सोशल मीडिया पर स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव का एक इंटरव्यू क्लिप काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें वो बता रहे हैं कि “उनका घरेलू नाम सलीम है और उसके घर परिवार के लोग इसी नाम से उन्हें बुलाते हैं”. इस इंटरव्यू क्लिप को सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि “योगेंद्र यादव का असली नाम सलीम खान है और वे धर्म से मुसलमान हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कुछ साल पहले ही अपना नाम और हुलिया बदला है”.
हालांकि, बूम ने पाया कि वायरल वीडियो क्लिप्ड है. वीडियो के लम्बे हिस्से में योगेंद्र यादव अपना घरेलू नाम 'सलीम' बताते हुए इस नाम को रखे जाने का कारण भी बताते हैं. इस दौरान वो कहीं भी नहीं कहते हैं कि वे मुस्लिम हैं.
वायरल वीडियो करीब 50 सेकेंड का है. वीडियो में योगेंद्र यादव एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म Jist को इंटरव्यू देते नज़र आ रहे हैं. इस दौरान इंटरव्यूअर जब उन्हें सलीम कहते हुए उनसे सवाल करता है कि आपको इस नाम से कोई परेशानी भी है तो योगेंद्र यादव कहते हैं कि “आमतौर पर मेरे बचपन और घर के लोग इस नाम से बुलाते हैं. अगर कोई मुझे सलीम बोलता है तो मुझे पता लग जाता है कि वह कोई मेरे बचपन का दोस्त है और अगर कोई योगेंद्र नाम से बुलाता है तो मुझे लगता है कि बाद की दुनिया के लोग हैं. इस दौरान वे ये भी कहते हैं कि लेकिन कुछ साल पहले इस नाम का तमाशा बना दिया गया है.
फ़ेसबुक पर इस वीडियो को लंबे कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा हुआ है “आगे आगे देखना कितनों की पोल खुलेगी, अब इसी योगेन्द्र यादव को देख लो, सालों से देख रहे हैं न पर इसका असली नाम सलीम खान है और यह मुसलमान है ये कुछ समय पहले ही अपना नाम पता सब कुछ होलिया बदल डाला”.
फ़ेसबुक पर वायरल वीडियो से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
यह वीडियो हमारे टिपलाइन नंबर 7700906588 पर भी प्राप्त हुई है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो की पड़ताल के दौरान सबसे पहले इस वीडियो का लंबा वर्जन खोजा तो हमें Jist के आधिकारिक फ़ेसबुक अकाउंट से 22 मई को अपलोड किया गया फ़ुल वीडियो मिला.
हमने पाया कि 2 मिनट 52 सेकंड के इस वीडियो में से पहले 50 सेकंड को ही काट कर शेयर किया गया है. आगे वीडियो में योगेन्द्र यादव ने बचपन में 'सलीम' नाम रखे जाने की पूरी कहानी और साथ ही इसको लेकर फ़ैले विवाद की पूरी जानकारी दी थी.
योगेंद्र यादव 'सलीम' नाम रखे जाने के पीछे की कहानी सुनाते हुए कहते हैं कि “ये कहानी मेरे पिताजी की है. मेरे दादा राम सिंह हिसार के एक स्कूल में टीचर और हॉस्टल के वार्डन थे. एक दिन मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ स्कूल पहुंची और उन्होंने मस्जिद में गड़बड़ी किए जाने का हवाला देते हुए कुछ बच्चों को उनके हवाले करने की मांग की. लेकिन उन्होंने मना कर दिया तो दंगाइयों ने गंडासे से उन्हें काट डाला. तब मेरे पिता जी 8 साल के थे और उन्होंने यह सब देखा.
आगे उन्होंने बताया कि “पिताजी के मन पर इस घटना का गहरा असर पड़ा. बजाय इसके कि वो आरएसएस के या कट्टर हो जाते, उन्होंने यह फ़ैसला किया कि वो अपने सब बच्चों को मुस्लिम नाम देंगे. वो गांधी का दौर था और वे उनसे काफ़ी प्रेरित थे. शायद इसके पीछे कारण रहा होगा कि वे ऐसा करके अपने मन के गुस्से को निकालना चाहते थे. जब मैं पैदा हुआ तो मेरा नाम सलीम रखा गया. इसी नाम को लेकर मैं स्कूल गया. स्कूल में सब मुझसे इस नाम को लेकर सवाल पूछते थे और तरह तरह की बात करते थे. इसलिए मैंने माता-पिता से कहा कि मेरा नाम बदल दीजिए, इसपर पिता जी ने मेरे सामने कुछ पर्चियां रखीं और उनमें से कोई एक पर्ची उठाने को कहा. मैंने पर्ची उठाई और "योगेंद्र" नाम निकल गया.
जांच में हमें कुछ पुरानी न्यूज़ रिपोर्ट्स भी मिली, जिसमें उन्होंने निजी जीवन से जुड़े सवालों के दौरान 'सलीम' नाम लिखे की कहानी बताई थी.
हमारी अभी तक की जांच में यह साफ़ हो गया कि वायरल वीडियो क्लिप्ड है. योगेंद्र यादव ने इंटरव्यू के दौरान अपने बचपन का नाम और इसके रखे जाने के पीछे की कहानी बताई थी. इस दौरान उन्होंने अपने बचपन का नाम 'सलीम' बताया था न कि 'सलीम खान'.
इसके हमने उनके मुस्लिम होने वाले दावे की भी पड़ताल की. हमें इस दौरान उनके कुछ इंटरव्यू मिले, जिसमे उन्होंने हिंदू परिवार में जन्म लिए जाने की बात स्वीकारी थी. इसके अलावा हमें उनके ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया एक ब्लॉग भी मिला, जिसमें उनके हवाले से सलीम नाम का सच बताया गया था.
दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार योगेंद्र यादव पर सीधे आरोप लगे थे कि वे चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम इलाकों में ख़ुद का नाम सलीम बताते हैं और हिंदू इलाके में ख़ुद को यदुवंशी बताते हैं. इसी को लेकर यह ब्लॉग लिखने वाले डॉ राकेश पारिख ने योगेंद्र यादव से सीधे सवाल पूछते हुए कहा था कि आप तो हिंदू हैं लेकिन आपके बचपन का नाम 'सलीम' कैसे संभव है? तो उन्होंने इसकी पूरी कहानी बताई थी. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहीं यह नहीं कहा कि मुस्लिम होने की वजह से उनका नाम सलीम रखा गया था. बल्कि उन्होंने बताया था कि “1936 में दंगाईयों के द्वारा उनके दादा राम सिंह जी की हत्या किए जाने के बाद पिता देवेंद्र सिंह ने नफ़रत का जवाब देने के लिए अपने बच्चों का मुस्लिम नाम रखना तय किया था”.
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