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फ़ैक्ट चेक

क्या 'हमज़ा बिनलाज' ने बैंक से पैसे चुराकर अफ़्रीका और फ़िलिस्तीन में बांट दिया?

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है. ये तस्वीरें दो अलग-अलग व्यक्तियों को दिखाती हैं जिन्हें असंबंधित आपराधिक गतिविधियों के लिए सज़ा दी गई थी.

By - Mohammad Salman | 3 Dec 2021 12:40 PM GMT

सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ वायरल है कि इन तस्वीरों में 'हमज़ा बिनलाज' (Hamza Bendelladj)  नाम का एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है, जिसने 217 बैंकों से 400 मिलियन डॉलर हैक कर उसे  अफ़्रीका (Africa) और फ़िलिस्तीन(Palestine) में भूखे लोगों के बीच बांट दिया.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है. ये तस्वीरें दो अलग-अलग व्यक्तियों को दिखाती हैं जिन्हें असंबंधित आपराधिक गतिविधियों के लिए सज़ा दी गई थी.

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फ़ेसबुक पर तस्वीर शेयर करते हुए एक यूज़र ने कैप्शन में लिखा कि 'दुनिया की तारीख़ में बहुत कम ही ऐसा हुआ है कि किसी के गले में फांसी की रस्सी आने के बाद भी चेहरे पर ऐसी मुस्कुराहट हो। ये "हमज़ा बिनलाज" हैं। इन्होंने 217 बैंकों से 400 मिलियन डॉलर हैक करके अफ़्रीका और फ़लस्तीन के भूके मर रहे लोगों में तक़सीम कर दिए, अदालत में इन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई। अदालत में इन्होंने अपने बयान में साफ-साफ कहा था- कोई गुनाह नहीं किया हूँ। समाज के गरीब लोगों का पैसा मार कर बड़े लोगों ने बैंक में रखा था हमने वही पैसा फिर से गरीबो में बांट दिया. क्या ये मेरा क़सूर है? हमज़ा को दिल से सलाम'.


पोस्ट यहां देखें 

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ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें 

फ़ेसबुक पर वायरल


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फ़ैक्ट चेक 

बूम ने तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च पर चलाया और पाया कि तस्वीरें दो अलग-अलग व्यक्तियों को दिखाती हैं जिन्हें आपराधिक गतिविधियों के लिए अलग-अलग मामलों में सज़ा दी गई थी.

पहली तस्वीर 

हमें जांच के दौरान यह तस्वीर फ़ोटो स्टॉक साईट गेटी इमेजेज़ वेबसाइट पर मिली. तस्वीर के लिए क्रेडिट Pornchai Kittiwongsakul नाम के एक AFP फ़ोटोग्राफर को दिया गया है.


तस्वीर के साथ कैप्शन में बताया गया है, "अल्जीरिया के हमज़ा बिनदलाज, जो दुनिया भर में 217 बैंकों और वित्तीय कंपनियों में कथित तौर पर निजी खातों को हैक करने के लिए यूएस फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की शीर्ष दस वांछित सूची में एक संदिग्ध है, को 7 जनवरी, 2013 को बैंकॉक में इमिग्रेशन पुलिस ब्यूरो में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान थाई पुलिस अधिकारियों द्वारा एस्कॉर्ट किया गया है."

पुलिस आयुक्त ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2008 में अल्जीरिया के एक कॉलेज से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक करने वाले बिनदलाज ने कथित तौर पर दुनिया भर के 217 बैंकों और वित्तीय कंपनियों के निजी खातों को हैक कर लिया, जिससे "बड़ी मात्रा में" अवैध कमाई हुई थी.

23 अप्रैल, 2016 को प्रकाशित अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, "अल्जीरियाई हैकर और SpyEye मैलवेयर के डेवलपर हमज़ा बेंडेलडज को एक अमेरिकी अदालत ने 15 साल की जेल और तीन साल की निगरानी में रिहाई की सज़ा सुनाई है."

अमेरिकी न्याय विभाग के एक बयान में कहा गया है कि "SpyEye को गोपनीय व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की चोरी को स्वचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जैसे कि ऑनलाइन बैंकिंग क्रेडेंशियल, क्रेडिट कार्ड की जानकारी, यूज़र नाम, पासवर्ड, पिन, और अन्य व्यक्तिगत रूप से पहचान करने वाली जानकारी."

हमज़ा बिनदलाज ने कथित तौर पर अमेरिकी बैंकों से पैसा चुराया और इसे फ़िलिस्तीनी चैरिटी को दे दिया.

उसके प्रत्यर्पण के बाद अफ़वाहें ऑनलाइन प्रसारित होने लगीं कि उसने अपने अपराधों के लिए मौत की सज़ा का सामना कर रहा था. हालांकि, 21 सितंबर, 2015 को प्रकाशित अल जज़ीरा रिपोर्ट के अनुसार, "अमेरिकी अधिकारियों ने व्यापक रूप से प्रचारित दावों का खंडन किया; यहां तक कि अल्जीरिया में अमेरिकी राजदूत, जोआन पोलाशिक ने भी फ्रेंच में ट्वीट किया कि "कंप्यूटर क्राइम के मामलों में मौत की सज़ा नहीं दी जाती है."

दूसरी तस्वीर 

बूम को यह तस्वीर पेवंद नाम की एक ईरानी वेबसाइट के एक आर्टिकल में मिला. इस आर्टिकल में तेहरान के मजिस्ट्रेट जज हसन मोक़द्दस की हत्या के दोषी माजिद कावूसिफर के रूप में उस व्यक्ति का उल्लेख किया गया था जिसके गले में फंदा था. इससे हिंट लेते हुए हमने खोज की और घटना के बारे में 2 अगस्त, 2007 को प्रकाशित रॉयटर्स का आर्टिकल पाया.


रिपोर्ट में कहा गया है, "माजिद कावूसिफ और उनके भतीजे हुसैन कावूसिफर को तेहरान के इरशाद न्यायपालिका परिसर के सामने फांसी दी गई थी, जहां उन्होंने 2005 में अपनी कार में जज हसन मोक़द्दस की गोली मारकर हत्या कर दी थी. दोनों राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं थे, लेकिन तेहरान के सरकारी वकील ने कहा था कि माजिद का मानना था कि जज भ्रष्ट थे. अभियोजक ने कहा कि हत्यारों को सशस्त्र डकैती और अन्य हत्याओं का भी दोषी ठहराया गया था."

हमारी दोनों तस्वीरों पर की गई जांच से स्पष्ट हो जाता है कि वायरल तस्वीरें एकदूसरे से संबंधित नहीं हैं, और दो अलग-अलग घटनाओं से हैं. इसके अलावा, हमज़ा से जोड़कर वायरल दावे में भी कोई सच्चाई नहीं है.

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