सोशल मीडिया पर कोलकाता रेप केस से संबंधित सीबीआई के लेटर हेड वाला एक लेटर वायरल है, जिसमें दावा किया गया है कि राजनीतिक दबाव के कारण सीबीआई अधिकारी आकाश नाग इस केस से पीछे हट रहे हैं.
बूम ने अपने फैक्ट चेक में इस लेटर को फर्जी पाया. सीबीआई ने इसका खंडन करते हुए बताया कि मामले की जांच दिल्ली मुख्यालय द्वारा की जा रही है और डॉ आकाश नाग नाम का कोई शख्स सीबीआई से जुड़ा हुआ नहीं है.
बूम ने मेंशन किए गए डॉ आकाश नाग नाम के शख्स से भी संपर्क किया. उन्होंने हमारे साथ की गई बातचीत में वायरल फर्जी लेटर लिखने से इनकार किया और बताया कि उनका हस्ताक्षर लेटर के हस्ताक्षर से अलग है.
गौरतलब है कि 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद नृशंस हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद भारत में महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर देश भर में डॉक्टर्स और नागरिक समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. कोलकाता पुलिस ने मुख्य अभियुक्त संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल मामले की जांच सीबीआई कर रही है.
वायरल लेटर कथित तौर पर कोलकाता क्राइम ब्रांच के डीआईजी डॉ आकाश नाग के हवाले से गृह मंत्रालय को लिखा गया है. इसमें कहा गया है कि राजनितिक हस्तक्षेप और दबाव के कारण जांच में रुकावट आ रही है इसलिए वह इस केस से पीछे हटना चाहते हैं. इसमें 18 अगस्त की तारीख मेंशन की गई है. साथ ही इसपर डॉ आकाश नाग आईपीएस का सिग्नेचर और मोहर भी मौजूद है.
व्हाट्सएप पर यह फर्जी लेटर खूब फॉरवर्ड किया जा रहा है.
फेसबुक पर भी इस लेटर को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा , 'राजनीतिक संबंधों के बिना अस्पताल में ऐसा जघन्य अपराध संभव नहीं, सांठगांठ को उजागर करने की जरूरत है. यह लेटर उसी दिशा में संकेत करता है. जब सीबीआई ने पश्चिम बंगाल सरकार से मामला ले लिया है, तो क्या केंद्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी तरह से भी मामले में शामिल है?' (अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद)
[मूल टेक्स्ट: Without high political connection such heinous crime not possible in hospital, nexus need exposure. This letter is hint in that direction. when CBI has taken case from west Bangal govt, Is central power in any way direct or indirect involved in case?]
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
वायरल फेसबुक पोस्ट में डॉ आकाश नाग के लिंक्डइन अकाउंट का स्क्रीनशॉट भी लगाया गया था. पड़ताल के लिए हम इस लिंक्डइन अकाउंट तक पहुंचे. हमने पाया कि अब यह अकाउंट एक्सिस्ट नहीं करता. स्क्रीनशॉट में दिख रहे बायो की मानें तो आकाश फोरेसिंक साइंटिस्ट हैं और सीबीआई से भी जुड़े हुए हैं.
इसमें मौजूद डिटेल की मदद से हमने फिर डॉ आकाश नाग के एक्स हैंडल की तलाश की. हमें उनका एक्स हैंडल मिला, पर यहां वायरल लेटर से संबंधित कोई पोस्ट नहीं था. हमने एक्स के माध्यम से इनसे संपर्क किया. हालांकि डॉ नाग ने अब अपने एक्स अकाउंट को भी डिएक्टिवेट कर दिया है.
डॉ नाग ने बूम से की गई बातचीत में बताया कि उन्होंने यह फर्जी लेटर नहीं लिखा है. उन्होंने पुष्टि की कि स्क्रीनशॉट वाली लिंक्डइन प्रोफाइल उनकी ही है लेकिन उन्होंने इसे डिएक्टिवेट कर दिया है.
सीबीआई से जुड़े होने के सवाल पर डॉ आकाश ने दावा किया कि उन्होंने छह महीने सीबीआई के साथ फोरेंसिक में प्रशिक्षण लिया है. फिलहाल वे अपनी प्राइवेट क्लिनिक में प्रैक्टिस करते हैं. उनहोंने बूम को यह भी बताया कि लेटर का हस्ताक्षर उनके हस्ताक्षर से अलग है. हालांकि बूम स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं करता कि इस फेक लेटर के पीछे उनका हाथ है या नहीं.
डॉ नाग के एक्स से हमें टीडीडी न्यूज नाम की वेबसाइट पर उनके द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट मिली, जिसमें उन्होंने कोलकता रेप केस के राजनितिक प्रभावों को उजागर किया था.
हमने पाया कि यहां डॉ आकाश के ऐसे कई आर्टिकल मौजूद हैं, जिनमें उन्होंने देश-दुनिया के तमाम ज्वलंत मुद्दों पर लिखा था. इसपर आकाश नाग के अबाउट में उन्हें कोलकाता बेस्ड फिजिशियन बताया गया था.
इसके अलावा सीबीआई ने भी इसपर स्पष्टीकरण देते हुए एक प्रेस रिलीज जारी किया है. इसमें उन्होंने बताया कि डॉ आकाश नाग नाम के अधिकारी के हवाले से जारी किया गया लेटर फर्जी है. इस नाम का कोई अधिकारी सीबीआई की जांच टीम से जुड़ा हुआ नहीं है.
उन्होंने आगे बताया कि मामले की जांच सीबीआई मुख्यालय, दिल्ली द्वारा की जा रही है. इसमें सीबीआई ने लोगों से इस तरह के किसी भी फर्जी लेटर को नजरअंदाज करने की अपील की और कहा कि सीबीआई सभी मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए प्रोफेशनली मामले की जांच कर रही है.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.