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फैक्ट चेक

नहीं, यह तस्वीर पाकिस्तान में मारे गए हिंदू परिवार की नहीं बल्कि राजस्थान की है

बूम ने घटना स्थल पर मौजूद फ़ोरेंसिक डॉक्टर से सम्पर्क कर पता लगाया की परिवार ने ग़रीबी के कारण आत्महत्या की थी।

By - Swasti Chatterjee | 28 May 2020 2:26 PM GMT

2017 में राजस्थान के जोधपुर में एक परिवार के आत्महत्या की परेशान कर देने वाली तस्वीर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल हो रही है । इस तस्वीर को पाकिस्तान से बताते हुए साम्प्रदायिक कोण दिया जा रहा है । दावा है कि मारे गए लोग एक हिंदू परिवार के हैं जिनकी हत्या एक मुस्लिम ने की है ।

बूम ने जाँच में पाया की 2017 में यह तस्वीर क्राइम सीन पर एक फ़ोरेंसिक एक्स्पर्ट ने ली थी जहाँ ग़रीबी की चरम सीमा पर पहुँचने पर एक परिवार ने आत्महत्या कर ली थी। यह तस्वीर राजस्थान की है ।

तस्वीर में यह चार लोगों का परिवार, जिसमें 35 वर्ष के आस पास के उम्र के पति, पत्नी और उनके दो नाबालिग बच्चे अपने घर में एक लोहे की रॉड से लटके दिखायी देता ह । यह तस्वीर ऐसे कैप्शन के साथ वायरल है जो दावा करता है की यह घटना पाकिस्तान में हुई है और मृतक को एक मोची के परिवार जिसकी हत्या की गयी, ऐसी ग़लत पहचान दी जा रही है।

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बूम ने अपने आर्टिकल में इस तस्वीर को शामिल नहीं किया है क्यूँकि यह परेशान कर देने वाली है।

पोस्ट देखने के लिए यहाँ और आर्काइव के लिए यहाँ क्लिक करें। 

यह तस्वीर फ़ेसबुक पर हिंदी एवं इंग्लिश, दोनो कैप्शन के साथ वायरल है और दोनो में किए गए दावे एक ही है। इनमें से एक कैप्शन हिंदी में कुछ ऐसा है - "पाकिस्तान में शेष बचे हिन्दुओं के लिए भी कोई मानवाधिकार आयोग होना चाहिए।"


बंगाली कैप्शन के साथ इस घटना के एक फ़ेसबुक पोस्ट का कहना है की पाकिस्तान में एक हिंदू मोची की पानी के नल को छूने के लिए एक मुसलमान मौलवी ने हत्या कर दी। पोस्ट देखने के लिए यहाँ और आर्काइव के लिए यहाँ क्लिक करें।

फ़ैक्ट चेक

रिवर्स इमेज सर्च करने पर बूम को इन चार लोगों के आत्महत्या के फ़ोरेंसिक एनलिसिस की केस रिपोर्ट मिली। यह रिपोर्ट फ़ोरेंसिक विज्ञान के एक ऑनलाइन जर्नल ने अक्टूबर 2019 में प्रकाशित की थी। इस रेपोर्ट को ऑल इंडिया इन्स्टिटूट ओफ़ मेडिकल साइंसेज़ (ए आइ आइ एम एस) जोधपुर के फ़ोरेंसिक मेडिसिन के डाक्टर्ज़ ने लिखी थी जिसका टाइटल है - 'Quadruple hanging: a rare scenario in filicide-suicide'।

हमने इस केस रिपोर्ट के एक लेखक - नवनीत अटेरिया से संपर्क किया। अटेरिया ए.आइ.आइ.एम.एस गोरखपुर में फ़ोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकॉलॉजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं।

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उन्होंने इस बात की पुष्टि की, कि यह तस्वीर 2017 अगस्त में क्राइम सीन पर मौजूद डॉक्टरों की टीम ने खींची थी। अटेरिया के अनुसार यह घटना जोधपुर के एक गाँव में हुई जहाँ एक किसान ने ग़रीबी और उधारी के कारण आत्महत्या कर ली। यह परिवार जोधपुर के भाकरी गाँव में खेतों के पास एक छोटे से कमरे में रहता था।

इस जर्नल का एक अंश पुलिस पूछताछ की बारे में कहता है (हिंदी अनुवाद) " इस मामले में पुलिस पूछताछ में पता चला है कि किसान माता-पिता की कमाई उनके रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। उनके कर्ज चुकाने में असमर्थता और लंबित बकाए ने संभवतः उन्हें ऐसा अतिवादी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया । मौत के दृश्य की जाँच में बाहरी अपराधियों की भागीदारी होने का कोई सबूत नहीं मिला और ऑटाप्सी ने सिद्ध कर दिया की यह मामला फिलिसाइड-आत्महत्या का है और मौत का कारण फाँसी ही है।"

(Original text in English - "Police interrogation in the present case revealed that the earnings of the parents, who worked as farmers, were not sufficient to meet their daily expenses. Their inability to repay their debts and pending dues possibly prompted them to take such an extreme step. Death scene investigations did not find anything suggestive of the involvement of external perpetrators, and the autopsy observations confirmed the cause of death as hanging in this rare setting of filicide-suicide.")

केस रिपोर्ट में आगे यह भी लिखा था कि परिवार का सबसे बड़ा बेटा बिना किसी चोट के बच निकला और सुबह उठने पर उसने अपने परिवारजनों को लटकता पाया। उसने तुरंत ही पास के मंदिर के केअरटेकर को सूचित किया जिसने फिर पुलिस को बुला लिया। अटेरिया ने कहा की इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक कोण नहीं है।

आगे की जाँच में पुलिस को पता चला की परिवार के घर में खाने के लिए बहुत काम वस्तुएँ बची थी। इसकी रिपोर्टिंग 2017 सितंबर में हुई है।  

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