कर्नाटक चुनाव के दौर में जो ढेरों वेबसाइटस देखने को मिली थी वो या तो ऑफलाइन हो गयी हैं या फिर उन्होंने अपने आपको बदलकर गैर राजनीतिक कंटेंट का प्लेटफार्म बना लिया है। ये वेबसाइटस मार्च २०१८ के आसपास अस्तित्व में आयी और इन्ही वेबसाइटस ने राजनीतिक प्रोपेगंडा फ़ैलाने का काम किया था जिसमे ज्यादातर कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी का मजाक उड़ाया गया था। इन्ही में से एक वेबसाइट, बेंगलुरु टाइम्स जो पहले ऐसे दिखती थी - https://archive.is/FtzjW , अब एक पेइंग गेस्ट्स के लिए कमरे उपलब्ध करवाने वाली वेबसाइट ‘MIA Rooms’ नाम से काम कर रही है और इस तरह नज़र आती है - https://bengalurutimes.co/. हमने मिया रूम्स पर दिए गए नंबर पर संपर्क किया और राजेश रेड्डी से बात की, जो कि इस कंपनी में सहयोगी हैं। रेड्डी ने कहा कि उनके सहयोगी नागराज जी ने इस डोमेन को पिछले हफ्ते ही GoDaddy से ख़रीदा और वो लोग इस डोमेन के पिछली मौजूदगी के बारे में कुछ नहीं जानते। ऐसी ही कई और वेबसाइटस हैं जिनके यूआरएल अब खत्म हो चुके हैं जिनमे बेंगलुरु मिरर (https://www.bengalurumirror.in/ ),एक्सप्रेस बैंगलोर(https://expressbangalore.com/) और वॉइस ऑफ़ बेंगलुरु (https://voiceofbengaluru.com/) शामिल है। पाठकों को गुमराह करने के लिए इन वेबसाइट के नाम शहर के मुख्य अख़बारों से उठाये गए और इनका पूरा ध्यान बीजेपी के पक्ष में खबरें देने पर रहा। २ मई २०१८ को बूम ने इन्हीं में से एक वेबसाइट ‘बैंगलोर हेराल्ड’ की जाँच की और इसे फेक न्यूज़ वेबसाइट पाया। इस वेबसाइट ने बीजेपी के पक्ष में सी-फोर्स नाम की नकली एजेंसी के तहत सर्वे किया था और गुरुग्राम स्थित असल पोलिंग एजेंसी सी-फोर जैसा बनाकर गुमराह करने की कोशिश हुई थी। जब हमने banglore-herald.com नाम की वेबसाइट को देखा तो पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि ये हाल ही में बनाई गयी है। हमने whois.com पर पड़ताल की और पाया कि ये वेबसाइट मार्च महीने में यूएस के फेक नंबर से बनाई गयी है। ये वेबसाइट बिना किसी मेनू बार या ‘हमारे बारे में’ सेक्शन के एक १ पेज साइट के रूप में मौजूद थी। इस पेज की ख़बरें लोकप्रिय न्यूज़ वेबसाइटस जैसे द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इकोनॉमिक टाइम्स, स्क्रॉल.इन से ली गयी होती थी और इस वेबसाइट पर खबरों का चुनाव साफ़ तौर पर मौजूदा कांग्रेस सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश नजर आती थी। अब ये वेबसाइट ख़त्म हो चुकी है और उसतक पहुंचा नहीं जा सकता। बैंगलोर हेराल्ड वेबसाइट चुनाव से पहले और चुनाव के बाद २ मई के जिस दिन बूम ने ये स्टोरी रिपोर्ट की, news.banglore-herald.com के नाम से किये गए सर्च से हम पहुंचे bharatpositive.in. पर। भारत पॉजिटिव नाम की वेबसाइट अब भी मौजूद है और इसपर लगातार बीजेपी के पक्ष में खबरें प्रकाशित होती हैं और साथ ही लेख और वीडियोज के माध्यम से गाँधी परिवार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जब हमने इस वेबसाइट के लिए whois.com पर सर्च किया तो पाया की भारतीय मोबाइल नंबर दर्ज है और ट्रूकॉलर पर मुकुल जिंदल नाम से ये नंबर दिखाई दिया। हमने मुकुल जिंदल को कॉल किया तो उन्होंने वेबसाइट से अपने किसी भी तरह के संबंध की बात को नकार दिया। हालांकि उन्होंने दावा किया कि वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और फिन-टेक कंपनी के लिए काम करते हैं लेकिन उन्होंने कभी भारत पॉजिटिव नाम की वेबसाइट के बारे में नहीं सुना और वो नहीं जानते कि इस वेबसाइट पर उनका नंबर क्यों दिया गया। ये वेबसाइटस ‘कर्नाटक इलेक्शन रिजल्ट्स’ नाम के फेसबुक पेज से भी जुडी हुई थी। बूम ने इस पेज पर फेक न्यूज़ की श्रृंखला का खुलासा किया था जिसमे ये पेज दावा कर रहा था कि पोल एजेंसी CDS-LOKNITI ने कर्नाटक के हर विधानसभा क्षेत्र में सर्वे किया है और इस सर्वे के नतीजे में बीजेपी की बंपर जीत हुई है। इस पेज पर हमारे आखिरी सर्च में हमने पाया कि ११ मई के बाद से पेज अपडेट नहीं हुआ है और जो पहले फेक वेबसाइटस की लिंक शेयर की गयी थी वो अब बंद हो गयी हैं। कर्नाटक इलेक्शन रिझल्ट पेज का फेसबुक स्क्रीनशॉट इन सभी वेबसाइटस की डोमेन रजिस्ट्रेशन की जानकारी से पता चलता है कि ये सब मार्च २०१८ में ही शुरू की गयी हैं और कुछ तो उसी तारीख पर बनाई गयी हैं। आगे ये भी साफ़ हुआ कि इनका रजिस्ट्रेशन अमेरिका का है और इनकी जानकारी को प्राइवेट कर दिया गया है। जैसे ही चुनाव नतीजों ने बीजेपी के अकेली बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भी कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बनाने का मौका दिया, वैसे ही इन वेबसाइटस ने प्रकाशन बंद किया और ऑफलाइन हो गयी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से हमने बात की जिन्हे बंगलौर सिटी पुलिस को ट्विटर पर सक्रीय करने का श्रेय जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसी वेबसाइटस का एक ही उद्देश्य होता है और वो है चुनावों से पहले ख़बरों से छेड़छाड़ करना। आगे उन्होंने कहा, “वैसे ही जैसे कुछ चैनल और केबल न्यूज़ चैनल बनाये जाते हैं और वो एकतरफा खबरें ही चलाते हैं और चुनाव के बाद रहस्मय ढंग से कभी दिखाई नहीं पड़ते - ये वेबसाइट भी उसी तरह काम करती हैं। इस दौर में हर पुलिस डिपार्टमेंट के आईटी सेल के लिए ये जरुरी है कि वो ऐसी वेबसाइटस पर नजर रखें और सुनिश्चित करें कि इनको बंद कर दिया जाए अगर ये संबंधित अधिकारीयों से प्रमाणित ना हों।”