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फैक्ट चेक

'गोल गप्पे' में हार्पिक मिलाने का स्क्रिप्टेड वीडियो सांप्रदायिक दावे से वायरल

बूम ने जांच में पाया कि वायरल वीडियो स्क्रिप्टिड है और इसमें किसी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

By - Sachin Baghel | 14 July 2022 12:58 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक स्क्रिप्टेड वीडियो ख़ूब वायरल है. इस वीडियो में सफ़ेद कपड़े से मुंह ढके हुए युवक गोल गप्पे के पानी में हार्पिक टॉयलेट क्लीनर मिलाते हुए दिखता है. वीडियो को साम्प्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है कि ज़ुबेर नाम का युवक पानी के पताशे (गोल गप्पे) में हार्पिक मिलाकर लोगों को खिला रहा है. साथ ही, लोगों से 'जिहादियों' से किसी तरह का सामान नहीं खरीदने का आह्वान किया जा रहा है.

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो असल में स्क्रिप्टेड ड्रामा है.

वीडियो में देख सकते हैं मुंह पर कपड़ा बांधे युवक हार्पिक को गोल गप्पे के पानी में मिलाता है, जब वीडियो बनाने वाले उससे पूछते हैं तो वह कहता है कि इससे पानी स्वादिष्ट हो जाता है और लोगों को अधिक पसंद आता है.

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फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने शेयर करते हुए लिखा,"जुबेर नाम का जिहादी, पानी पताशे के पानी में हार्पिक मिलाकर लोगों को खिला रहा था...जिहादियों से कुछ भी सामान खरीदेंगे तो आपकी जान जाने का रिस्क रहेगा."


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फ़ेसबुक पर ये वीडियो इसी तरह के दावों के साथ काफ़ी वायरल है. 


फ़ैक्ट चेक 

बूम ने सबसे पहले वीडियो का स्क्रीनशॉट लेकर रिवर्स इमेज सर्च किया तो फ़ेसबुक पर ज्ञान भंडार पेज पर यह वीडियो मिला. यह वीडियो 7 जुलाई 2022 को अपलोड किया गया था.


वीडियो के कैप्शन में स्पष्ट रूप से बताया गया है,"यह वीडियो एक पूर्ण कल्पना है, वीडियो में सभी घटनाओं को स्क्रिप्ट किया गया है और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है, यह किसी भी तरह की गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है या किसी भी तरह के अनुष्ठान को बदनाम नहीं करता है. वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं के साथ कोई समानता, विशुद्ध रूप से संयोग है."

हालांकि, वायरल वीडियो में अंत तक किसी तरह का कोई डिस्क्लैमर नहीं है. इस वजह से वीडियो को शेयर करने वाले लोग सच मान लेते हैं.आम तौर पर सोशल मीडिया यूज़र्स कैप्शन को छोड़ सिर्फ़ वीडियो शेयर करते हैं. इससे एक बड़ा वर्ग ऐसे कंटेन्ट को सच मान लेता है जिसे वायरल वीडियो के नीचे यूज़र्स के कमेंट्स में भी समझा जा सकता है.

इसके अलावा इन वीडियोज़ के थमनेल उकसाने वाले और आधी-अधूरी सूचना वाले होते हैं, जिससे ऐसी वीडियो अधिक से अधिक वायरल हो सके. 


इसके बाद बूम ने फ़ेसबुक पेज 'ज्ञान भंडार' के एडमिन से संपर्क किया. एडमिन ने अपना नाम रॉकी रत्नेश बताया. हालांकि, असल नाम रत्नेश वर्मा है.

रत्नेश ने बूम को बताया कि यह वीडियो उसी ने आम जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से बनाया है.

वीडियो में दिखने वाले पात्र का नाम 'ज़ुबैर' रखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई ख़ास मक़सद नहीं है. कुछ वीडियो में पात्रों के हिन्दू नाम होते हैं और कुछ वीडियो में मुस्लिम नाम. रत्नेश ने बताया कि उनकी 3-4 लोगों की टीम है और लखनऊ के रहने वाले हैं. 

हमें सोशल मैसेज नाम के एक यूट्यूब चैनल पर ऐसे ही कंटेन्ट के साथ ठीक उसी लोकेशन का वीडियो मिला. 12 जुलाई 2022 को अपलोड किये गए इस वीडियो के कैप्शन, डिस्क्रिप्शन, टाइटल आदि में कहीं कोई डिस्क्लैमर नहीं था. यहां तक कि चैनल के अबाउट सेक्शन में भी इस बारे में कोई सूचना नहीं थी. हमने उनका फ़ेसबुक पेज भी खंगाला, वहां भी स्क्रिप्टिड वीडियो के संदर्भ में कोई डिस्क्लैमर नहीं था. इस वजह से ऐसी वीडियो पर लोग आसानी से विश्वास कर अपनी राय बना लेते हैं. 

हम इससे पहले भी इस ऐसे कई फ़ेसबुक पेजों और यूट्यूब चैनल द्वारा शेयर किये गए वीडियो का फ़ैक्ट चेक कर चुके हैं. अक्सर हमारे सामने ऐसे वायरल स्क्रिप्टिड वीडियो आते हैं जिन्हें ग़लत संदर्भ में शेयर किया जाता है. अमूमन इनका इस्तेमाल एक ख़ास समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जाता है. हमारे द्वारा स्क्रिप्टिड वीडियो के कुछ फ़ैक्ट चेक आप यहां देख सकते हैं. 

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