11 मार्च, 2020 को, ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो में, जिहाद के विभिन्न प्रकारों को समझाने के लिए "जिहाद चार्ट" दिखाया। यह चार्ट, फेसबुक पर इस्लामोफोबिक षड्यंत्र के सिद्धांतों से संबंधित एक पेज, "बॉयकॉट हलाल इन इंडिया" के एक असत्यापित पोस्ट से लिया गया था।
एपिसोड का शीर्षक "जम्मू में ज़मीन के 'इस्लामीकरण' का डीएनए टेस्ट" था, जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य भूमि (व्यवसायियों का स्वामित्व का मामला) अधिनियम, 2001 की जांच की गई थी, जिसे रौशनी एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही एपिसोड में पहले किए गए ग़लत उपयोग के बारे में भी चर्चा की गई जिस कारण राज्य में सार्वजनिक भूमि पर अवैध अतिक्रमण हुआ था।
रोशनी अधिनियम, 2001 से फ़ारूक़ अब्दुल्ला सरकार के तहत लागू किया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि सरकारी भूमि से कब्ज़े को कम किया जा सके। इसके लिए कब्जाधारकों को बाजार दर पर जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव था। इस धन ( अनुमानित 25,000 करोड़ रुपए ) को पनबिजली परियोजनाओं को चालू करने पर खर्च करने का उदेश्य था और इसलिए इसका नाम "रोशनी" रखा गया था। हालांकि, कुल एकत्र राजस्व महज 76 करोड़ रु था जो अपेक्षित राशि से बहुत कम था। इसके लिए कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को मूल कारण माना गया।
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अपने शो के दौरान, चौधरी ने दावा किया कि जम्मू के हिंदू बहुसंख्यक क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश में,अपनी मुस्लिम आबादी को बढ़ाकर, रोशनी अधिनियम का ग़लत तरीके से इस्तेमाल किया गया।
शो के दौरान हैशटैग #ZameenJihad चलता रहा।
37:51 मार्क पर , वह स्क्रीन पर एक फ्लो-चार्ट दिखाते हुए विभिन्न प्रकार के मौजूद जिहाद के बारे में बताते हैं। सवाल उठता है कि ज़ी न्यूज़ जिहाद के प्रकार पर इतने विस्तृत चार्ट के साथ कैसे आया?
सोशल मीडिया से साहित्यिक चोरी का सिद्धांत
न्यूज़लॉन्ड्री के लेख के अनुसार, चौधरी ने "बॉयकाट हलाल इन इंडिया" नामक एक फेसबुक पेज से चार्ट की साहित्यिक चोरी की है। यह जानने के लिए कि यह वास्तव में चौधरी के शो में दिखाए गए चार्ट और फेसबुक पेज का चार्ट एक ही है, बूम ने उस तस्वीर को देखा और पाया कि वह तस्वीर समान है, केवल "बॉयकाट हलाल इन इंडिया" पेज पर मौजूद चार्ट अंग्रेजी में है।
इस लेख के लिखे जाने तक फेसबुक पेज "बॉयकाट हलाल इन इंडिया" को लगभग 2400 लाइक्स मिले हैं और करीब 2500 फॉलोअर्स हैं। पेज की जानकारी बताती है कि इसे 01 जनवरी 2000 को बनाया गया था यानी फेसबुक के आधिकारिक रूप से लॉन्च होने से 4 साल पहले।
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हालांकि, फेसबुक की 'पेज ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट' का इस्तेमाल करते हुए, हमें पता चला कि पेज वास्तव में 1 मई, 2012 को "भारत में हलाल बहिष्कार" नाम के साथ बनाया गया था।
पेज की अधिकांश पोस्टों में मुस्लिम प्रथाओं को लक्षित करने वाले ज़ेनोफोबिक षड्यंत्र सिद्धांतों के लिए असत्यापित और बिना स्रोत के दावे हैं।
इस मामले में कमेंट के लिए बूम ने सुधीर चौधरी से संपर्क किया। अगर हमें प्रतिक्रिया मिलती है तो हम लेख अपडेट करेंगे।