झूठे दावों के साथ वैश्विक क्लाइमेट स्ट्राइक की एक तस्वीर फ़ेसबुक पर वायरल हो रही है । दावा किया जा रहा है क यह बाबुल सुप्रियो के ख़िलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एक विरोध प्रदर्शन की तस्वीर है । बाबुल सुप्रियो पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय में हुई हाल की घटना के बाद सुर्खियों में रहे हैं ।
बर्लिन, सिडनी और हैम्बर्ग की तीन तस्वीरों के सेट में भारी भीड़ को दिखाया गया है जो जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ चिंता की कमी के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं ।
पोस्ट को कैप्शन दिया गया है, “यह ख़बर जो एजेंट मीडिया नहीं चलाएगा । दक्षिण अमेरिकी एकजुट वामपंथी पार्टी ने बीजेपी के गुंडों और गुंडों के नेता बाबुल सुप्रियो द्वारा जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर पर हमले का विरोध किया है । बीजेपी का पर्दाफाश देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हो रहा है ।”
(बंगाली में मूल टेक्स्ट: যেই খবর দালাল মিডিয়া আপনাকে দেখায় না। যাদবপুরের ক্যাম্পাসে বিজেপির গুন্ডা এবং গুণ্ডার সরদার বাবুল সুপ্রিয়র হামলার প্রতিবাদে দক্ষিণ আমেরিকায় বামাদের সংগঠিত প্রতিবাদি মিছিল। রাজ্য ছেড়ে দেশ, এবার বিদেশেও খুলে যাচ্ছে বিজেপির মুখোশ।)
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जादवपुर विश्वविद्यालय में 19 सितंबर को माहौल एक युद्ध के मैदान में बदल गया, जब छात्र केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो से भिड़ गए, जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित नए छात्रों के लिए एक स्वागत कार्यक्रम में शामिल होने आए थे । सुप्रियो पर इस घटना में कथित तौर पर हमला किया गया था, जिसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ उनके बचाव के लिए आए थे ।
फ़ैक्ट चेक
बूम यह पता लगा सकने में सक्षम है कि तस्वीरें वैश्विक जलवायु हड़ताल के हिस्से के रूप में आयोजित विरोध प्रदर्शनों में से थीं ।
रिवर्स इमेज सर्च से हम 16 साल की स्वीडिश क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग की पोस्ट तक पहुंचे जिसमें दुनिया भर के क्लाइमेट स्ट्राइक मूवमेंट की जानकारी दी गई है ।
पहली तस्वीर सिडनी की है, जहां 20 सितंबर को क्लाइमेट स्ट्राइक हुई थी । उसी तस्वीर को याहू न्यूज ऑस्ट्रेलिया पर अपलोड किया गया था ।
भीड़ की दूसरी तस्वीर हैम्बर्ग में ली गई थी, उसी दिन वैश्विक जलवायु स्ट्राइक का हिस्सा बनने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे ।
तीसरी तस्वीर बर्लिन में ली गई थी । जलवायु स्ट्राइक के ख़िलाफ जर्मन में संदेश भी तस्वीर में देखे जा सकते हैं । समान रिपोर्ट यहां देखा जा सकता है ।
जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ कार्यवाही की कमी के विरोध में लाखों लोगों ने पिछले हफ़्ते सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया । न्यूयॉर्क शहर, स्टॉकहोम, मेलबर्न और बर्लिन सहित दुनिया के प्रमुख शहरों में लोग भारी संख्या में सामने आए ।