देशभर में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच एक दावा वायरल है कि चुनाव आयोग ने इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने के निर्देश दिए हैं. बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है. चुनाव आयोग ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है. वहीं बूम से बातचीत में अखबार के संपादक नथमल शर्मा ने स्पष्ट किया कि यह होली पर रिलीज किया गया व्यंग्यात्मक विशेषांक था.
बता दें कि लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देशभर में आचार संहिता लागू हो गई है. 19 अप्रैल से लोकसभा की 543 सीटों पर सात चरणों में मतदान होंगे जबकि 4 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे. चुनावों की घोषणा के साथ ईवीएम पर विवाद भी शुरू हो गया है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से मतदान की मांग कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर अखबार की एक कटिंग शेयर की जा रही है इसकी एक खबर की हेडिंग है- 'आयोग के नए निर्देश: ईवीएम नहीं, बैलेट पेपर से होगा मतदान'. वायरल तस्वीर 'इवनिंग टाइम्स' नाम के छत्तीसगढ़ के स्थानीय अखबार की है. 24 मार्च 2024 को प्रकाशित इस खबर में लिखा है कि चुनाव आयोग ने निर्देश जारी किए हैं कि पूरे देश में बैलेट पेपर से मतदान होगा.
एक फेसबुक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, #लोकसभा चुनाव के लिए भारत सरकार निर्वाचन आयोग द्वारा की #नई गाइडलाइन जारी, #आयोग के नए निर्देश: ईवीएम नहीं बैलेट पेपर से होंगा मतदान.
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इसी तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी न्यूजपेपर की कटिंग शेयर करके एक यूजर ने पूछा कि इस खबर में कितनी सच्चाई है?
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फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल के लिए बूम ने 16 मार्च को चुनाव आयोग की ओर से जारी किया गया शेड्यूल पढ़ा. इसमें कहीं भी ऐसा जिक्र नहीं है कि इस बार ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराए जाएंगे.
गौरतलब है कि भारतीय संसद के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 61ए चुनाव आयोग को ईवीएम का इस्तेमाल करने का अधिकार देती है.
इसके अलावा चुनाव आयोग की ओर से पोस्टल बैलेट की भी सुविधा होती है जिसके तहत आवश्यक श्रेणी में रखे गए लोग डाक के जरिए वोट दे सकते हैं. इस श्रेणी में देश की सेवा में तैनात जवान, सरकारी कर्मचारी हैं. इस बार चुनाव आयोग ने मीडिया कर्मियों को भी इस कैटिगरी में रखा है.
बीती 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के कामकाज का अनियमितता का आरोप लगाए जाने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है. इस तरह से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है जिसका दावा किया जा रहा है.
बूम ने वायरल कटिंग की पड़ताल के लिए इवनिंग टाइम्स के संपादक नथमल शर्मा से संपर्क किया. नथमल शर्मा ने स्पष्ट किया, 'यह एक होली विशेषांक था जिसमें व्यंग्यात्मक और काल्पनिक खबरें प्रकाशित की गई थीं.' हालांकि हमें खबर के साथ कोई ऐसा मेसेज नहीं दिखा जिससे यह प्रतीत होता हो कि यह व्यंग्य या काल्पनिक खबर है.
संपादक ने बताया कि संस्करण के मुख्य पेज में इसे लेकर सूचना प्रकाशित की गई थी. बूम ने ईपेपर के फ्रंट पेज को स्कैन किया. इसमें दाहिनी तरफ एक सिंगल कॉलम बॉक्स में '... होली में लगाए गुलाल का टीका' सबहेड के साथ संपादक का संदेश लिखा था, 'रंगों और मस्ती के त्योहार में 'इवनिंग टाइम्स' परिवार भी सराबोर होता है. ऐसे सभी हंस पाठकों को गुलाल का टीका बाकी कौवों का मुंह काला. होली की रंगीन शुभकामनाएं.'
इसके नीचे महाप्रबंधक का संदेश लिखा था, 'फिर मिलेंगे आज यह खबर पढ़कर मजा लें. कल रंग खेले. हम भी छुट्टी मनाएंगे और मिलेंगे 27 मार्च को.' हालांकि इससे भी स्पष्ट नहीं हो पाया कि कि यहां किस लेख का जिक्र हो रहा है.
अमूमन होली के मौके पर एक नोटिस के साथ कई समाचारपत्र व्यंग्य संस्करण जारी करते हैं जिनमें काल्पनिक खबरें प्रकाशित की जाती हैं.
अपडेट- छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आधिकारिक एक्स हैंडल से न्यूजपेपर कटिंग को शेयर करते हुए इसे फर्जी खबर बताया.
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