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फैक्ट चेक

यूपी के मुरादाबाद का पुराना वीडियो खरगोन हिंसा से जोड़कर वायरल

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा ग़लत है. इसका खरगोन हिंसा से कोई संबंध नहीं है.

By - BOOM Team | 17 April 2022 9:07 PM IST

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन (Khargone Violence) में सांप्रदायिक हिंसा के बाद से कई असंबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर ग़लत दावे के साथ वायरल (Viral) रहे हैं. इसी कड़ी में, सोशल मीडिया पर एक वीडियो (Video) इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के खरगोन में हिन्दुओं पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंकने वाली मुस्लिम महिलाओं को पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा ग़लत है. इसका खरगोन हिंसा से कोई संबंध नहीं है. वीडियो असल में पुराना है और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से है.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी जुलूस के दौरान आगजनी और हिंसा में कई लोग घायल हो गए. भीड़ को तितर-बितर करने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. कुछ घरों और दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई थी.

हिंसा के बाद शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया था. इसके बाद पत्थरबाज़ी के लिए ज़िम्मेदार ठहराए गए कुछ लोगों के घर ढहाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं. अब तक हिंसा के सिलसिले में तक़रीबन 100 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.

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वायरल वीडियो में पुलिसकर्मियों द्वारा कुछ महिलाओं को पुलिस वाहन में बैठाते हुए देखा जा सकता है. 

विक्रम सोनी नाम के ट्विटर यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "*MP के #खरगौन मे #हिन्दुओं पर #पत्थर और #पेट्रोल बम चलाने वाली #सलमा,#रुकसाना को जेल भेजती #पुलिस* *बाबुल की दुवाये लेती जा........."


ट्वीट यहां देखें और ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

इसी दावे के साथ भगवत सिंह राजपूत नाम के फ़ेसबुक यूज़र ने भी वीडियो शेयर किया.


पोस्ट यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.

फ़ेसबुक पर वायरल


फ़ेसबुक यूज़र समर्थ उपाध्याय ने इसी वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "शोभा यात्रा पर पत्थर फेंकने वाली महिलाओं की विदाई की रस्म.."


पोस्ट यहां देखें.

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फ़ैक्ट चेक 

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा ग़लत है. इसका खरगोन हिंसा से कोई संबंध नहीं है. वीडियो असल में पुराना है और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से है.

हमने वीडियो को अलग-अलग फ़्रेम्स में तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च पर खोजा तो कई मीडिया रिपोर्ट्स और यूट्यूब पर यही वीडियो मिला.

15 अप्रैल 2020 को प्रकाशित एनडीटीवी की इस रिपोर्ट में 44 सेकंड की समयावधि पर हूबहू दृश्य देखे जा सकते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना मुरादाबाद के नवाब पुरा कॉलोनी की है. एक संभावित कोविड-19 मरीज को लेने गए डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीम पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया.

रिपोर्ट में वीडियो भी एंब्डेड है जिसमें साफ़ तौर देखा जा सकता है कि पहले कुछ महिलाओं को छत से पत्थर फेंकते हुए देखा जसा सकता है और बाद में उसी वीडियो में पुलिस कुछ महिलाओं को थाने ले जाने के लिए गाड़ी में बैठाते हुए दिख रही है.


रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमित पाठक के हवाले से बताया गया है कि कोविड-19 के एक मरीज की मृत्यु हो जाने से उसके संपर्क में आए सभी लोगों को डॉक्टर्स की टीम क्वारेंटाइन करने की कोशिश कर रही थी.एक मेडिकल और पुलिस टीम यहां आई. जब परिवार के सदस्य एम्बुलेंस में सवार थे, तो लगभग 150 लोगों की भीड़ आई और पथराव शुरू कर दिया. एक पुलिस वाहन और एम्बुलेंस क्षतिग्रस्त हो गई."

अमर उजाला की 16 अप्रैल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, मुरादाबाद के नवाबपुरा में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम पर हमला करने के आरोप में 7 महिलाओं समेत 17 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. 

इसके अलावा, हमें इंडिया ब्लूम्स नाम की वेबसाइट पर इसी घटना से जुड़ी ख़बर मिली. इस रिपोर्ट के कवर इमेज पर उसी वायरल वीडियो का स्क्रीनग्रैब है.

इंडिया ब्लूम्स के यूट्यूब चैनल पर 15 अप्रैल 2020 को अपलोड किये गए वीडियो में 24 सेकंड की समयावधि पर वही दृश्य देखे जा सकते हैं जिसे क्लिप करके खरगोन हिंसा से जोड़कर वायरल किया गया है.

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