HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
बिहार चुनाव 2025No Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
वीडियोNo Image is Available
HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
बिहार चुनाव 2025No Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
वीडियोNo Image is Available
फैक्ट चेक

मुर्शिदाबाद: बीजेपी ने सांप्रदायिक दावे से शेयर की CAA प्रदर्शन की तस्वीरें

बूम ने अपनी जांच में पाया कि बीजेपी द्वारा शेयर की गई नौ में से आठ तस्वीरें 2019 के CAA विरोधी प्रदर्शन की हैं.

By -  Anmol Alphonso |

18 April 2025 11:00 AM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल इकाई के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक कोलाज पोस्ट किया गया जिसमें आठ पुरानी और असंबंधित तस्वीरें शेयर की गईं. इनका कथित उद्देश्य राज्य में हिंदू त्योहारों के मौके पर हुए सांप्रदायिक दंगों को दिखाना था.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. खबरों के अनुसार, पुलिस ने इस मामले में करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.

दूसरी तरफ बीजेपी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस हिंसा के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

बूम ने पाया कि पश्चिम बंगाल बीजेपी के आधिकारिक एक्स से एक सांप्रदायिक पोस्ट शेयर किया गया जिसका मकसद यह दिखाना था कि मुसलमानों ने हिंदू त्योहारों पर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया. नौ तस्वीरों के इस कोलाज में आगजनी, क्षतिग्रस्त वाहन, पथराव और हिंसा का मंजर दिखाया गया है.

बंगाल बीजेपी के एक्स हैंडल द्वारा सांप्रदायिक और संवेदनशील पोस्ट को कानूनी प्रस्ताव के जवाब में भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है.

इस हैंडल पर यह कोलाज 13 अप्रैल 2025 को बांग्ला और अंग्रेजी में कैप्शन के साथ पोस्ट किया गया था. इसके अंग्रेजी कैप्शन में लिखा गया, 'त्योहार कोई मायने नहीं रखता - उन्हें तो बस सब कुछ जलाने का बहाना चाहिए.' वहीं इसके बांग्ला कैप्शन में ममता बनर्जी पर निशाना साधा गया था.


पोस्ट का लिंक | पोस्ट का आर्काइव लिंक 

इसके बाद यह कोलाज फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी हिंदी कैप्शन के साथ इसी गलत दावे से शेयर किया गया.


फैक्ट चेक

बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि कोलाज में मौजूद नौ में से आठ तस्वीरें 2019 में देश भर में हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की हैं.

कोलाज की सिर्फ एक तस्वीर हिंदू त्योहार के दिन हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी है. हम कोलाज में रामनवमी पर हिंसा का दावा करती तस्वीर का मिलान उन न्यूज रिपोर्ट से करने में समर्थ रहे जिनमें मार्च 2023 में हावड़ा में त्योहार के दिन निकाले गए जुलूस के दौरान हुए तनाव और उपद्रव का जिक्र था.

बाकी आठ तस्वीरें किसी हिंदू त्योहार के दौरान हुई हिंसा से संबंधित नहीं हैं. ये तस्वीरें 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शन की हैं. इसके अलावा इन आठ में से महज तीन तस्वीरें ही पश्चिम बंगाल की हैं बाकी तस्वीरें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और असम में हुए एंटी सीएए प्रोटेस्ट की हैं. हमने एक-एक कर तस्वीरों की पड़ताल की.

1. गणेश चतुर्थी के दिन हुई हिंसा को दिखाने का दावा करती तस्वीर

दावा: इस फोटो में इस्लामी टोपी पहने एक व्यक्ति पुलिस बैरिकेड के जलते हुए ढेर के सामने हाथ उठाए खड़ा है. इसे गणेश उत्सव के दौरान हुए दंगे का बताया जा रहा है.

फैक्ट चेक: यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की ही है, लेकिन यह हावड़ा जिले के सतरागाछी इलाके में हुए हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शन को दिखाती है. बूम ने पाया कि यह तस्वीर 14 दिसंबर 2019 को कई मीडिया आउटलेट द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिनमें इसका क्रेडिट न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को दिया गया था.



2. तस्वीर में सरस्वती पूजा के दौरान हुई हिंसा का दावा  

दावा: इस तस्वीर में प्रदर्शनकारियों को पत्थरबाजी करते हुए दिखाया गया है. इसके अलावा इसमें जलते हुए क्षतिग्रस्त वाहन भी देखे जा सकते हैं. इसे पश्चिम बंगाल में व्यापक स्तर पर मनाए जाने वाले त्योहार सरस्वती पूजा पर हुए दंगों के रूप में वायरल किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: बूम ने पाया कि यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के लखनऊ की है. तब शहर के परिवर्तन चौक इलाके में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. 20 दिसंबर 2019 को यह तस्वीर कई मीडिया आउटलेट द्वारा पीटीआई को क्रेडिट देते हुए प्रकाशित की गई थी.



