क्या जर्मनी में पेट्रोल के दाम बढ़ने पर लोग सड़कों पर ही छोड़ गए अपनी कार?
दावा है कि जर्मनी में सरकार ने जब पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए तो इसके विरोध में लोगों ने सड़क पर ही अपनी कार छोड़ दी.
सड़कों पर खड़ी कारों की लंबी कतार दिखाती एक तस्वीर सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल है. दावा किया जा रहा है कि जर्मनी में सरकार ने जब पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए तो इसके विरोध में लोगों ने सड़क पर ही अपनी कार छोड़ दी. परिणामस्वरूप सरकार को अपना फ़ैसला वापस लेना पड़ा.
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है. यह तस्वीर चीन के गुआनदोंग प्रांत में 2012 में लगे एक लंबे ट्रैफिक जाम की है.
गौरतलब है कि बीते दिनों में देश में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली और मुंबई में पेट्रोल की कीमत अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये तक पहुंच गई है.
अरविंद केजरीवाल के साथ 'आप' सदस्या की तस्वीर निकिता जैकब के रूप में वायरल
वायरल तस्वीर पर लिखा है, "जर्मनी में जब सरकार ने पेट्रोल के दाब बढ़ाये तो 1 घंटे के अंदर सभी अपनी कारों को रोड पर छोड़कर घर चले गए. 10 लाख से ज़्यादा कार रोड पर खड़ी देख कर, सरकार को पेट्रोल के दाम घटाने पड़े."
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
फ़ेसबुक पर यूज़र्स बड़ी संख्या में इस वायरल तस्वीर को शेयर कर रहे हैं.
यह तस्वीर जर्मनी में भारतीय किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली नहीं दिखाती
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च किया तो हमें यही तस्वीर 'द टेलीग्राफ़ ' की 1 अक्टूबर 2012 की एक रिपोर्ट में मिली.
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की सरकार ने दशक में पहली बार सड़कों को टैक्स फ़्री कर दिया था, जिसके बाद बड़ी तादाद में लोग 8 दिन की छुट्टी मनाने के लिए बाहर निकल पड़े. 16 प्रांतों में 24 प्रमुख मोटरवे प्रभावी रूप से विशाल पार्किंग स्थल के रूप में बदल गये. रिपोर्ट के अनुसार, करीब 8 करोड़ से ज़्यादा लोग ट्रैफिक जाम में फंस गये.
द टेलीग्राफ़ की इस रिपोर्ट में तस्वीर का क्रेडिट रेक्स फीचर्स को दिया गया है. हमने इससे हिंट लेते हुए रेक्स फीचर्स स्टॉक फ़ोटो की वेबसाइट पर पहुंचे, जहां हमें तस्वीर का एक बड़ा रिज़ॉल्यूशन मिला, जिससे पता चलता है कि जो लोग अपनी कारों के पास खड़े दिखते हैं, वे दक्षिण-पूर्व एशियाई से अलग दिखते हैं और बैकग्राउंड में दिख रहे ट्रैफ़िक साइन बोर्ड मैंडरिन में हैं, जर्मन में नहीं.
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