दावा: एक मंदिर के तोरण (archway) पर लिखा यह संदेश: "यह तीर्थ हिन्दुओं का पवित्र स्थल है शूद्र मुसलमान का प्रवेश वर्जित है"
रेटिंग: झूठ साम्प्रदायिक रंग लिए इस पोस्ट को 'आई सपोर्ट रविश कुमार, आई सपोर्ट ट्रुथ' नाम के फेसबुक पेज पर अक्टूबर 13 को शेयर किया | गौर से देखने पर साफ़ पता चलता है की तस्वीर के साथ कुछ छेड़-छाड़ की गयी है | तस्वीर में एक मंदिर के प्रवेश द्वार पर खड़े कुछ व्यक्ति द्वार पर लगे एक पोस्टर की ओर इशारा कर रहे हैं जहा पर लिखा हुआ है: "यह तीर्थ हिन्दुओं का पवित्र स्थल है शूद्र मुसलमान का प्रवेश वर्जित है" | आदेश: महंत यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती जी | इस पोस्ट को फिलहाल कुल 484 बार शेयर किया जा चूका है | वायरल की जा रही मॉर्फ्ड तस्वीर देखने के लिए
यहां क्लिक करें | आपको यह भी बताते चले की जिस शख्स - महंत यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती - का फ़ोटो इस पोस्टर में दिखाया गया है, वो ग़ाज़ियाबाद देहात में स्थित डासना देवी मंदिर के महंत हैं | ज्ञात रहे की इनका नाम मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध दिए गए कई विवादस्पद बयानों से जुड़ा है |
मॉर्फ़ करके जोड़ा गया शूद्र शब्द अगर हम फैक्ट चेकिंग का एक मामूली तरीका - रिवर्स इमेज सर्च - अपनाते हैं तो आसानी से पता चल जाता है की तस्वीर के साथ क्या छेड़-छाड़ हुई है | तकनीक का उपयोग करके हमने इसी तस्वीर को एक दूसरे फेसबुक पेज 'कट्टर हिन्दू' पर भी पाया | हालाँकि तस्वीर में दिखाए पोस्टर पर लिखा संदेश यहाँ भी उतना ही साम्प्रदायिक है परन्तु इस तस्वीर में शूद्र शब्द का कोई ज़िक्र नहीं है | पोस्टर पर लिखा संदेश ये कहता है: "यह तीर्थ हिन्दुओं का पवित्र स्थल है इसमें मुसलमान का प्रवेश वर्जित है" | आदेश: महंत यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती जी |
Full View तस्वीर से गड़बड़ी करने वाले ने बहुत ही आसानी से असल फोटो में लिखे 'इसमें' शब्द की जगह 'शूद्र' शब्द मॉर्फ़ कर दिया है | हालांकि दोनों ही तस्वीरों में दिखाए संदेश काफी विवादास्पद हैं, दूसरी तस्वीर में शूद्र जोड़ कर एक विशेष समुदाय को भड़काने की साफ़ कोशिश की गयी है |