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क्या दूषित नोट से फैल सकता है कोरोनावायरस? बातें जो आपको जानना जरूरी

ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे पता चल सके की नोट या नकद से वायरस फैलता है।

By - Mohammed Kudrati | 21 March 2020 10:27 AM GMT

हाल ही में अखिल भारतीय व्यापारियों के संघ द्वारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मुद्रा नोटों के माध्यम से कोरोनावायरस के संभावित प्रसार के बारे में लिखे गए एक पत्र ने महामारी के दौरान नकदी से निपटने के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है।

वित्त मंत्री को पत्र लिखने के अलावा ( यहां पढ़ें ) 5 करोड़ छोटे व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था, सीएआईटी ने 11 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है और उनसे पॉलीमर मुद्रा अपनाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन सामने नहीं आया है जिससे पता चले की दूषित नोटों से कोरोनोवायरस फैलता है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोटों के इस्तेमाल के बाद उचित स्वच्छता को बनाए रखने के लिए उपाय अपनाने की सलाह दी है।

यहां तक ​​कि भारत के केंद्रीय बैंक, रिर्सर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी कागजी मुद्रा के उपयोग से बचने के लिए कोई भी बयान जारी नहीं किया है।

प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में सीएआईटी ने कहा, "... एक के बाद एक, कई लोगों के हाथों से गुज़रने के कारण विभिन्न वायरस और संक्रमणों के लिए कागजी मुद्रा का उपयोग सबसे खतरनाक वाहक है और इस तरह से यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाता है।" संस्था ने पॉलीमर मुद्रा की सुरक्षा का हवाला दिया, जिसमें 13 देशों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने इन नोटों को पूरी तरह से अपनाया है और 15 अन्य देश भी इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं। यहां और पढ़ें

29 अगस्त, 2019 को इसके द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के डेटा से पता चलता है कि 31 मार्च, 2019 तक प्रचलन में 10,875 करोड़ बैंक नोट हैं। इसके अलावा, डेटा से पता चलता है कि 12,000 करोड़ सिक्के प्रचलन में हैं।

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इसी मुद्दे को 17 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक के शोध डेस्क ने अपने प्रकाशन 'इकोरैप'' में भी बताया था। उन्होंने सीएआईटी के पत्र, पॉलिमर यानी बहुलक आधारित मुद्रा को अपनाने का हवाला दिया और भारत में किए गए विभिन्न अध्ययनों का भी हवाला दिया| पिछले उदाहरणों में भारतीय बैंकनोटों को रोगजनकों से युक्त होने के उदाहरण दिए गए थे।

  • लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, द्वारा किए गए 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंकनोट और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था।
  • तमिलनाडु में 2016 में किए गए एक अध्ययन में डॉक्टरों, बैंकों, बाजारों, कसाई, छात्रों और गृहिणियों से एकत्र किए गए 120 बैंक नोटों में से 86.4% दूषित थे जो विभिन्न रोग के कारण हैं।
  • 2016 में कर्नाटक में किए गए एक और अध्ययन से पता चलता है कि 100, 50, 20 और 10 के 100 नोटों में से 58 दूषित थे।

'इकोरैप' के 17 मार्च के संस्करण को यहां पढ़ा जा सकता है।

वैश्विक चिंताएं

दूषित मुद्राओं के बारे में इन चिंताओं को अन्य देशों में भी पाया गया है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने पराबैंगनी किरण, उच्च तापमान के माध्यम से, 14 दिन क्वारंटीन करके और मौजूदा नकद का विनाश करके कीटाणुशोधन का काम किया है।

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संयुक्त राज्य में, कथित तौर पर, कुछ बैंकों ने फेडरल रिजर्व और ट्रेजरी को बैंक बिलों की सुरक्षा का प्रमाण देने के लिए कहा है।

कब तक कोरोनावायरस मुद्रा पर रहता है?

