सोशल मीडिया पर एक दावा काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि पंजाब सरकार ने सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी करने के लिए कहा है. वायरल दावे को एक डॉक्यूमेंट के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें मुख्य सचिव के अवर सचिव के हस्ताक्षर हैं और साथ ही उसमें जारी करने की तारीख़ 17 फ़रवरी 2023 लिखी हुई है.
हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल हो रहा दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. वायरल दावे को जिस डॉक्यूमेंट के सहारे शेयर किया जा रहा है वह पंजाब सरकार नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर प्रशासन की एक मीटिंग का है.
वायरल दावे के साथ शेयर हो रहा डॉक्यूमेंट अंग्रेज़ी में है. डॉक्यूमेंट में सबसे ऊपर सोशल मीडिया लिखा हुआ है. उसके नीचे वाले पैरे में लिखा हुआ है, “ यह देखा गया कि कुछ सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार की नीतियों/उपलब्धियों आदि की खुले तौर पर आलोचना/प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे हैं”.
डॉक्यूमेंट में यह भी लिखा गया है कि “मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिवों को सोशल मीडिया नेटवर्क की नियमित रूप से निगरानी करने और सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों/उपलब्धियों आदि पर आलोचना/प्रतिकूल टिप्पणी करने वाले कर्मचारियों की पहचान करने के आदेश दिए हैं. साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग को सूचित करते हुए इन कर्मचारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं”.
कई वेरिफ़ाईड ट्विटर यूज़र्स ने वायरल दावे को अपने अकाउंट से शेयर किया है, जिसमें मेघ अपडेट्स, बीजेपी गुजरात के सोशल मीडिया प्रमुख जुबिन अशारा और भाजपा नेता अखिलेशकांत झा शामिल हैं.
इतना ही नहीं अंग्रेज़ी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़ 18 ने भी वायरल दावे से जुड़ी ख़बर प्रकाशित की है. इतना ही नहीं उन्होंने इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि पंजाब सरकार के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ ने सभी प्रशासनिक सचिवों को सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं.
वहीं समाचार एजेंसी आईएएनएस और दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑप इंडिया ने भी वायरल दावे से जुड़ी ख़बर प्रकाशित की है. इसके अलावा दैनिक भास्कर और न्यूज नेशन टीवी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस के हवाले से यह ख़बर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी समेत कई अन्य के सोशल मीडिया अकाउंट खंगाले तो हमें आम आदमी पार्टी की पंजाब ईकाई के ट्विटर अकाउंट से 21 फ़रवरी 2023 को शेयर किया गया एक ट्विटर थ्रेड मिला.
ट्विटर थ्रेड में आम आदमी पार्टी की पंजाब ईकाई ने वायरल डॉक्यूमेंट को फ़ेक बताते हुए कैप्शन में लिखा था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक अधिसूचना को पंजाब से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने थ्रेड में वायरल डॉक्यूमेंट का पूरा वर्जन शामिल किया था. इसमें दो जगहों पर JKSSRB/JKPSC लिखा हुआ था. बता दें कि JKPSC का मतलब जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग है.
इतना ही नहीं थ्रेड में 19 फ़रवरी 2023 को आउटलुक की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट भी मौजूद थी. रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव ए के मेहता ने शुक्रवार को जम्मू में एक मीटिंग में सभी प्रशासनिक सचिवों को सोशल मीडिया नेटवर्क की नियमित रूप से निगरानी करने और सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले कर्मचारियों को नोटिस ज़ारी करने के निर्देश दिए थे.
इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी लिखा गया था कि मुख्य सचिव के आदेश के बाद संबंधित जिला अधिकारियों ने अपने जिले के सभी अधिकारियों को सूचित किया था. हालांकि जब हमने यह रिपोर्ट आउटलुक की वेबसाइट पर खंगाली तो पाया कि यह रिपोर्ट समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से लिखी गई थी.
इसके बाद हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए जम्मू से संचालित होने द स्ट्रैट लाइन के संपादक सैयद जुनैद हाशमी से संपर्क किया तो उन्होंने हमें यह पूरा डॉक्यूमेंट उपलब्ध करवाया. डॉक्यूमेंट के सबसे अंतिम पेज पर सोशल मीडिया से जुड़ा वह आदेश मौजूद था, जो वायरल हो रहा है. डॉक्यूमेंट में मौजूद जानकारियों के आधार पर हमने यह पाया कि यह जम्मू स्थित सचिवालय में 17 फ़रवरी 2023 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक का है. इस मीटिंग में मुख्य सचिव ने सोशल मीडिया के अलावा कई अन्य आदेश भी दिए थे.
इस दौरान हमने यह भी पता लगाया कि डॉक्यूमेंट में मौजूद हस्ताक्षर जम्मू कश्मीर प्रशासन के अवर सचिव डॉ फारुख पॉल के हैं. आप नीचे मौजूद तस्वीर से इसे आसानी से समझ सकते हैं.
हमारी अभी तक की जांच में यह तो साफ़ हो गया था कि वायरल डॉक्यूमेंट पंजाब सरकार का नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक का है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं.
चूंकि कुछ न्यूज़ वेबसाइट ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ से जोड़कर यह ख़बर प्रकाशित की थी और यह दावा किया था कि उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी के आदेश दिए हैं. इसलिए हमने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव कार्यालय से भी संपर्क किया तो उन्होंने इससे साफ़ इनकार किया.
जांच में हमने यह पाया कि समाचार आउटलेट द ट्रिब्यून ने भी वायरल दावे से जुड़ी ख़बर 19 फ़रवरी को प्रकाशित की थी, लेकिन उन्होंने 22 फ़रवरी को छपे अंक में इसे भूल बताया था. साथ ही उन्होंने अपनी वेबसाइट से भी इस ख़बर को हटा लिया था.
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता व सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी वायरल दावा अपने ट्विटर अकाउंट से साझा किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे अपनी भूल बताते हुए माफ़ी मांगी.