मोहर्रम के अवसर पर निकाली गयी एक जुलूस का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल है. वीडियो के साथ भ्रामक दावे किये जा रहे हैं.
21 अगस्त को मोहर्रम था. इस बीच अलग अलग राज्य सरकारों ने कोविड को ध्यान में रखते हुए मोहर्रम के जुलूस पर सख़्त पाबंदी लगाई हुई थी. लेकिन बिहार के कटिहार ज़िले से मोहर्रम के जुलूस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
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वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि जुलूस की भीड़ ने एक गाड़ी पर लाठी डंडों से हमला किया है. ये भी दावा किया जा रहा कि गाड़ी में बैठे लोग हिंदू समुदाय से थे और मुसलमानों ने सिर्फ़ रास्ता माँगने और हॉर्न बजाने के कारण उन पर हमला कर दिया.
वीडियो में काफ़ी लोग एक स्कॉर्पियो गाड़ी पर लाठी डंडों और पत्थरों से हमला करते दिखाई दे रहे हैं. गाड़ी के शीशे भी टूटते हुए नज़र आते हैं.
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एक यूज़र ने इसे शेयर करते हुए कैप्शन दिया 'कटिहार -- #मोहर्रम में दिखा मुसलमानों का तांडव हिंदू अब* कहीं भी सुरक्षित नहीं*पूर्णिया से इलाज करवा लौट रहे हिंदू परिवार पर हुआ हमला। बीमार के साथ परिजन स्कॉर्पियो से लौट रहे थे, इसी दौरान मोहरम जुलूस में शामिल लोगों के द्वारा स्कॉर्पियो पर किया गया हमला।
(पोस्ट यहाँ देखें)
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ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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हमने वीडियो के साथ किये जा रहे दावों की सत्यता जानने के लिये कीवर्ड सर्च कर इस घटना के बारे में पता किया. घटना बिहार के कटिहार की है और मुहर्रम जुलूस की ही है. लेकिन वीडियो के साथ किया जा रहा दावा कि 'मुसलमानों में हिंदू परिवार पर हमला किया' ये ग़लत है. दरअसल गाड़ी में सवार लोग भी मुस्लिम समुदाय से ही थे.
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Prabhat Khabar की एक रिपोर्ट के अनुसार कटिहार ज़िले के कोढ़ा थाना क्षेत्र के मूसापुर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 में मुहर्रम के जुलूस के दौरान लोगों ने सड़क पर जा रही स्कॉर्पियो गाड़ी पर हमला कर दिया.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि हमले में चार लोग घायल हो गये थे जिन्हें पुलिस ने स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज के लिये भर्ती भी कराया. घायलों में शामिल सभी लोग मुस्लिम समुदाय से थे जो इलाज कराने के लिये भागलपुर जा रहे थे.
Zee News के एक रिपोर्ट में भी इस घटना का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है. यहां देखें.
रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद वसीम की गाड़ी पर हमला करके भीड़ ने वाहन को क्षति पहुंचाई और उनके पैसे भी लूट लिए.
बूम ने इस घटना के संबंध में कोढ़ा थानाध्यक्ष रूपक रंजन सिंह से संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि इस घटना में कोई भी साम्प्रदायिक कोण नहीं है तथा दोनों ही पक्ष एक समुदाय से थे. उन्होंने कहा कि इस जुलूस को निकालने की परमिशन पहले ही प्रशासन ने रोक रखी थी लेकिन लोग नहीं माने.
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रूपक रंजन ने बताया कि इस मामले में कोविड प्रोटोकॉल, आपदा प्रबंधन एक्ट और IPC की कई धाराओं के तहत अब तक 28 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जब ये घटना हुई तब वो खुद घटनास्थल पर मौजूद थे और लोगों को समझा रहे थे लेकिन पुलिस बल पर्याप्त न होने के कारण वो स्थिति को कंट्रोल नहीं कर सके.