कोविड-19, कोरोनावायरस परिवार का नया प्रकार है, और डब्लूएचओ ने कहा है कि यह निश्चित नहीं है कि कोविड-19 सतहों पर कितने समय तक जीवित रहता है। हालांकि, यह कहता है, "अध्ययन बताता है कि कोरोनावायरस (कोविड-19 वायरस पर प्रारंभिक जानकारी सहित) कुछ घंटों या कई दिनों तक सतहों पर बनी रह सकती है। यह अलग-अलग परिस्थितियों (जैसे प्रकार की सतह) के तहत भिन्न हो सकती है। (तापमान या वातावरण की आर्द्रता)। " और यहां पढ़ें

'जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इन्फेक्शन' में दो जर्मन विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया एक और अध्ययन विभिन्न सतहों पर कोरोनावायरस परिवार (कोविड ​​-19 नहीं) से वायरस की दृढ़ता के लिए निम्नलिखित समय के फ्रेम बताता है। इसे यहां पढ़ा जा सकता है।


डिजिटल भुगतानों की ओर एक इशारा?

जबकि दुनिया भर के संस्थानों ने मुद्रा के परहेज की सिफारिश करने से रोक दिया है, उन्होंने सावधानी बरतने की सलाह दी है।

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डब्ल्यूएचओ ने 2 मार्च को टेलीग्राफ से बात करते हुए कहा, "हां यह संभव है और यह एक अच्छा सवाल है। हम जानते हैं कि पैसा बार-बार बदलता है और हर तरह के बैक्टीरिया और वायरस और इस तरह की चीजों को साथ रख सकता है। हम लोगों को नोट हैंडल करने के बाद, हाथ धोने और चेहरा छूने से बचने की सलाह देंगे। जब संभव हो कॉन्टैक्टलेस भुगतान का उपयोग करना अच्छा होगा।"

हालाँकि, फ़ैक्टचेक वेबसाइट स्नोप्स ने बताया कि डब्लूएचओ ने बाद में स्पष्ट किया कि यह कॉन्टैक्टलेस भुगतान को कोविड-19 के प्रसारण को रोकने के तरीके के रूप में प्रचारित नहीं कर रहा था, और उन्होंने बैंक से संबंधित दिशानिर्देश जारी नहीं किए थे। बूम ने इस पर टिप्पणी के लिए डब्ल्यूएचओ से संपर्क किया है अगल हमें जवाब मिलता है तो लेख अपडेट करेंगे।

आरबीआई ने 16 मार्च को एक एडवाइज़री जारी की है, जिसमें नागरिकों को डिजिटल भुगतान के विभिन्न रूपों के बारे में बताया गया है और यह समझाया है कि वर्तमान परिदृश्य में कैसे महत्वपुर्ण है। नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर आरबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, " नोटों के माध्यम से वायरस के प्रसार अब तक साबित नहीं हुआ है। इसलिए, हम यह नहीं कह रहे हैं कि नकदी का उपयोग न करें, हम केवल विकल्पों को बता रहे हैं ताकि लोग भीड़ और सार्वजनिक स्थानों से बच सकें। "

एडवाइज़री में कहा गया है, "कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण पाने के प्रयासों के संदर्भ में, सामाजिक संपर्क से बचने और सार्वजनिक स्थानों पर न जाने के लिए, जनता अपने घरों से मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, कार्ड इत्यादि जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान के इन साधनों का उपयोग कर सकती है और नकदी का उपयोग करने से बच सकती है जिसके लिए पैसे भेजने या बिलों का भुगतान करने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने की आवश्यकता हो सकती है। " और यहां पढ़ें

कोविड-19 नई कोरोनावायरस बीमारी है जिसने वैश्विक स्तर पर 2,50,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है, और 10,000 से अधिक लोग इस कारण मारे गए हैं।

चूंकि बीमारी संपर्क से फैलती है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्वास्थ्य संगठनों ने घातक वायरस के प्रसार को रोकने में मदद करने के लिए सामाजिक तौर पर दूर रहने और सेल्फ क्वारंटीन सहित कई उपायों की सिफारिश की है।

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