सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल है जिसमें एक मुस्लिम युवक भगवा वस्त्र पहने दो युवकों को गाड़ी में तिरंगा लगाने से रोकता है. वीडियो में मुस्लिम युवक बार-बार "गाड़ी में झंडा नहीं लगेगा" दोहराते नज़र आता है. वीडियो में दिखाई देने वाले तीनों युवक गाड़ी में झंडा नहीं लगाने का कारण पूछते हुए मुस्लिम युवक को गद्दार और आतंकवादी कहते हुए नज़र आते हैं. इस वीडियो को सोशल मीडिया यूज़र्स असल घटना मानते हुए शेयर कर रहे हैं.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो असल में एक स्क्रिप्टेड ड्रामा का आधा-अधूरा वीडियो है जिसे मनोरंजन और जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया था.
2 मिनट 20 सेकंड के वीडियो में काला कुर्ता और टोपी लगाये मुस्लिम युवक अपनी मोटरसाइकिल के साथ खड़े तीन युवकों से गाड़ी में झंडा लगाने को लेकर बहस करता नज़र आता है. मुस्लिम युवक उनसे कहता है कि गाड़ी में झंडा नहीं लगेगा. जिसके जवाब में वे कहते हैं कि गाड़ी हमारी, झंडा हमारा तो उसे क्या समस्या है. इस गहमागहमी के बीच वे लोग मुस्लिम युवक को आतंकवादी भी कहते हैं और उसके भारतीयता पर सवाल उठाते हैं. लेकिन मुस्लिम युवक किसी भी हाल में गाड़ी में झंडा नहीं लगने देने की बात कहता नज़र आता है.
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ट्विटर पर वीडियो को शेयर करते हुए एक यूज़र जो ख़ुद को पत्रकार और समाजसेवी बताते हैं, लिखते हैं कि "तिरंगा झंडा उतारो , हम इसे नही लगने देंगे ...यह वीडियो पाकिस्तान की नही बल्कि भारत की है."
ट्वीट यहां और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
वहीं, फ़ेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए एक यूज़र ने कैप्शन दिया, "तिरंगा लगाने पर भड़क उठा मुस्लिम युवक, और ए कहते है देश से प्यार है. गद्दारी का इससे बड़ा सबूत और किया होगा. अगर मोदी जी इस बीडीओ को देख रहे हो तो देश को बचा लो देश के गद्दारों से बरना बरबाद हो जायेगा."
पोस्ट यहां देखें.
असल घटना के रूप में शेयर किये गए इस वीडियो को यहां, यहां और यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो को ध्यानपूर्वक देखा और पाया कि वीडियो में 2 मिनट 7 सेकंड की समयावधि पर एक डिस्क्लेमर मौजूद है.
डिस्क्लेमर अंग्रेज़ी भाषा में है जिसका हिंदी अनुवाद - "यह वीडियो पूरी तरह से काल्पनिक है. वीडियो में सभी घटनाओं को स्क्रिप्ट किया गया है और केवल जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया है. यह किसी भी प्रकार की गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है या किसी भी प्रकार के अनुष्ठान को बदनाम नहीं करता है. वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई समानता विशुद्ध रूप से संयोग है."
इससे स्पष्ट हो जाता है कि वीडियो किसी सत्य घटना नहीं बल्कि जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया एक स्क्रिप्टेड ड्रामा है.
हमें अपनी जांच के दौरान यूट्यूब पर एक वीडियो मिला जो वायरल वीडियो के आगे का हिस्सा प्रतीत होता है.
गुजराती भाषा के टाइटल के साथ अपलोड किये गए वीडियो को फ्लिप किया गया है.
वीडियो में 2 मिनट 10 सेकंड की समयावधि पर मुस्लिम युवक गाड़ियों में झंडा लगाने से होने वाली दिक्कत पर दलील देते हुए कहता है कि "यह झंडा आप गाड़ी में लगाते हैं, कोई बच्चा निकाल के ज़मीन में डाल दे या आपसे नीचे गिर जाये, वो ज़मीन पर पड़ा होता है, उसपर पैर पड़ता है, यह हमको अच्छा नहीं लगा."
आगे वो कहता है कि "झंडा अगर लगाना है तो उसे अपने घरों में लगाओ, अपने दिलों में लगाओ. अगर झंडा गाड़ी में लगाओगे तो यह नीचे गिरेगा, पैरों में आयेगा, इसका सम्मान घटेगा. यह हमको अच्छा नहीं लगेगा."
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि यह वीडियो लोगों को जागरूक करने के लिए बनाया गया है. इसके अलावा वीडियो के कॉपीराइट एक्ट के बारे में डिटेल्ड जानकारी दी गई है.
हालांकि, बूम स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता कि इस चैनल पर अपलोड किया गया वीडियो इसी चैनल का मूल कंटेंट है. लेकिन यह ज़रूर है कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा ख़ारिज हो जाता है.
जांच के दौरान हमें फ़ेसबुक पर 'मुस्लिम युवक द्वारा गाड़ी में झंडा लगाने से रोकने और मना करने' के ढेरों वीडियो मिले. इन तमाम वीडियो को जागरूकता और भाईचारा बढ़ाने के उद्देश्य से ही बनाया गया था. ऐसे ही वीडियो यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
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