लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज और एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसके साथ वोटिंग से संबंधित कुछ बेबुनियाद दावे किए गए हैं. इसमें बताया गया है कि कैसे मतदाता, वोटिंग लिस्ट में नाम नहीं रहने के बावजूद भी 'चैलेंज वोट' दे सकता है.
वायरल मैसेज और वीडियो में चार दावे किए गए हैं. बूम ने अपनी जांच में पाया कि इन चार दावों में से तीन दावे गलत हैं, जबकि एक सही है. बूम ने पुष्टि के लिए पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी से संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि अगर मतदाता सूची में किसी का नाम नहीं तो वह किसी भी हालत में वोट नहीं दे सकता.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों का आगाज 19 अप्रैल से होगा और इसके परिणाम 4 जून को आएंगे. इसके मद्देनजर सोशल मीडिया पर यह वीडियो और मैसेज वायरल हो रहा है.
इस मैसेज और वीडियो में कुल चार दावे किए गए हैं. पहला, जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो आप अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर धारा 49A के तहत 'चैलेंज वोट' डाल सकते हैं. दूसरा, अगर आपको लगता कि किसी ने आपके नाम से पहले ही आपका वोट डाल दिया है तो आप 'टेंडर वोट' डाल सकते हैं.
तीसरा दावा किया गया कि अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक 'टेंडर वोट' दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया जाता है. इसके साथ ही वायरल वीडियो में मैसेज से इतर एक चौथा दावा भी किया गया कि जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है या जिनके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो वह पोलिंग बूथ पर अपने दो फोटो या ऐसे किसी पहचान पत्र के साथ जिनमें उनका फोटो हो वह दिखाकर और फॉर्म नंबर-8 भरकर अपना वोट डाल सकते हैं.
फेसबुक पर इन दावों के साथ एक मैसेज खूब शेयर किया जा रहा है.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
हमें इंस्टाग्राम पर इसी दावे के साथ एक वीडियो मिला. इस वीडियो में महिला को मैसेज वाले दावों के साथ-साथ यह भी दावा कहते सुना जा सकता है कि 'जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है या जिनके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो वह पोलिंग बूथ पर जाकर अपने दो फोटो या ऐसे किसी पहचान पत्र के साथ जिनमें उनका फोटो हो वह दिखाकर और फॉर्म नंबर-8 भरकर अपना वोट डाल सकते हैं.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
यह वीडियो वेरीफाई करने के आग्रह के साथ हमें बूम की टिपलाइन पर भी प्राप्त हुआ.
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फैक्ट चेक
बूम ने सभी दावों की अलग-अलग पड़ताल की.
दावा- एक:
जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो आप अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर धारा 49A के तहत 'चैलेंज वोट' डाल सकते हैं.
फैक्ट- गलत
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने 'भारत निर्वाचन आयोग' के सोशल मीडिया हैंडल्स की तलाश की. हमें भारत निर्वाचन आयोग के आधिकारिक फेसबुक पेज पर 17 जनवरी 2022 का एक पोस्ट मिला जिसमें इस वायरल दावे का खंडन किया गया था.
पोस्ट का आर्काइव लिंक
असल में हमने 2019 में भी इस दावे का फैक्ट चेक किया था, उस दौरान बूम ने भारतीय चुनाव आयोग के एक नागरिक समाज संगठन 'वी सिटीजन्स एक्शन नेटवर्क' (वीसीएएन) से संपर्क किया था. उन्होंने बूम को बताया कि कोई मतदाता तब तक मतदान नहीं कर सकता जब तक उसका नाम मतदाता सूची में न हो.'
इसके अलावा हमने पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर (सीआईसी) एसवाई कुरैशी से भी संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि अगर आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो कोई भी ताकत आपको वोट देने का अधिकार नहीं दिला सकती है.
क्या है 'चैलेंज वोट'
वोटिंग के दिन सभी मतदान केंद्रों पर पीठासीन अधिकारियों के साथ-साथ चुनावी एजेंट भी मौजूद रहते हैं. अगर एजेंट को किसी मतदाता की पहचान को लेकर या फर्जी वोटिंग को लेकर संदेह होता है तो ऐसे में वह चैलेंज वोट का इस्तेमाल कर सकता है. इसके तहत वह पीठासीन अधिकारी के समक्ष दो रुपये की फीस देकर वोटर के लिए चैलेंज वोट करता है, जिसके बाद अधिकारी उसकी जांच करता है.
धारा 49A
राजस्थान निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर हमें चुनाव आचरण नियम की PDF फाइल मिली. इसमें धारा 49A के तहत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की डिजाइन के बारे में बताया गया था. हमने पाया इसका कि इसका 'चैलेंज वोट' से कोई संबंध नहीं है.
चुनाव आचरण नियम के पीडीएफ से लिया गया स्क्रीनशॉट.
दावा-दो:
अगर आपको लगता कि किसी ने पहले ही आपका वोट डाल दिया है तो आप 'टेंडर वोट' डाल सकते हैं.
फैक्ट- सही
चुनाव आचरण नियम में सेक्शन 42 के तहत यह बताया गया है कि अगर पोलिंग बूथ पर जाने के बाद मतदाता को ये लगता है कि उसका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया तो ऐसे में वह ‘टेंडर वोट' का इस्तेमाल कर सकता है. इस टेंडर वोट के जरिए वोटर पुराने वोट को चैलेंज कर नया वोट डाल सकता है.
चुनाव आचरण नियम के पीडीएफ से लिया गया स्क्रीनशॉट.
दावा-तीन:
अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक 'टेंडर वोट' दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया जाता है.
फैक्ट- गलत
इसपर बात करते हुए एसवाई कुरैशी ने बताया कि 'यह फर्जी बात है. टेंडर वोट इतनी ज्यादा संख्या में नहीं पड़ते हैं. और ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाने पर दोबारा मतदान कराया जाएगा.
चुनाव आचरण नियमावली के 'टेंडर वोट' वाले सेक्शन में भी बूम को ऐसा कोई प्रावधान नहीं मिला, जैसा कि दावा किया गया है.
चुनाव आचरण नियम के पीडीएफ से लिया गया स्क्रीनशॉट.
दावा- चार:
जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है या जिनके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो वह अपने दो फोटो के साथ या किसी फोटो वाले पहचान पत्र के साथ फॉर्म नंबर-8 भरकर अपना वोट डाल सकते हैं.
फैक्ट- गलत
इस संबंध में बोलते हुए सीआईसी एसवाई कुरैशी ने हमें बताया कि "नहीं ऐसा कोई नियम नहीं है. बिना मतदाता सूची में नाम का वोद नहीं डाला जा सकता. फॉर्म नंबर-8 का इससे लेना-देना नहीं है. फॉर्म नंबर-8 करेक्शन के लिए होता है. इसके जरिए मतदाता अपने नाम, पता, उम्र आदि सुधार सकता है."
रिपोर्ट्स में भी बताया गया है कि फॉर्म नंबर-8 के जरिए मतदाता अपने नाम इत्यादि में संशोधन कर सकता है. इससे साफ है कि वायरल दावा गलत है.
बूम की अंग्रेजी टीम ने इन दावों का फैक्ट चेक 2019 में भी किया था और पाया था कि यह दावे गलत हैं. पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.