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फ़ेसबुक ने व्हाट्सएप्प, मैसेंजर, इंस्टाडायरेक्ट में बैकडोर एंट्री से किया इंकार

फ़ेसबुक ने कहा कि वे अधिकारियों के लिए बैकडोर पहुंच का रास्ता नहीं बनाएंगे, क्योंकि इससे उसके ऐप ख़तरे में पड़ जाएंगे।

By - Archis Chowdhury | 12 Dec 2019 3:24 PM IST

फ़ेसबुक ने हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी जनरल और ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में उनके समकक्षों को लिखे पत्र में सन्देश सेवाओं पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को समाप्त करने के अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया है। यह अनुरोध अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के सरकारी प्रतिनिधियों द्वारा किया गया था।

सोशल मीडिया का जवाब दुनिया भर के देशों के सरकारी प्रतिनिधियों द्वारा अक्टूबर में लिखे एक खुले पत्र के जवाब में दिया गया था जिसमें फ़ेसबुक से अनुरोध किया गया था कि वे उनके संबंधित प्रशासन को लोगों की चैट तक पहुंच प्रदान करें।

प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया था कि फ़ेसबुक विशेष रूप से उनके देशों में कानून प्रवर्तन के लिए एक विशेष बैकडोर चैनल प्रदान करे, ताकि बाल यौन उत्पीड़न, शोषण और गुमनामी वाले बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित जानकारी शेयर करने वाले सुरक्षित मैसेजिंग एप्लिकेशन के उपयोग का मुकाबला करने में उनकी मदद हो सके।

फ़ेसबुक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस तरह के बैकडोर चैनल ऐप को संवेदनशील बनाएंगे और निजी डेटा चुराने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।

इस बातचीत पर बारीकी से नज़र रखने वाले, बज़फ़ीड न्यूज़ के अनुसार, व्हाट्सएप्प के प्रमुख विल कैथकार्ट और मैसेंजर के प्रमुख स्टेन चुडनोव्स्की ने अक्टूबर के खुले पत्र का जवाब देते हुए कहा, "एक उद्देश्य के लिए इस तरह का एक बैकडोर बनाना असंभव है और दूसरों से यह उम्मीद करना कि वह इसे खोलने का प्रयास ना करें। लोगों के निजी संदेश कम सुरक्षित रहेंगे और कमजोर सुरक्षा का लाभ उठाने वाले असली विजेता होंगे। इसके लिए हम तैयार नहीं हैं। "

यह ऐसे समय में आया है जब फ़ेसबुक ने सार्वजनिक रूप से इंस्टाग्राम डायरेक्ट और मैसेंजर पर भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को लागू करने के अपने इरादे के बारे में कहा था (जो अभी व्हाट्सएप्प पर मौजूद है )।


एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक डेटा एन्क्रिप्शन प्रक्रिया है जो हस्तांतरित सामग्री को पढ़ने या संशोधित करने की अनुमति डेटा भेजने वाले और डेटा प्राप्त करने वाले के अलावा किसी और को नहीं देता है। ऐसी एन्क्रिप्शन पद्धति पर चल रही बहस को आमतौर पर दो प्रमुख तर्कों में विभाजित किया गया है - एक जो व्यक्तियों की गोपनीयता (प्रो-एनक्रिप्शन) का पक्षधर है, और एक जो सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा (प्रो-डे-एनक्रिप्शन) का पक्षधर है।

जबकि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन आमतौर पर व्यक्तियों के निजी डेटा की सुरक्षा के लिए एक अच्छा तरीका माना जाता है, अतीत में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां इस तरह के एन्क्रिप्शन को उन्नत मैलवेयरों की मदद से बाईपास किया गया है। विश्व प्रसिद्ध उदाहरण अक्टूबर 2019 के महीने का था, जब इजरायल द्वारा निर्मित पेगासस नामक सॉफ्टवेयर का उपयोग भारत सहित दुनिया भर के पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और वकीलों के व्हाट्सएप्प संदेशों की ताक-झांक के लिए किया गया था।

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