क्या केक में छुपी यह गोलियां लकवा का कारण बन सकती हैं? फ़ैक्ट चेक
कंपनी न तो चीनी है और न ही आधिकारिक पैकेजिंग में कोई टैबलेट मिलाई जाती है।
पूरी दुनिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें केक के कई पैकेट दिखाए गए हैं। वीडियो में दिखाया गया है की केक के भीतर कुछ गोलियां छुपाई गई हैं। इस क्लिप को हाल ही में भारत में इस दावे के साथ फैलाया जा रहा है कि 'चीनी' ब्रांड ने "अपने नए केक को टैबलेट के साथ जारी किया है।" पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि ये गोलियों को खाने से बच्चे लकवे का शिकार हो रहे हैं।
फेसबुक पर लिखे पोस्ट में दावा किया गया है कि -
"चीनी कंपनी, लुप्पो ने एक केक जारी किया है, जिसके अंदर एक टैबलेट छिपाया है, जिससे बच्चों को लकवा हो जाता है। कृपया इस मैसेज को सभी ग्रूप में शेयर करें।"
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50 सेकेंड की क्लिप में लुप्पो ब्रांड के केक स्नैक के कई पैकेट दिखाए गए हैं। वीडियो में दिखाया गया है कि एक व्यक्ति, जिसका चेहरा नज़र नहीं आ रहा है, उन पैकेटों को खोल रहा है और केक को तोड़ने से उसके अंदर दो छोटी गोलियां नज़र आती हैं। वीडियो के साथ, बीच-बीच में तस्वीरें दिखाई जाती हैं जिसमें बच्चों को अस्पताल ले जाते और 'चमक' ब्रांड का एक और वेफर बिस्कुट के पैकेट दिखाए जाते हैं।
पोस्ट यहां देखें और अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें। ऊपर दिखाए गए "चमक '' वेफर्स ब्रांड एनाटा कंपनी का ईरानी ब्रांड है और यह लुप्पो ब्रांड और वायरल वीडियो के साथ जुड़ा हुआ नहीं है।
इस वीडियो को फेसबुक पर कई बार शेयर किया गया है, जैसा कि नीचे दिखाया गया है।
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लकवाग्रस्त बच्चों की तस्वीरों के साथ पोस्ट को व्हाट्सएप्प पर भी काफी शेयर किया जा रहा है। बूम को भी अपने व्हाट्सएप्प पर यह वीडियो कई बार प्राप्त हुआ है जिसमें इसकी सच्चाई जानने का अनुरोध किया गया है।
फ़ैक्ट चेक
यह वीडियो अक्टूबर 2019 से मौजूद है और भारत में इसकी कोई उत्पत्ति नहीं है, न ही भारत में कोई लुप्पो ब्रांड का केक उपलब्ध है। बूम ने पाया कि वीडियो के फ्रेम को तोड़ने पर तुर्की स्क्रिप्ट देखा जा सकता है।
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इसके अलावा, केक का 'लुप्पो' ब्रांड इस्तांबुल में स्थित सोलेन कंपनी का एक तुर्की उत्पाद यानी प्रोडक्ट है, ना कि चीनी ब्रांड है। सोलेन लुप्पो ब्रांड देखने पर यह पता चलता है कि नकली वीडियो दावे अमेरिका से मैक्सिको तक दुनिया भर में यह कहते हुए वायरल किए गए थे कि यह उत्पाद यूएसए और इज़राइल में उपलब्ध है। जो सही नहीं है यदि ऑनलाइन आर्डर नहीं किया जाए तो अमेरिका में नहीं मिलता|
तुर्की के फ़ैक्ट चेकर, टेइट ने भी इन दावों को ख़ारिज किया और पाया कि यह वीडियो 28 अक्टूबर, 2019 से मौजूद है।
हालांकि, चिकित्सा की दृष्टि से यह संभव नहीं है की किसी भी मौखिक दवा से किसी को लकवा हो सके, वीडियो से यह स्पष्ट नहीं है कि गोलियां कब और किसके द्वारा 'नारियल क्रीम' केक में मिलाई गयीं थीं। वीडियो के अंत में, 00:46 सेकंड मार्क पर बोली जा रही भाषा को सोशल मीडिया कमेंट में उठाया गया था और टेईट द्वारा पुष्टि भी की गई थी, वह सोरानी भाषा है, कुर्दिश की एक बोली है। वीडियो में दिखाई देने वाला एक अन्य सुराग इशारा करता है कि यह वीडियो इराक से है। वीडियो में रेफ्रिजरेटर के भीतर चीकन का ब्रांड देखा जा सकता है (ऐस एस्पिलिएक)| यह एक तुर्किश उत्पाद हैं| इसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार ईराक है।
सोलेन के एक प्रवक्ता ने टेईट के साथ बात करते हुए पुष्टि की कि विशेष उत्पाद (लुप्पो नारियल क्रीम केक) केवल इराक में बेचा जाता है। अंतरराष्ट्रीय फ़ैक्ट चेकर स्नोप्स के साथ बात करते हुए भी कंपनी ने वायरल वीडियो के दावों को ख़ारिज किया है। सोलेन कंपनी के एक प्रवक्ता ने स्नोप्स को दिए गए एक बयान में कहा कि फुटेज "भ्रमपूर्ण, आधारहीन और ग़लत" था और 'बदनामी की मंशा' से बनाया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी पहले से ही जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग कर रही थी। सोलेन ने सुरक्षा मानकों और प्लांट की विनिर्माण प्रक्रिया के प्रमाणपत्र से संबंधित दस्तावेज भी जारी किए, जहां लुप्पो नारियल क्रीम केक का उत्पादन किया गया था। निरीक्षण स्विस कंपनी एसजीएस द्वारा किए जाते हैं।
स्नोप को दिए गए बयान में कंपनी के प्रवक्ता ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बैटर बनाने, क्रीम, चॉकलेट के उत्पादन में विभिन्न फिल्टेरेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। ये सिस्टम ऊंचाई या चौड़ाई में 700 माइक्रोन (0.7 मिलीमीटर) से अधिक किसी भी कण को रोकते हैं, जिससे इसके भीतर गोलियां जैसी चीजें अंदर डालना पूरी तरह असंभव बनाता है, जैसा कि वायरल वीडियो में दिखाया गया है।
उत्तरी सीरिया में तुर्की के पीस स्प्रिंग ऑपरेशन के बाद उत्तरी इराक में शुरू किए गए तुर्की सामानों के ख़िलाफ एक बहिष्कार का प्रयास किया जा रहा है। इसकी पुष्टि इलाके के टेईट पत्रकार स्रोतों से भी की जा सकती है। यह कहा जा रहा है कि इस तरह के वीडियो के फैलाने का कारण बहिष्कार का प्रयास हो सकता है।