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फैक्ट चेक

केरल में मंदिर में पूजारी बनने के लिए मुस्लिम शिक्षक द्वारा संस्कृत पढ़ाने का झूठा दावा वायरल

बूम ने पाया कि छात्र मंदिर में पुजारी बनने के उद्देश्य से नहीं बल्कि दूसरे धर्म को जानने के लिए संस्कृत पढ़ रहे हैं. संस्कृत पढ़ा रहा श़ख्स मुस्लिम नहीं बल्कि रमेश नाम का एक हिंदु व्यक्ति है.

By - Rohit Kumar | 6 Dec 2023 1:02 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति (शिक्षक) क्लासरूम में सफेद कपड़े पहने और टोपी लगाकर बैठे व्यक्तियों (छात्रों) को संस्कृत में पढ़ाते हुए नज़र आ रहा है. वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा कि केरल में मंदिर के पुजारी का पद हासिल करने के लिए मुस्लिम शिक्षक मुसलमानों के एक वर्ग को संस्कृत सीखने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं. 

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो में छात्रों को संस्कृत पढ़ाते दिख रहा व्यक्ति, मुस्लिम नहीं बल्कि रमेश नाम के एक हिंदु व्यक्ति हैं, जो छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं.   

वीडियो में दिखाई दे रहे क्लासरूम में उपस्थित सभी लोग "गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वर, गुरुर साक्षात् परम ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नमः" जैसे संस्कृत के 'श्लोक' और 'मंत्रों' का उच्चारण करते नज़र आ रहे हैं. 

एक X (पूर्व में ट्विटर) यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "केरल का शिक्षा मॉडल, केरल में मंदिर के पुजारी पद हासिल करने के लिए मुस्लिम शिक्षक मुसलमानों के एक वर्ग को संस्कृत सीखने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं!" 



फ़ेसबुक पर भी इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर हो रहा है. 



फ़ैक्ट चेक

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो में छात्रों को संस्कृत पढ़ाते दिख रहा व्यक्ति, मुस्लिम नहीं बल्कि रमेश नाम के एक हिंदु व्यक्ति हैं, जो छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं.   

बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए वीडियो के कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें The Fourth नाम के एक फे़सबुक पेज पर 01 नवंबर 2022 को शेयर किया एक वीडियो मिला, जिसमें 0 मिनट पर 44 सेकण्ड पर वायरल वीडियो वाले हिस्से को देखा जा सकता है. इस मूल वीडियो में वायरल वीडियो में लगे दिखाई दे रहे The Fourth का लोगो भी देखा जा सकता है. 

Full View

इस वीडियो पोस्ट के कैप्शन में बताया गया कि त्रिशूर शक्तिनगर में संचालित एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज ने अपने पाठ्यक्रम में संस्कृत को भी शामिल किया गया है.संस्थान में आठ साल की इस्लामिक पीजी पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक अध्ययन और उच्च शिक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं. प्राचार्य ओनाम्बिली मुहम्मद फैजी ने पाठ्यक्रम में संस्कृत को शामिल करने की पहल की है. 

हमें इससे खब़र से सम्बंधित कई अन्य न्यूज़ रिपोर्ट भी मिलीं. एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस पर इस स्टोरी को देखा जा सकता है. नवभारत टाइम्स ने 13 नवंबर 2022 की अपनी रिपोर्ट में ASAS के प्राचार्य ओनाम्पिल्ली मुहम्मद फैजी के हवाले से लिखा कि "इसका मकसद इन छात्रों को बुनियादी ज्ञान प्रदान करने और इनमें दूसरे धर्म के बारे में जागरूकता पैदा करना है." फैजी ने कहा कि "दसवीं कक्षा पास करने के बाद आठ साल की अवधि में छात्रों को भगवद गीता, उपनिषद, महाभारत, रामायण के महत्वपूर्ण अंश छात्रों को संस्कृत में पढ़ाए जाते हैं."

हमने एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज की वेबसाइट को देखा. वेबसाइट के एक सेक्शन में बताया गया कि सिलेबस में संस्कृत को शामिल किया गया है.

इसके अलावा हमें ASAS की वेबसाइट पर 20 फरवरी 2023 को प्रकाशित गया एक आर्टिकल भी मिला, जिसमें बताया गया कि केरल के त्रिशूर जिले में स्थित मलिक दीनार इस्लामिक कॉम्प्लेक्स संस्था के एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज (ASAS) ने अपने छात्रों को संस्कृत और भगवद गीता पढ़ाकर एक उदाहरण स्थापित किया है. छात्र अपने हिंदू गुरुओं से संस्कृत "श्लोक" और "मंत्र" सीख रहे हैं. संस्कृत, उपनिषद, पुराण आदि पढ़ाने का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों के बीच अन्य धर्मों और उनके रीति-रिवाजों की समझ पैदा करना है.



हमने एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज के प्रधानाध्यापक ओनाम्पिल्ली मुहम्मद फैजी से भी संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि "यह वीडियो हमारे संस्थान का है. वीडियो में संस्कृत पढ़ाते दिख रहे व्यक्ति मुस्लिम नहीं बल्कि रमेश नाम के एक हिंदु व्यक्ति हैं जो वह संस्थान में छात्रों को संस्कृत भी पढ़ाते हैं." उन्होंने कहा कि "हमारा उद्देश्य भारत के इतिहास धर्म, परंपरा और संस्कृति के बारे में छात्रों को समृद्ध करना है, जैसा कि सेक्युलरिज्म भारत का समृद्ध मूल्य है. हमारा मकसद दूसरे धर्म के बारे में जागरूकता पैदा करना है." उन्होंने हमें बताया कि यतीद्रं नाम के एक और अच्छे स्कॉलर हैं वो भी छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं."

ओनाम्पिल्ली मुहम्मद फैजी ने हमें बताया कि "छात्र मंदिर का पुजारी बनने के लिए संस्कृत नहीं बल्कि दूसरे धर्म को जानने और समझने के लिए संस्कृत पढ़ रहे हैं." केरल सरकार द्वारा सरकारी नियत्रंण में आने वाले मंदिरों में दलित पुजारियों को कार्यभार संभालने की अनुमति दी है.

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