सोशल मीडिया पर विधानसभा चुनावों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल है जिसमें वह अंग्रेजी में कहते दिख रहे हैं, "हम आरक्षण हटाने के बारे में सोचेंगे जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा." बीजेपी ने इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया कि राहुल गांधी आरक्षण खत्म करने की बात कर रहे हैं.
बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल वीडियो राहुल के अमेरिकी दौरे का है. वीडियो क्लिप्ड है जिसे भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. पूरे वीडियो में राहुल यह कहते सुने जा सकते हैं कि "देश जब निष्पक्ष होगा तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे, फिलहाल भारत की स्थिति ऐसी नहीं है."
आपको बताते चलें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों तीन दिन की अमेरिका यात्रा पर हैं. इस दौरान टेक्सास, वर्जीनिया और वॉशिंगटन में दिए गए बयानों की वजह से वह चर्चा में हैं.
उनके इस बयान के बाद वह विवादों में घिर गए हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीएसपी प्रमुख मायावती और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी समेत कई नेताओं ने इसकी कड़ी आलोचना की है.
एक्स पर बीजेपी हरियाणा ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 'राहुल गांधी की आरक्षण हटाने की मंशा से स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
बीजेपी जम्मू-कश्मीर ने अपने फेसबुक पर राहुल गांधी के इस क्लिप्ड वीडियो को शेयर किया और लिखा, 'एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं राहुल गांधी.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक: वीडियो क्लिप्ड है
राहुल गांधी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को स्कैन करने पर हमें 10 सितंबर 2024 का अपलोड किया गया यह मूल वीडियो मिला. इसके डिस्क्रिप्शन के अनुसार यह राहुल गांधी के हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान वॉशिंगटन डीसी स्थित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों के साथ किए गए इंटरेक्शन का वीडियो है.
लगभग एक घंटे के इस वीडियो में 53 मिनट 37 सेकंड पर एक स्टूडेंट उनसे भारत में जाति आधारित आरक्षण को लेकर उनकी राय पूछती है. इस क्रम में वह सिस्टम में सुधार के लिए आरक्षण के अलावा अन्य विकल्पों के बारे में भी पूछते हुए कहती है कि क्या हम इसे खत्म करने की तरफ कभी बढ़ेंगे?
54 मिनट 44 सेकंड पर राहुल इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं-
आइये कुछ आंकड़ों पर नजर डालते हैं. अगर आप भारत सरकार को और इसको चलाने वाले 70 नौकरशाहों को देखें, यानी सरकार के सचिव, ये वो लोग हैं जो सरकार के सभी महत्त्वपूर्ण वित्तीय फैसले लेते हैं. अगर आप दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को जोड़ लें तो उनकी आबादी 73 प्रतिशत है. अब आप इन 70 लोगों में देखेंगे तो एक आदिवासी, मुझे लगता है कि तीन दलित, तीन ओबीसी और शायद एक अल्पसंख्यक है. भारत सरकार में 90 प्रतिशत लोगों की पहुंच 10 प्रतिशत से भी कम पदों तक है, जो सारे फाइनेंशियल डिसीजन लेते हैं.अगर आप वित्तीय आंकड़ों पर गौर करें तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं. दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है. इसलिए सच्चाई यह है कि उन्हें सही तरीके से भागीदारी नहीं मिल रही है.समस्या यह है कि भारत का 90 प्रतिशत हिस्सा इस खेल का हिस्सा नहीं है. भारत के किसी भी बिजनेस लीडर्स की लिस्ट देखें..मैंने देखा है. मुझे आदिवासी का नाम दिखाएं, मुझे दलित का नाम दिखाएं, मुझे शीर्ष 200 में से ओबीसी का नाम दिखाएं..मुझे लगता है कि एक ओबीसी है. भारत में ओबीसी की आबादी 50 प्रतिशत है. यह (आरक्षण) एकमात्र विकल्प नहीं है, अन्य उपाय भी हैं, लेकिन हम आरक्षण को खत्म करने के बारे में तब सोचेंगे, जब भारत एक निष्पक्ष जगह होगी और भारत अभी एक निष्पक्ष जगह नहीं है.
इससे स्पष्ट है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी के आरक्षण पर बातचीत के एक हिस्से को भ्रामक तरीके से पेश किया जा रहा है.
राहुल ने कहा- हम आरक्षण को 50% की सीमा से आगे लेकर जाएंगे
इसके बाद राहुल गांधी ने भी इसपर प्रतिक्रिया दी. अमेरिका में नेशनल प्रेस क्लब में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने जातिगत जनगणना की बात दोहराई और यह भी कहा कि वह आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से आगे बढ़ाएंगे.
उन्होंने कहा, "कल किसी ने मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं. लेकिन मैं यह स्पष्ट कर दूं, मैं आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं. हम आरक्षण को 50 प्रतिशत की सीमा से आगे ले जाएंगे."
कांग्रेस के एक्स हैंडल पर भी इससे संबंधित एक पोस्ट देखा जा सकता है.