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भारत द्वारा मालदीव के 28 आइलैंड खरीदे जाने का गलत दावा वायरल

बूम ने पाया कि भारत ने मालदीव के 28 द्वीपों में पानी की सप्लाई और सीवरेज से जुड़े प्रोजेक्ट अपने हाथ में लिए थे, जिसे मालदीव को सौंप दिया गया है.

By - Jagriti Trisha | 14 Aug 2024 5:13 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर के मालदीव दौरे के बाद सोशल मीडिया पर एक दावा काफी वायरल हो रहा है कि भारत ने मालदीव से उसके 28 आइलैंड खरीद लिए हैं.  

बूम ने पाया कि मालदीव द्वारा भारत को अपने 28 द्वीप सौंपने का दावा गलत है. असल में भारत ने मालदीव के 28 द्वीपों में पानी की सप्लाई और सीवरेज से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए एक्जिम बैंक द्वारा लाइन-ऑफ-क्रेडिट सुविधा के माध्यम से वित्तीय सहायता दी थी. विदेश मंत्री ने प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद अपने हालिया दौरे में इसे मालदीव को सौंप दिया.

दरअसल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 9 और 10 अगस्त को पड़ोसी देश मालदीव के दौरे पर थे. इस कार्यकाल में यह उनकी पहली यात्रा थी. उन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और विदेशमंत्री मूसा जमीर से मुलाकात की. दोनों देशों ने कई सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए.

इस दौरान उन्होंने मालदीव के 28 द्वीपों के लिए पूरी हो चुकी पानी और स्वच्छता परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया. इस परियोजना के तहत भारत ने मालदीव में लगभग 923 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

गौरतलब है कि भारत और मालदीव के बीच इस साल जनवरी में राजनैतिक विवाद छिड़ गया था. तब सोशल मीडिया पर पीएम मोदी ने लक्ष्यद्वीप की तस्वीरें साझा की थीं और लोगों से हॉलिडे के लिए लक्ष्यद्वीप जाने की अपील की थी. इन तस्वीरों पर मालदीव के कुछ मंत्रियों की आपत्तिजनक और भारत विरोधी टिप्पणी ने इस विवाद को जन्म दिया था.

इसके बाद 'बॉयकॉट मालदीव' भी ट्रेंड करने लगा था. दूसरी तरफ 2023 में मालदीव में चुनाव अभियानों के दौरान वर्तमान राष्ट्रपति मुइज्जू  'इंडिया आउट' का नारा देते नजर आए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के साथ बेहतर संबंधों के पक्षधर माने जाते हैं.

फेसबुक पर पीएम मोदी और मोहम्मद मुइज्जू की तस्वीर को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'भारत ने मालदीव से उसके 28 आइलैंड खरीद लिया है. भारत ने यह सौदा 923 करोड़ में किया है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के हवाले किए 28 आइलैंड. इस अवसर पर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा मोदी हमेशा साथ देते हैं, हर मुश्किल समय में मोदी जी ने साथ दिया है. ठीक बात है. आगे भी साथ देंगे.'


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एक्स पर भी यह दावा खूब वायरल है. 


पोस्ट का आर्काइव लिंक.


फैक्ट चेक 

हमें मोहम्मद मुइज्जू के आधिकारिक एक्स हैंडल पर इससे संबंधित एक पोस्ट मिला. 10 अगस्त के इस पोस्ट में एस जयशंकर से मुलाकात की तस्वीरें शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, 'मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और सीवरेज परियोजनाओं को आधिकारिक तौर पर सौंपे जाने के मौके पर एस जयशंकर से मिलकर खुशी हुई.' 

पोस्ट का आर्काइव लिंक.

इस पोस्ट में मुइज्जू ने इस समर्थन के लिए भारत सरकार और पीएम मोदी का धन्यवाद ज्ञापन भी किया है.

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि सामरोह में मालदीव के 28 द्वीपों पर पूरी हो चुकी जलापूर्ति और सीवरेज सुविधाएं सौंपी दी गईं. इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार की एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से वित्तपोषित किया गया था.


 

विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक्स पर भी इससे संबंधित एक वीडियो देखा जा सकता है, जिसमें इस परियोजना की विस्तृत जानकारी मौजूद है. इसमें बताया गया है कि परियोजनाओं के लिए भारत के एक्जिम बैंक ने लाइन-ऑफ-क्रेडिट सुविधा के माध्यम से वित्तीय सहायता दी थी.


भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए प्रेस रिलीज में भी मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और सीवरेज नेटवर्क का संयुक्त रूप से उद्घाटन करने की बात बताई गई है. इससे साफ है कि एक्जिम बैंक की वित्तीय सहायता से निर्मित मालदीव के 28 द्वीपों में पानी और सीवरेज से जुड़ी परियोजनाओं को सौंपने को गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है कि मालदीव ने 28 द्वीप भारत को सौंपे हैं या भारत ने 28 द्वीप खरीद लिए हैं.

दावे से संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें ढ़ेरों मीडिया रिपोर्ट्स भी मिलीं, जिनमें बताया गया था कि एस जयशंकर ने इस दौरे में मालदीव में यूपीआई से पेमेंट की सुविधा शुरू करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया. इसके साथ-साथ भारत ने मालदीव के 28 द्वीपों के लिए पूरी हो चुकी पानी और नाले से जुड़ी परियोजनाओं को आधिकारिक तौर पर मालदीव को सौंप दिया. उदाहरण के लिए बीबीसीएनडीटीवी और आजतक  की रिपोर्ट देखी जा सकती है.

इसके अलावा भारत सरकार की प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो ने भी इस दावे को खारिज करते हुए इसे फेक बताया है.

पोस्ट का आर्काइव लिंक.

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