3. दशहरे के मौके हुई हिंसा का दावा करने वाली तस्वीर

दावा: इस फोटो में प्रदर्शनकारियों का एक समूह मुंह पर कपड़ा बांधे पत्थरबाजी करता नजर आ रहा है. उनके आस-पास कुछ जलती हुई गाड़ियां भी नजर आ रही हैं. इसे हिंदू त्योहार दशहरा के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के रूप में शेयर किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: बूम ने पाया कि यह तस्वीर भी उत्तर प्रदेश के लखनऊ की है. हम यह वेरीफाई करने में सक्षम थे कि कोलाज की यह तस्वीर और सरस्वती पूजा के दौरान हुई हिंसा का दावा करने के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर एक ही घटना की है. 

मूल तस्वीर वायर एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसे टाइम्स ऑफ इंडिया सहित कई मीडिया आउटलेट ने घटना से संबंधित अपनी रिपोर्ट में इस्तेमाल किया था.



4. होली पर हिंसा दिखाने का दावा करती तस्वीर

दावा: तस्वीर में एक सड़क पर आगजनी की वजह उठते धुंए का गुबार दिख रहा है. वहां प्रदर्शनकारी वाहनों में आग लगाते और पथराव करते भी नजर आ रहे हैं. इसे होली के दिन पश्चिम बंगाल में हुए सांप्रदायिक दंगे का बताकर शेयर किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: बूम ने पाया कि यह तस्वीर भी उत्तर प्रदेश के लखनऊ की ही है. इंडियन एक्सप्रेस ने इसे 27 दिसंबर 2019 को प्रकाशित किया था. इंडियन एक्सप्रेस ने इसका क्रेडिट हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे अपने फोटोग्राफर को दिया था.



5. दिवाली पर सांप्रदायिक दंगों को दिखाने का दावा करती तस्वीर

दावा: इस तस्वीर में हिंसा के वह दृश्य दिखाए गए हैं, जिसमें प्रदर्शनकारी एक घायल शख्स को उठाकर ले जा रहे हैं. इसे दिवाली के मौके पर पश्चिम बंगाल में हुए सांप्रदायिक हिंसा के दावे से वायरल किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: यह तस्वीर कर्नाटक के मंगलुरु की है. मूल तस्वीर 20 दिसंबर 2019 को द हिंदू द्वारा प्रकाशित की गई थी. इसमें प्रदर्शनकारियों को मंगलुरु के तत्कालीन मेयर के. अशरफ की मदद करते हुए दिखाया गया था, जो विरोध प्रदर्शन में घायल हो गए थे.



6. दुर्गा पूजा पर हिंसा दिखाने का दावा करने वाली तस्वीर

दावा: इस फोटो में लाठियों से लैस प्रदर्शनकारियों को पत्थरबाजी करते हुए दिखाया गया है. इसे पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों के रूप में वायरल किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की ही है, लेकिन इसमें दिख रहा मंजर सीएए विरोधी हिंसक प्रदर्शन का है. मूल तस्वीर 15 दिसंबर 2019 को द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित की गई थी. इसमें पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कोना एक्सप्रेसवे को ब्लॉक करने वाले प्रदर्शनकारियों को लेकर रिपोर्टिंग की गई थी.



7. हनुमान जयंती पर हिंसा दिखाने का दावा करती तस्वीर

दावा: कोलाज में मौजूद इस फोटो में प्रदर्शनकारी वाहनों में आग लगाते दिख रहे हैं. इसे पश्चिम बंगाल में हनुमान जयंती समारोह के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के रूप में शेयर किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: यह तस्वीर कर्नाटक के मंगलुरु की है. 19 दिसंबर 2019 को वायर एजेंसी रॉयटर्स ने दक्षिण भारतीय जिले में आयोजित सीएए विरोधी प्रदर्शन में हताहतों की संख्या पर की गई रिपोर्ट में यह तस्वीर प्रकाशित की थी.



8. मकर संक्रांति पर हुए दंगों को दिखाती तस्वीर

दावा: इस तस्वीर में प्रदर्शनकारियों को सड़क जाम कर वाहनों में आग लगाते हुए दिखाया गया है. इसे पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के मौके पर हुए सांप्रदायिक दंगों का दावा करते हुए वायरल किया जा रहा है.

फैक्ट चेक: यह तस्वीर असम के डिब्रूगढ़ की है. इंडिया टुडे ने 12 दिसंबर 2019 को CAA के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करते हुए इस तस्वीर को प्रकाशित किया था. तब प्रदर्शनकारियों ने एक बस टर्मिनल को आग के हवाले कर दिया था.



इसके अलावा पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट के जरिए वायरल कोलाज को फर्जी बताया है.


Tags:

Related Stories