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कोलकाता में हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिम भीड़ जुटने का दावा गलत है

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो जून 2023 का ढाका में राजनीतिक दल 'जमात-ए-इस्लामी' द्वारा आयोजित एक रैली का है.

By - Rohit Kumar | 24 Aug 2024 5:40 PM IST

सोशल मीडिया पर सफेद टोपी लगाए लोगों के जुलूस का एक वीडियो वायरल है. यूजर्स इसको लेकर दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का जश्न मनाने के लिए कोलकाता के 'पार्क सर्कस' में मुसलमानों द्वारा जुलूस निकाला गया है.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि दावा गलत है. वायरल वीडियो जून 2023 का बांग्लादेश का है, जब राजधानी ढाका में राजनीतिक दल 'जमात-ए-इस्लामी' ने एक रैली आयोजित की थी.

गौरतलब है कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से फैली हिंसा और अराजकता के बीच अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरें सामने आईं. द हिंदू ने यूएन की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि बांग्लादेश में 16 जुलाई से 11 अगस्त के बीच लगभग 650 लोग मारे गए हैं. 

फेसबुक पर एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'कल कोलकाता के पार्क सर्कस में मुसलमानों ने यह जुलूस निकाला! वे बांग्लादेश में इस्लामी शासन और जमात के पुनरुत्थान और हिंदुओं के नरसंहार का जश्न मना रहे हैं.' 

यूजर ने आगे लिखा, 'ये वही मुसलमान हैं जो आपके आस-पास रहते हैं, जिनके साथ आप रोज उठते-बैठते हैं और व्यापार करते हैं और वे बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का जश्न मना रहे हैं. कल्पना कीजिए कि अगर उन्हें भविष्य में मौका मिला तो वे आपके साथ क्या करेंगे. सोचिए कि वे कितना भाईचारा बनाए रखेंगे.'


(आर्काइव लिंक)

एक्स पर भी इसी दावे के साथ यह वीडियो वायरल है.

(आर्काइव लिंक)


फैक्ट चेक

बूम ने दावे की पड़ताल के लिए वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें सोशल मीडिया पर इस वीडियो के साथ जून 2023 के कुछ पोस्ट मिले.

एक्स पर 11 जून 2023 को शेयर किए एक वीडियो पोस्ट के कैप्शन में बताया गया कि यह वीडियो बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की भीड़ का है. कैप्शन से बताया गया, "राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी को 10 साल बाद रैली करने की अनुमति दी गई है और उनके नेता डॉ. शफीकुर रहमान 2022 से बिना मुकदमे के जेल में हैं.

इसी दिन फेसबुक पर एक यूजर द्वारा शेयर किए गए इसी वीडियो के साथ पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया, "अल्हम्दुलिल्लाह, कई वर्षों के बाद बांग्लादेश जमात इस्लाम की रैली को अनुमति दी गई है. नारा-ए-तकबीर... अल्लाहु-अकबर." (बांग्ला से हिंदी अनुवाद)

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इससे संकेत लेकर गूगल पर सर्च करने पर हमें इस घटना से संबंधित कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं.

द डेली स्टार बांग्ला की 10 जून 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस से मौखिक आश्वासन लेकर एक दशक बाद रैली आयोजित की.

रिपोर्ट में बताया गया कि जमात-ए-इस्लामी ने ढाका में वस्तुओं की कीमतों में हो रही वृद्धि, अमीर शफीकुर्रहमान और अन्य नेताओं की रिहाई और एक गैर-पार्टी कार्यवाहक सरकार की स्थापना की मांग को लेकर यह रैली निकाली है.

ढाका ट्रिब्यून बांग्ला की 10 जून 2023 रिपोर्ट में लिखा गया, "आखिरकार जमात-ए-इस्लामी को ढाका में रैली करने की इजाजत मिल गई. ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने पार्टी को इंजीनियर्स इंस्टिट्यूशन ऑडिटोरियम में रैली आयोजित करने की अनुमति दी है."

रिपोर्ट में बताया गया कि जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगने से पहले पार्टी ने फरवरी 2013 में अपना आखिरी विरोध मार्च निकाला था.

आयोजित जुलूस के संबंध में बीबीसी ने 10 जून 2023 की अपनी रिपोर्ट में लिखा, "करीब एक दशक बाद जमात-ए-इस्लामी ने ढाका में रैली कर बांग्लादेश की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है."

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने 1 अगस्त 2024 को जमात-ए-इस्लामी पर एक बार फिर से प्रतिबंध लगा दिया. 


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