हिन्दु युवा वाहिनी, गुजरात प्रदेश के प्रभारी योगी देवनाथ (Yogi Devnath) ने अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि 2008 मुंबई आतंकवादी (Mumbai terror attack) हमले के आरोपियों में से एक अजमल कसाब (Ajmal Kasab) की फांसी रुकवाने के लिए दया याचिका पर समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने साईन किए थे. योगी देवनाथ का दावा है कि 'अखिलेश यादव उन 302 लोगों में शामिल हैं जिन्होंने कसाब की फांसी रुकवाने के लिए याचिका पर साईन किये थे'.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है. अजमल कसाब की फांसी रुकवाने के लिए दया याचिका डालने वाले अधिवक्ता युग चौधरी ने स्वयं इसका खंडन किया है.
दो असंबंधित घटनाओं की तस्वीरें फ़र्ज़ी 'लव जिहाद' के दावे से वायरल
योगी देवनाथ ने 2 दिसंबर 2021 के अपने ट्वीट में लिखा कि 'कसाब की फांसी को रुकवाने के लिए जिन 302 लोगो ने याचिका पर साईन किए थे उनमें से एक ये अखिलेश यादव भी एक थे......सोचा आप भूल गए होंगे याद दिला देते है'.
आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
इसके बाद सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल हो गया और ट्विटर ही नहीं फ़ेसबुक पर भी बड़े पैमाने पर यूज़र्स इसी दावे पोस्ट शेयर कर रहे हैं.
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
फ़ेसबुक पर वायरल
पोस्ट यहां देखें
पोस्ट यहां देखें
क्या अखिलेश यादव ने कहा है कि अगर सपा जीती तो अयोध्या का नाम बदल दिया जायेगा?
फ़ैक्ट चेक
बूम ने कई मीडिया रिपोर्ट खंगाली, और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और उस वकील से भी बात की, जिन्होंने 2012 में आतंकवादी अजमल कसाब के लिए दया की याचिका दायर की थी. हमने पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है.
हमें अपनी जांच के दौरान इंडियन एक्सप्रेस की 21 नवंबर 2012 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की फांसी रुकवाने के लिए 203 से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संबोधित एक याचिका पर हस्ताक्षर किए थे.
हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब द्वारा दायर दया याचिका को ख़ारिज कर दिया था.
मुंबई के वकील युग चौधरी ने 28 अक्टूबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखा था और कसाब को दी गई मौत की सज़ा को बदलने की मांग करने वाली उनकी याचिका के लिए जनता का समर्थन मांगा था.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई दया याचिका में पहले 203 लोगों ने साइन किया था जबकि दूसरी बार लिस्ट में 15-20 नाम बढ़ गए थे.
रिपोर्ट में दया याचिका पर साइन करने वाले कुछ प्रमुख लोगों के नाम दिए गए हैं.
प्रमुख नामों में कसाब के बचाव पक्ष के वकील अमीन सोलकर और अब्बास काज़मी, संयुक्त राष्ट्र के गौतम बब्बर, वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस, लेखक महाश्वेता देवी और नरेश फर्नांडीस, अभिनेत्री नंदिता दास और अभिनेता आमिर बशीर, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी सेवानिवृत्त निदेशक शंकर सेन, फ़िल्म निर्माता अनुषा रिजवी शामिल हैं. लंदन स्कूल एंड इकोनॉमिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, स्कूल ऑफ अफ्रीकन एंड एशियन स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी और जादवपुर यूनिवर्सिटी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के प्रोफेसर और सिटीज़न फ़ोरम फॉर सिविल लिबर्टीज़, फ़ोरम अगेंस्ट ऑप्रेशन ऑफ वीमेन, जैसे समूहों के सदस्यों ने कसाब की फांसी रुकवाने के लिए दया याचिका पर साइन किया था.
इन नामों में अखिलेश यादव या किसी भी अन्य राजनेता का नाम शामिल नहीं है.
बूम ने कसाब की दया याचिका फ़ाइल करने वाले मुंबई हाईकोर्ट के वकील युग चौधरी से संपर्क किया. उन्होंने उस दया याचिका में अखिलेश यादव का साइन होने से इंकार कर दिया.
इसके बाद बूम ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज काका से संपर्क किया. उन्होंने बूम को स्पष्ट शब्दों में बताया कि वायरल दावा पूरी तरह से भ्रामक, तथ्यहीन है.
मनोज काका ने कहा, "बीजेपी का आईटी सेल असल मुद्दों से ध्यान हटाकर ध्रुवीकरण कर रहा है. समाजवादी पार्टी न्यायपालिका पर विश्वास रखती है. इस तरह की जो भी जानकारी सोशल मीडिया पर है वो सिरे से ग़लत है."
क्या वोट नहीं देने पर आपके अकाउंट से कटेंगे 350 रुपये? फ़ैक्ट चेक