ओडिशा के बालासोर के पास बाहानगा बाज़ार स्टेशन के पास हुए ट्रेन हादसे को लगातार सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया गया है कि ओडिशा के बालासोर में जिस जगह हादसा हुआ, उसके चारों तरफ़ लगभग 60 मस्जिदें हैं, लेकिन मदद के लिए कोई मुसलमान नहीं आया, जबकि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने दिन-रात एक कर दिया.
वायरल पोस्ट में एक मैप का स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है जिसमें मस्जिदों को लोकेट किया गया है.
बूम की जांच में सामने आया कि दावत-ए-इस्लामी इंडिया, जमीयत-उलमा-ए-हिंद और ग़रीब नवाब रिलीफ़ फाउंडेशन जैसे इस्लामिक संगठनों ने ट्रेन हादसे के बाद राहत कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया था. मैप में दिखाई गईं मस्जिदें बालासोर स्टेशन के आसपास हैं, जबकि हादसा क़रीब 26 किलोमीटर दूर बाहानगा बाज़ार स्टेशन के पास हुआ था.
बीते 2 जून को ओडिशा के बालासोर में बाहानगा बाज़ार रेलवे स्टेशन के पास हुए भयंकर ट्रेन हादसे में 289 लोगों की मौत हो गई थी और हज़ारों लोग घायल हो गए थे.
बूम ने इस ट्रेन हादसे के लिए मुस्लिम समुदाय को ज़िम्मेदार ठहराने वाले कई सांप्रदायिक दावों को ख़ारिज किया है. यहां पढ़ें
वायरल पोस्ट को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, “जहां ट्रेन हादसा हुआ उस जगह के आस पास चारो और लगभग साठ मस्जिदें हैं लेकिन कोई सहायता करने नहीं आया. RSS और बजरंग दल के कार्यकर्ता प्रशासनिक अमले के साथ दिन रात मेडिकल और अन्य कार्य के लगे रहे. क्या यही गंगा जमनी तहजीब है.”
इस दावे को बड़े पैमाने पर ट्विटर और फ़ेसबुक पर हवा दी जा रही है.
ट्वीट यहां और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
पोस्ट यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वायरल पोस्ट के साथ शेयर किये जा रहे मैप में दिखाई देने वाली मस्जिदों को गूगल मैप्स पर खोजा. इस दौरान जो परिणाम सामने आये उसके मुताबिक़, मैप में दिखाई दे रहीं मस्जिदें बालासोर स्टेशन के आसपास मौजूद हैं, न कि बहानगा बाज़ार स्टेशन.
ट्रेन हादसा बालासोर से क़रीब 26 किलोमीटर दूर स्थित बाहानगा बाज़ार स्टेशन के पास हुआ था, जब कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी.
हमने गूगल मैप्स की मदद से बाहानगा बाज़ार स्टेशन के पास मौजूद मस्जिदों को ट्रेस करने की कोशिश की लेकिन हमें आसपास कोई भी मस्जिद दिखाई नहीं दी.
इसके बाद, हमने संबंधित कीवर्ड्स की मदद से मुस्लिमों और इस्लामिक संगठनों के राहत कार्यों के बारे में खोजबीन की. इस दौरान हमने पाया कि ग़रीब नवाज़ रिलीफ़ फाउंडेशन, दावत-ए-इस्लामी इंडिया और जमीयत-उलमा-ए-हिंद जैसे इस्लामी संगठनों ने ओडिशा ट्रेन हादसे के पीड़ितों के लिए राहत कार्यों में भाग लिया है.
हमने पाया कि इन इस्लामिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर ट्रेन हादसे के पीड़ितों के लिए भोजन और पानी की आपूर्ति और घायलों को आस-पास के अस्पतालों में पहुंचाने की प्रक्रिया में सहायता प्रदान की.
जमीअत उलमा ओडिशा के प्रतिनिधिमंडल ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ितों की मदद की. संगठन की ओर से दुर्घटना स्थल से घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराने के प्रयास किए किये गए.
इस्लामिक संगठनों की ओर से किये गए राहत कार्यों को कई उर्दू अख़बारों ने रिपोर्ट किया था. इन्हीं अख़बारों की कुछ कटिंग को जमीअत उलमा ए हिंद ने अपने फ़ेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया था.
हमने अपनी जांच के दौरान पाया कि आरएसएस और मुस्लिम संगठनों के कार्यकर्ताओं के अलावा खालसा एड इंडिया के लोगों ने भी राहत कार्यों में हिस्सा लिया. कैथोलिक चर्च के हेड ने ईसाईयों से पीड़ितों के लिए रक्तदान करने की अपील की.
बूम की जांच से स्पष्ट हो जाता है कि ओडिशा ट्रेन हादसे के पीड़ितों के लिए राहत कार्य में सभी धर्मों के लोगों ने बढ़कर हिस्सा लिया. ऐसे में वायरल दावा ख़ारिज हो जाता है.
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