सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति पोडियम पर खड़े होकर कुछ बोलते हुए एक पेपर को फाड़ता हुआ नज़र आ रहा है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के लिए 20 पेज का नोटिस दिया था. इजरायल के प्रतिनिधि ने नोटिस को लिया और वहीं पर फाड़ते हुए बोला कि - आतंकवादियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता है.
भारतीय सोशल मडिया यूज़र्स वीडियो को हाल का मानकर इजरायल का समर्थन करते हुए शेयर कर रहे हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो अक्टूबर 2021 का है. हाल में संयुक्त राष्ट्र में इजरायल क प्रतिनिधि द्वारा ऐसी किसी घटना को अंजाम नहीं दिया गया है.
गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में बड़ी संख्या में दोनों पक्षों की ओर से मानवाधिकारों के उल्लंघन करने की रिपोर्ट्स आयी हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी इजरायल और हमास द्वारा किये गए मानवाधिकार और युद्ध नियमों के उल्लंघन पर टिप्पणी की है और दोनों पक्षों से हिंसा ख़त्म करने का आग्रह किया है. इसी सन्दर्भ में वायरल वीडियो शेयर किया जा रहा है.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "इसे कहते हैं बत्ती बना कर जलाना..UN ने इजरायल को २० पन्नों का नोटिश थमाया कि उसने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है. इजरायल के प्रतिनिधि 2 मिनट के लिए स्टेज पर आये नोटिश को हाथ में लिया और ये कहकर फाड़कर फेंक दिया की आतंकवादियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता. पहले आतंकवदियों को बिरयानी तो भारत में खिलाई जाती थी."
फ़ेसबुक पर इसी दावे से यह वीडियो अनेक यूज़र्स ने शेयर की है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यूज़र्स ने इस वीडियो को हाल का मानते हुए शेयर किया है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वायरल वीडियो के साथ किया जा रहे दावे से सम्बंधित कीवर्ड्स से सर्च किया तो 30 अक्टूबर 2021 की टाइम्स ऑफ़ इजरायल की रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में इस्तेमाल की तस्वीर वायरल वीडियो में दिख रहे दृश्य के समान है. रिपोर्ट के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने मंच पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की वार्षिक रिपोर्ट को फाड़ते हुए इजराइल की बेमतलब निंदा करने के लिए फटकार लगाई.
एर्दान ने पोडियम छोड़ने से पहले रिपोर्ट को फाड़ते हुए कहा कि इसका एकमात्र स्थान "यहूदीवाद विरोधी (एंटी सेमिटिज्म के) कूड़ेदान में था."
31 अक्टूबर 2021 की जेरुसलम पोस्ट कि रिपोर्ट में भी इस मामले को कवर किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट को इजरायल के प्रति पूर्वाग्रह और असंगत बताते हुए फाड़ दिया. रिपोर्ट में वायरल वीडियो के समान दृश्य वाली कई तस्वीरें इस्तेमाल की गई हैं.
इसी सम्बन्ध में हमें 30 अक्टूबर 2021 का एम्बेस्डर गिलाद एर्दान का ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने वीडियो का लम्बा वर्जन पोस्ट किया है. ट्वीट में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की वार्षिक रिपोर्ट को निराधार, एकतरफा और सरासर झूठा बताया.
ट्वीट में सलंग्न वीडियो में वह कहते हैं कि "इसी मंच पर, इसी संस्था में, यहूदी लोगों के अपने राष्ट्र के अधिकार को ही नस्लवादी घोषित कर दिया गया था. इस निर्णय को बाद में उचित रूप से पलट दिया गया. उस निर्णय को तत्कालीन इज़रायल के राजदूत चैम हर्ज़ोग ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष फाड़ दिया था. इसी तरह 1975 के उस प्रस्ताव की तरह ही इस यहूदी विरोधी, विकृत, एकतरफा रिपोर्ट के साथ ठीक यही किया जाना चाहिए. ज़ायोनीवाद को नस्लवाद के साथ जोड़ना स्वयं यहूदी-विरोधी नस्लवाद का एक प्रत्यक्ष रूप है, जिसका इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था में कोई स्थान नहीं है. इसका एकमात्र स्थान यहूदीवाद विरोधी कूड़ेदान में है, और हम इसके साथ ठीक इसी तरह व्यवहार करेंगे."
आगे और पड़ताल करने पर 1 नवम्बर 2021 की आइएलटीवी इजरायल न्यूज़ की वीडियो रिपोर्ट मिली. 'इजरायली राजदूत ने यूएनएचआरसी (UNHRC) की वार्षिक रिपोर्ट को फाड़ दिया' शीर्षक से यूट्यूब पर मौजूद इस वीडियो में हम वायरल वीडियो का हिस्सा देख सकते हैं.
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