सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें मंच पर चढ़े एक व्यक्ति को कुछ लोग वहां से हटाते हुए दिख रहे हैं. 21 सेकंड के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि सऊदी अरब ने एक इमाम को इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वह फ़िलिस्तीन के मजलूमों की हिमायत करते हुए इसराइल के साथ युद्ध का आह्वान कर रहा था.
ग़ौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल-हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद उग्रवादी समूह हमास के हमलों में लगभग 1,400 से ज्यादा इसराइली लोगों की मौत हुई है. वहीं ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया गया है कि इसराइली सैन्य हमलों में ग़ाज़ा पट्टी में अब तक 11,000 से अधिक फिलिस्तीनी लोगों की मौत हो गई है. इसी संदर्भ से जोड़ते हुए ये दावा वायरल है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो 2018 का सऊदी अरब के यानबू का है. इसका वर्तमान में जारी इसराइल-हमास संघर्ष से कोई संबंध नहीं है.
एक फ़ेसबुक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "सऊदी अरब में एक पेश इमाम ने हुकूमत से फिलीस्तीन के मजलूमों की हिमायत की अपील की तो उसे आले सऊद की खुफिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया । हर मस्जिद में खुफिया पुलिस नज़र रखे हुए है"
प्लेटफॉर्म X पर भी यूज़र्स ये वीडियो शेयर कर रहे हैं.
एक यूज़र ने लिखा (हिंदी अनुवादित) , "ब्रेकिंग: सउदी ने एक इमाम को गिरफ्तार किया, जिसने इजरायल के साथ युद्ध का आह्वान किया था. सऊदी अरब और जॉर्डन अब अमेरिका से ज्यादा इजरायल की रक्षा और मदद कर रहे हैं."
अर्काइव पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो 2018 का सऊदी अरब के यानबू का है. इसका वर्तमान में जारी इसराइल-हमास संघर्ष से कोई संबंध नहीं है.
दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले वायरल वीडियो के कीफ्रेम से रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें इंडोनेशियाई समाचार आउटलेट VIVA की न्यूज़ वेबसाइट पर 4 मार्च 2018 को प्रकाशित एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो के समान फीचर इमेज थी. इस न्यूज़ आर्टिकल का हिंदी अनुवादित शीर्षक, "रोमांचक वीडियो, उपदेश देने के दौरान पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए मौलवी" है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी अरब के यानबू में एक मस्जिद में पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों द्वारा एक मौलवी को जबरन मंच से नीचे उतारने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
हमें इसी घटना की Moslem Today पर प्रकाशित एक और न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली.
इन रिपोर्टों से संकेत लेते हुए हमने अरबी कीवर्ड का उपयोग कर गूगल पर सर्च किया. हमें मार्च 2018 की लंदन बेस्ड अरबी दैनिक Al-quds Al-Arabi की एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली, जिसका हिंदी अनुवादित शीर्षक, "सऊदी अरब... एक मौलवी को जबरन मंच से हटा दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया - (फोटो और वीडियो)" है.
इस रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के यानबू अल-बहर हिस्से में स्थित जबरिया मस्जिद में शुक्रवार को अधिकारियों ने कथित तौर पर इमाम का रूप धारण करने और उपदेश देने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि सऊदी अरब में इस्लामिक मामलों के मंत्रालय के अनुसार वह व्यक्ति मानसिक विकार से पीड़ित था और इमाम होने का नाटक कर रहा था.
हांलाकि उस समय सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने आरोप लगाया था कि इमाम को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ बोल रहे थे. पोस्ट यहां और यहां देखें.
Al Khaleej ने 2 मार्च 2018 को प्रकाशित अपनी न्यूज़ रिपोर्ट में कहा कि वह व्यक्ति मस्जिद में उपदेश देने की कोशिश कर रहा था, जिससे कुछ उपासकों और एक सुरक्षा अधिकारी ने उसे वहां से हटा दिया था. इस रिपोर्ट में दिखाए गए विजुअल्स वायरल वीडियो से मेल खाते हैं.
रिपोर्ट में मदीना में इस्लामिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद बिन गालेब अल-मुहम्मद के हवाले से पुष्टि की गई कि उस व्यक्ति को मस्जिद प्रशासन द्वारा उपदेश देने से रोका गया था.
सऊदी समाचार आउटलेट Sabq ने मस्जिद प्रशासन के निदेशक अली बिन हुसैन अबू अल-असल के हवाले से बताया कि वह उस घटना के समय मौजूद थे और उन्होंने उस व्यक्ति को मंच छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी.
अगस्त 2018 में एक प्रमुख इस्लामी उपदेशक सफ़र अल-हवली को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना करने के लिए हिरासत में लिया गया था, जब उन्होंने बिन सलमान और सत्तारूढ़ परिवार पर “इज़राइल से संबंध” रखने का आरोप लगाते हुए 3,000 पृष्ठों की एक पुस्तक प्रकाशित की थी.
अल जज़ीरा ने अगस्त 2018 में एक रिपोर्ट में बताया कि 2017 में मोहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से अब तक इमामों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सत्तारूढ़ शाही परिवार के सदस्यों सहित दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है.