ईवीएम हैकिंग पर पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति के नाम से फ़र्ज़ी बयान वायरल
बूम ने पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने अख़बार के इस दावे बेबुनियाद बताते हुए इसका खंडन किया है.
सोशल मीडिया पर एक अख़बार की कटिंग इस दावे के साथ वायरल है कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति (Former CEC T.S Krishnamurthy) ने बयान दिया है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव बीजेपी (BJP) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) हैकिंग से जीता है. अख़बार में पूर्व चुनाव आयुक्त के बयान के हवाले से बीजेपी और चुनाव आयोग (Election Commission) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया है.
बूम ने पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने अख़बार के इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए इसका खंडन किया है. इस मामले पर उन्होंने चुनाव आयोग में अख़बार के ख़िलाफ़ शिकायत भी दर्ज करवाई है.
गौरतलब है कि टीएस कृष्णमूर्ति भारत के 13वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे. उन्होंने फ़रवरी 2004 से मई 2005 तक यह पद संभाला था. इस दौरान 2004 में हुए लोकसभा चुनावों का जिम्मा भी कृष्णमूर्ति पर था. उनके कार्यकाल के दौरान पहले अटल बिहारी वाजपेयी और चुनाव के बाद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे.
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वायरल अख़बार की कटिंग गुरुवार को असम के करीमगंज ज़िले की पाथरकंडी विधानसभा में कृष्णेंदु पॉल की कार में ईवीएम मिलने की ख़बर की पृष्टभूमि में वायरल है. दरअसल असम के पत्रकार अतनु भुयान ने एक ट्वीट किया था, जिसमें कृष्णेंदु पॉल की कार में ईवीएम होने का दावा किया गया था. इसके बाद इस पूरे विवाद ने जोर पकड़ लिया. चुनाव आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए 4 अधिकारियों को निलंबित कर दिया और रताबरी विधानसभा सीट पर दुबारा से मतदान करवाने का आदेश दिया है.
ट्विटर पर एक यूज़र ने अख़बार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, "भगवान का शुक्र है कि लिफ्ट बीजेपी के पॉल ने दी. अगर नवाज़ शरीफ़ ने लिफ्ट दी होती तो शायद चुनाव आयोग उन्हें असम का विधायक घोषित करता. EC ने बहुत पहले विश्वसनीयता खो दी है. अब तो बस पुष्टि हुई है."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
अख़बार की यह कटिंग फ़ेसबुक और ट्विटर पर ख़ूब शेयर की गई है.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने अख़बार में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति के बयान के हवाले से छपी ख़बर की वास्तविकता जांचने के लिए खोज शुरू की तो हमें फ़ेसबुक पर 24 दिसंबर 2017 का एक पोस्ट मिला, जिसमें अख़बार की कटिंग वाली वही ख़बर थी जोकि वायरल है.
हालांकि. पोस्ट में कटिंग की जगह वेबसाइट पर प्रकाशित ख़बर का स्क्रीनशॉट था, लेकिन दावा एकसमान था. द डेली ग्राफ़ वेबसाइट www.thedailygraph.co.in को हमने खोजा तो पाया कि यह वेबसाइट अब अस्तित्व में नहीं है.
आपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने टीएस कृष्णमूर्ति के दो राज्यों में बीजेपी द्वारा ईवीएम हैकिंग से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स खंगाली.
हमें एनडीटीवी वेबसाइट पर 3 मई 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें पूर्व चुनाव आयुक्त ने अख़बार में छपे अपने बयान का खंडन किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कृष्णमूर्ति ने उनके बयान को ग़लत तरीके से पेश करने की चुनाव आयोग को भी सूचना दी है.
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इसके बाद हमने टीएस कृष्णमूर्ति से संपर्क किया. बूम से बात करते हुए उन्होंने अख़बार में उनके बयान के हवाले से किये गए दावे को ख़ारिज कर दिया.
"इसे आधिकारिक तौर पर नकार दिया गया है और अख़बार के ख़िलाफ़ इस ख़बर के लिए एफ़आईआर दर्ज की गई है. चुनाव आयोग पहले ही सार्वजनिक रूप से बता चुका है कि उन्होंने इस फ़र्ज़ी ख़बर के लिए अख़बार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई है." टीएस कृष्णमूर्ति ने बूम से कहा.
हमें चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर 11 मार्च 2021 की एक प्रेस रिलीज़ मिलीम जिसमें चुनाव आयोग ने इस ख़बर को फ़र्ज़ी करार दिया. आगे कहा गया कि चुनाव प्रक्रिया के बारे ग़लत धारणा बनाने के लिए फ़र्ज़ी ख़बरों पर आयोग कार्यवाई करेगा.
चुनाव आयोग के निर्देश पर सीईओ, दिल्ली ने आईपीसी की धारा 500 (मानहानि की सज़ा) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 128 (मतदान की गोपनीयता बनाए रखने), 134 (निर्वाचनों के संबंध में आधिकारिक कर्तव्य का उल्लंघन) के तहत एक एफ़आईआर दर्ज करवाई है.
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