती महिलाओं पर एक समूह ने मस्जिद से पथराव किया. इसके बाद पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई करते हुए उनकी सरेआम पिटाई की.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो हाल का नहीं बल्कि दो साल पुराना है. असल में घटना साल 2022 की है, जब गुजरात के खेड़ा में गरबा कर रहे लोगों पर एक समूह ने पथराव कर दिया था और पुलिस ने जवाब में आरोपियों को सरेआम बीच सड़क पर खंभे से बांधकर पीटा था.
गौरतलब है कि गुजरात के वडोदरा स्थित भायली में बीते दिनों एक नाबालिग के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया. इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. ये तीनों आरोपी मुस्लिम समुदाय से आते थे जिसके चलते इस घटना ने सांप्रदायिक रंग ले लिया. उसके बाद कई जगहों से गरबा पंडालों में गैर हिंदुओं की एंट्री पर प्रतिबंध लगाए जाने की खबरें भी सामने आईं.
इसी बीच दो साल पुराना यह वीडियो एक बार फिर सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है. एक्स पर इसे शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'जियो गुजरात पुलिस. दे दना दन. ऐसे ही इन विधर्मियों के *** पर लट्ठ बजना चाहिए.'
यूजर ने आगे लिखा, 'गुजरात में खेड़ा में गरबा नृत्य कर रही महिलाओं पर शांतिदूतों द्वारा पथराव किया गया, जिसमें कुछ महिलाएं घायल हो गईं. उसके बाद पुलिस ने अनका भरपूर स्वागत किया.' वीडियो की प्रकृति परेशान करने वाली है. कृपया अपने विवेक से देखें.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
यह वीडियो बूम के टिपलाइन नंबर पर भी इसी समान दावे से प्राप्त हुआ.
फैक्ट चेक: वायरल वीडियो 2022 का है
संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें अक्टूबर 2022 की कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. 4 अक्टूबर 2022 की आजतक की रिपोर्ट में बताया गया कि गुजरात के खेड़ा जिले के उढेला गांव में 3 अक्टूबर की रात गरबा कार्यक्रम में दूसरे समुदाय के लोगों ने घुसकर कार्यक्रम रोकने की कोशिश की. जब लोगों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने पथराव शुरू कर दिया. इस पथराव में लगभग आधे दर्जन लोग घायल हुए.
रिपोर्ट में आगे बताया गया, पथराव के बाद पुलिस ने 9 लोगों को हिरासत में लिया. हिरासत में लिए गए आरोपियों को पुलिस गांव में वापस ले आई और सबके सामने खंभे से बांधकर उनकी पिटाई की. साथ ही हिंदू समुदाय के लोगों से माफी भी मंगवाई. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो के विजुअल्स भी मौजूद हैं.
जनसत्ता की रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 150 लोगों की भीड़ ने इस पथराव का अंजाम दिया था, जिसमें 43 लोगों की पहचान हुई थी. रिपोर्ट में गांव के सरपंच के हवाले से बताया कि 43 आरोपियों में से दस को गिरफ्तार किया गया और उन्हें गरबा कार्यक्रम के आयोजन स्थल पर लाकर सजा दी गई. पुलिस के मुताबिक, सभी गिरफ्तार किए गए आरोपी मुस्लिम समुदाय से आते थे.
दैनिक भास्कर, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और लल्लनटॉप समेत कई मीडिया आउटलेट्स ने भी इस घटना पर खबरें प्रकशित की थीं.
लल्लनटॉप की रिपोर्ट में इस सांप्रदायिक झड़प के बारे बताते हुए कहा गया कि आरोपियों को ग्रामीणों के सामने सजा दी गई. इस दौरान गांव वालों ने "गुजरात पुलिस जिंदाबाद" के नारे भी लगाए.
आजतक की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई की घटना सामने आने के बाद इसकी काफी आलोचना हुई. कोर्ट में आरोपियों के वकील की तरफ से दलील पेश की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने जांच का आदेश दिया था.
जनसत्ता की 5 दिसंबर 2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान खेड़ा जिले के उढेला गांव के मुस्लिम मतदाताओं ने पिटाई की इस घटना से क्षुब्ध होकर चुनाव बहिष्कार की घोषणा भी की थी.
19 अक्टूबर 2023 की नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात हाईकोर्ट की अनुमति के बाद पुलिस ने मुस्लिम युवकों को मुआवजे की पेशकश की थी, लेकिन पीड़ितों ने इसे ठुकरा दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में चार पुलिसकर्मियों को 14 दिन की जेल की सजा सुनाई तथा 2-2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
लल्लनटॉप की 23 जनवरी 2024 की रिपोर्ट में बताया गया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ इन पुलिस वालों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस वालों की अपील स्वीकार की और हाईकोर्ट की सजा पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी. लेकिन साथ ही, कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को उनके बर्ताव के लिए फटकार भी लगाई.
इन रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट है कि यह घटना हाल की नहीं है. दो साल पुराने वीडियो को फिर से भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है.