सोशल मीडिया पर बुर्का पहने मुस्लिम महिलाओं की एक तस्वीर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल है, जिसमें वह कांवड़ उठाई हुई हैं. सोशल मीडिया यूजर इसे हाल-फिलहाल का बता कर शेयर कर रहे हैं.
बूम की जांच में सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल तस्वीर पुरानी पाई गई. वायरल तस्वीर साल 2015 की है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीर को पोस्ट करते हुए एक वेरिफाइड यूजर ने लिखा, 'फतवे देना शुरू करो. इतिहास में पहली बार कांवड़ लेकर निकलीं मुस्लिम महिलाएं, बाबा भोले का किया जलाभिषेक. साक्षात परमब्रह्म परमेश्वर हैं भगवान शिव. हर धर्म-मजहब-पंथ में इन्ही परमात्मा की इबादत होती है. मामला इंदौर का है.' (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी यह तस्वीर इसी दावे के साथ वायरल है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
फैक्ट चेक
बूम ने जब वायरल तस्वीर की जांच के लिए इसे गूगल रिवर्स इमेज के माध्यम से सर्च किया तो हमें न्यूज वेबसाइट बीबीसी हिंदी पर इससे जुड़ी एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर इंदौर की एक कांवड़ यात्रा की है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कांवड़ यात्रा का आयोजन 'साझा संस्कृति मंच' नाम की संस्था ने किया था. इस संस्था के संयोजक सेम पावरी ने उस वक्त बीबीसी हिंदी को बताया था कि 2015 और 2016 में 'सद्भाव कांवड़ यात्रा' का आयोजन किया गया था. साल 2015 में इस यात्रा में 1300 मुस्लिम महिलाओं ने भाग लिया था, जबकि 2016 में लगभग 4000 से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने इस यात्रा में भाग लिया था.
इसके अलावा इससे जुड़े कीवर्ड को गूगल पर सर्च करने पर हमें न्यूज वेबसाइट News18 की 24 अगस्त 2015 की रिपोर्ट मिली.
News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर की इस कांवड़ यात्रा में मुस्लिम समाज की महिलाओं के अलावा हिंदू, सिख, ईसाई और पारसी समाज की महिलाएं भी शामिल हुई थीं. यह यात्रा इंदौर के मधुमिलन चौराहे से शुरू होकर गीता भवन मंदिर पर संपन्न हुई थी. इस यात्रा में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए थे.