एक सन्देश व्हाट्सएप्प पर वायरल हो रहा है जिसमें आज तक न्यूज़ चैनल की एक बुलेटिन के कुछ स्क्रीनशॉट्स शामिल हैं | इनपर कई तरह के वाक्य लिखे हुए हैं जो 2000 रूपए के नोट के अवैध होने की तरफ इशारा करते हैं |
यह पांच तस्वीरें हैं:
- वायरल ख़बर का दावा, 2000 के नोट वापिस ले रही आर.बी.आई
- वायरल ख़बर का दावा, एक बार में बदलेंगे सिर्फ 50,000 के नोट
- वायरल ख़बर का दावा, 31, दिसंबर तक बदल सकेंगे नोट
- देश में 2000 के नोट बंद होने वाले हैं?
- 2000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे?
इनमें से कोई भी दावा सच नहीं है और चौथे एवं पांचवे बिंदुओं में प्रश्न है न ही कोई दावा | यह सूचना भ्रामक तौर से प्रस्तुत की गयी है | नोटेबंदी वाली सूचना जो वायरल हो रही है, वह झूठ है |
बूम को यह स्क्रीनशॉट्स हेल्पलाइन (7700906111) पर प्राप्त हुए हैं जिसमें इनकी सत्यता के बारे में पूछा गया है |
यही सन्देश फ़ेसबुक पर भी वायरल हो रहा है |
फ़ैक्ट चेक
बूम ने आज तक की बुलेटिन को खोजा जहाँ से यह वायरल स्क्रीनशॉट्स लिए गए हैं | इस वीडियो क्लिप में वायरल दावों को खारिज किया गया है न की यह बताया गया है की 2000 रूपए के नोटों को आर.बी.आई बंद कर रही है | ट्विटर पर एक वीडियो क्लिप मिली जिसमें वास्तव में आज तक ने इन दावों को खारिज किया है |
इस वास्तविक वीडियो क्लिप को पूरा सुनने पर मालूम होता है की आर.बी.आई 2000 के नोट बंद नहीं कर रही है |
बूम ने भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट को खंगाला जिसमें हमें ऐसा कोई सन्देश या अधिसूचना नहीं मिली जिसमें 2000 रूपए के नोट्स को बंद करने के बारे में बात की गयी हो | हमनें आर.बी.आई की अधिसूचना पोर्टल और प्रेस पोर्टल में देखा परन्तु इस तरह की कोई सूचना जारी नहीं की गयी है जिससे वायरल सूचना की यह नोट बंद हो रहे हैं और इन्हें बदलना जरूरी है झूठ है | इनके बदलने के लिए व्हाट्सएप्प पर जारी अंतिम तारिक भी मनगढंत है |
बूम ने कुछ दिनों पहले एक ऐसा ही वायरल सन्देश खारिज किया है आप नीचे पढ़ सकते हैं |
2000 रूपए के नोट 'प्रिंट' होना बंद हुए हैं पर बाजार में उपलब्ध नोट अवैध नहीं हैं
इन वायरल झूठे दावों के विपरीत यह बात सच है की भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड ने इस वित्तीय वर्ष में एक भी 2000 रूपए का नोट प्रिंट नहीं किया है | यह सूचना के अधिकार के तहत एक अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को प्राप्त भारतीय रिज़र्व बैंक का जबाब था |
इस अखबार में आर.टी.आई के द्वारा प्राप्त सूचना प्रकाशित है | केंद्रीय बैंक के जबाब अनुसार, "वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 3,542.991 मिलियन 2000 के नोट्स प्रिंट किये गए थे जिसे घटा कर 2017-18 में 111.507 मिलियन कर दिया गया था और फिर 2018-19 में इसे और कम कर 46.690 मिलियन कर दिया गया |"
सरकार का यह कदम नोट बंदी नहीं है और जो नोट बाजार में हैं वो पूरी तरह से वैध हैं | न्यू इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, अधिकारियों का कहना है की 2000 रूपए के नोट सरकार के काले धन को ख़त्म करने वाले कदम में अड़चने पैदा करते हैं इसलिए इनकी प्रिंटिंग बंद की गयी है |