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फैक्ट चेक

असंबंधित तस्वीरों को 'कराची में गृहयुद्ध' का मंज़र बताकर किया गया वायरल

बूम ने पाया कि तस्वीरें पुरानी हैं और कराची की वर्तमान स्थिति को नहीं दिखाती हैं।

By - Saket Tiwari |
Published -  26 Oct 2020 6:55 PM IST
  • असंबंधित तस्वीरों को कराची में गृहयुद्ध का मंज़र बताकर किया गया वायरल

    पाकिस्तान और सीरिया की पुरानी तस्वीरों का एक सेट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें फ़र्ज़ी कैप्शन के साथ दावा किया गया है कि ये तस्वीरें 'कराची में गृहयुद्ध' की स्थिति दर्शाती हैं।

    बूम ने पाया कि तस्वीरें पुरानी हैं और पाकिस्तानी शहर की वर्तमान स्थिति को नहीं दिखाती हैं। हमने यह भी पाया कि वायरल पोस्ट में कुछ तस्वीरें कराची की नहीं हैं। पाकिस्तान में हाल के राजनीतिक संकट की स्थिति बनी हुई है | इसके चलते यह तस्वीरें फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हैं। इस बारे में यहां और पढ़ें।

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    मध्यप्रदेश के इंदौर से बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला ने तस्वीरों का सेट शेयर करते हुए ट्वीट किया कि "कराची दो दिनों से सिविल वार की आग में झुलस रहा है। सिंध प्रांत की पुलिस और पाकिस्तान की सेना आमने सामने खड़ी है। रोज धमाके हो रहे है पर हमारा कोई न्यूज़ चैनल ये खबर क्यों नहीं दिखा रहा?"


    आर्काइव वर्ज़न यहां देखें

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    तस्वीरों के इस सेट को ट्विटर पर एक यूज़र ने शेयर करते हुए लिखा कि "रातों-रात गृहयुद्ध के बाद कराची की हालत। बहुत दुख की बात है। कृपया हमारी सिंध पुलिस और कराची के लोगों के लिए आवाज़ उठाएं।"




    आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां और यहां देखें।

    फ़ेसबुक और ट्विटर पर तस्वीरें उसी दावे के साथ वायरल हैं।

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    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने अलग-अलग तस्वीरों को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च और उनकी मूल घटनाओं पहुंचा।

    तस्वीर 1


    इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च करने पर हमें द इंडिपेंडेंट में प्रकाशित 2013 का एक लेख मिला। 30 सितंबर, 2013 को प्रकाशित "पाकिस्तान कार बम ब्लास्ट: पेशावर के सबसे पुराने बाजार पर हमले में 37 मरे" की हेडलाइन के साथ प्रकाशित रिपोर्ट में यह तस्वीर मिली | रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तस्वीर पाकिस्तान के पेशावर में विस्फोट के बाद ली गई थी।

    इस लेख से संकेत लेते हुए, हमने घटना से सम्बंधित कीवर्ड के साथ एक खोज की और हमने उसी तस्वीर को आउटलुक फ़ोटो गैलरी में पाया। सीएनएन की 29 सितंबर 2013 की रिपोर्ट में भी यह तस्वीर प्रकाशित की गई थी, जिसमें इस तस्वीर का क्रेडिट एसोसिएटेड प्रेस के मोहम्मद सज्जाद को दिया गया था।

    एपी वेबसाइट पर हमने पाया कि मूल तस्वीर 29 सितंबर, 2013 की है और यह कराची की नहीं बल्कि पेशावर की है।


    तस्वीर 2


    गौर से देखने पर तस्वीर के दाएं कोने में ऊपर की तरफ़ एएफ़पी/गेटी का वॉटरमार्क दिखता है। गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च करने पर हमें 29 दिसंबर, 2009 का सीएनएन का एक लेख मिला, जिसमें कहा गया कि तस्वीर कराची में एक आत्मघाती हमले के दौरान की है।

    चूंकि वॉटरमार्क में गेटी इमेजेज़ का उल्लेख किया है तो हम गेटी की वेबसाइट गए जहां हमें यही तस्वीर मिली।

    तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने 28 दिसंबर, 2009 को कराची में एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुए बम ब्लास्ट के बाद घटनास्थल का निरीक्षण किया। एक आत्मघाती हमलावर ने पाकिस्तान के शिया मुसलमानों के सबसे पवित्र दिन में उनके सबसे बड़े जुलूस के दौरान ख़ुद को उड़ा लिया, जिसमें 20 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हो गए। एक बड़ी सुरक्षा चूक हुई। ब्लास्ट ने पाकिस्तान की वित्तीय राजधानी कराची की मुख्य रोड पर उस समय उपद्रव की स्थिति उत्पन्न कर दी जब गुस्साए लोगों ने पत्थर फेंके और हवा में गोलियां चलाईं। अधिकारियों ने शांति की अपील की। एएफ़पी फ़ोटो/आसिफ हसन (फ़ोटो क्रेडिट आसिफ़ हसन/एएफ़पी गेटी इमेज के माध्यम से)।


    नहीं, यह तस्वीर उस शिक्षक की नहीं है जिनका फ़्रांस में सर कलम किया गया है

    तस्वीर 3


    बूम ने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट समा टीवी पर 8 मार्च 2016 को प्रकाशित एक लेख मिला।

    हालांकि लेख में तस्वीर वीडियो स्लाइड प्रारूप में है | ऐसे में यह उस स्थान को स्पष्ट नहीं करता है जहां इसे क्लिक किया गया था। लेख 2009 के 'आशूरा ब्लास्ट' की घटना पर है लेकिन इसमें तस्वीर कब खींची गयी थी, इसका कोई ज़िक्र नहीं है।

    समा टीवी के लेख से संकेत लेते हुए, हमने 'कराची में आशूरा ब्लास्ट 2009 पुलिस वीडियो' जैसे कीवर्ड के साथ सर्च किया और दिसंबर 2009 में एसोसिएटेड प्रेस के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला। इसमें वायरल तस्वीर के समान दृश्य हैं।

    तस्वीर 4


    तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च पर खोजने पर हमें चाइना डेली में 2006 का एक लेख मिला जिसमें उसी तस्वीर को प्रकाशित किया गया था। लेख में कहा गया है कि यह घटना 2 मार्च, 2006 को कराची के मैरियट होटल के पास हुई और वायर एजेंसी रॉयटर्स को तस्वीर का क्रेडिट दिया गया है।

    हमें मूल तस्वीर रायटर्स की वेबसाइट पर मिली, जिसका कैप्शन "पाकिस्तान के कराची में 2 मार्च 2006 को बम ब्लास्ट के बाद जलती गाड़ियों से निकलता धुआं। गुरुवार को दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची के मैरियट होटल के बाहर दो सिलसिलेवार धमाकों में दो लोग मरे, पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने बताया। रायटर्स/जाहिद हुसैन।"

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    तस्वीर 5


    तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च करने पर पता चला कि यह सीरिया के अलेप्पो की है, कराची की नहीं।

    2016 में सीएनएन में प्रकाशित एक लेख में सीरियाई युद्ध पर उनकी फ़ोटो स्लाइड में उसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। फ़ोटो स्लाइड में अलेप्पो में नागरिकों की स्थिति को दिखाया गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 12 दिसंबर, 2016 को पूर्वी अलेप्पो में अल-सालेहीन इलाके के आसपास एक टैंक गश्त कर रहा था।


    सीएनएन लेख की इस तस्वीर का क्रेडिट गेटी इमेजज़ को दिया गया है। हमने गेटी इमेजज़ की वेबसाइट देखी और पाया कि तस्वीर 12 दिसंबर 2016 को अपलोड की गई थी।

    तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: सीरियाई सरकार समर्थक फ़ोर्स ने विद्रोही लड़ाकों से क्षेत्र को अपने कब्ज़े में लेने के बाद 12 दिसंबर, 2016 को अलेप्पो के पूर्वी अल-सालेहीन के आसपास गश्त लगाई थी। एएफ़पी/जॉर्ज आउरफ़ेलियन (फ़ोटो क्रेडिट जॉर्ज आउरफ़ेलियन/एएफ़पी गेटी इमेजेज़ के माध्यम से)।


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    Claim :   कराची, पाकिस्तान में गृहयुद्ध के बाद की तस्वीरें।
    Claimed By :  Facebook Pages And Twitter Users
    Fact Check :  False
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