कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में आर्टिकल 370 और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का जिक्र किया है. इस दावे के साथ सोशल मीडिया पर कई पोस्ट वायरल हैं. बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल ग्राफिक साल 2019 का है. इस बार कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इन दोनों के ही बारे में कोई जिक्र नहीं किया है.
लोकसभा चुनाव के करीब आते ही सोशल मीडिया पर कई फेक और भ्रामक दावे शेयर किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर एक दावा सामने आया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट में टीवी न्यूज चैनल जी न्यूज के ब्रेकिंग न्यूज वाले कुछ ग्राफिक्स का एक कोलाज दिख रहा है. एक ग्राफिक में लिखा है- अनुच्छेद 370 खत्म नहीं किया जाएगा, दूसरे ग्राफिक में लिखा है- देशद्रोह की धारा 124ए खत्म की जाएगी, तीसरे ग्राफिक के अनुसार, कश्मीर में सेना- CRPF की संख्या कम कर दी जाएगी. चौथे में लिखा है-नागरिकता संशोधन विधेयक वापस किया जाएगा. पांचवे में लिखा है-AFSPA में बदलाव किया जाएगा.
फेसबुक पर एक यूजर ने यह कोलाज शेयर करते हुए लिखा, 'यह कांग्रेस का घोषणा पत्र है क्या कोई कांग्रेसी मित्र यह बता सकता है की इस तरह के वादे करने से देश कैसे तरक्की करेगा। एक देश एक संविधान की बात करने वाले लोग ऐसे घोषणा पत्र का विरोध कब करेंगे? गांधी परिवार कांग्रेस के माध्यम से भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का कोशिश कर रही है.'
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इसी तरह ट्विटर पर एक यूजर @rishigeorgian ने लिखा, 'कांग्रेस का घोषणा पत्र पहले देख लीजिए और फिर विचार कीजिए कि वोट देना है या नहीं.'
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फैक्ट चेक
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कांग्रेस के घोषणापत्र को पढ़ा. कांग्रेस ने 'न्याय पात्र' नाम से जारी अपने घोषणापत्र में 'संविधानिक न्याय' वाले भाग में दूरसंचार अधिनियम, 2023 की समीक्षा और निजता के अधिकार में हस्तक्षेप करने वाले कानूनों की समीक्षा का वादा किया है. हालांकि नागरिकता संशोधन कानून और आर्टिकल 370 पर कोई बात नहीं हुई है.
इसे लेकर केरल के सीएम और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) पिनराई विजयन ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा. विजयन ने कहा कि सीपीएम ने तो सीएए को निरस्त करने का वादा किया है, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.
इंग्लिश न्यूज वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के एक आर्टिकल के अनुसार, कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में सीएए, आर्टिकल 370 और ओल्ड पेंशन स्कीम को जगह नहीं दी है.
इससे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने इस बार सीएए और आर्टिकल 370 का कोई जिक्र नहीं किया है.
अब दोबारा वायरल हो रहे ग्राफिक पर आते हैं. इनमें से एक ग्राफिक में ब्रेकिंग न्यूज के नीचे वाले हिस्से में लिखा था- संघ दफ्तर की दोबारा सुरक्षा व्यवस्था की जाए: CM कमलनाथ. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने साल 2020 में ही पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे हमें इन ग्राफिक के पुराने होने का संदेह हुआ.
इसके बाद हमने कांग्रेस का 2019 लोकसभा चुनाव का घोषणापत्र खंगाला. कांग्रेस ने NYAY नाम से घोषणापत्र जारी किया था. इसके 37 नंबर सेक्शन में जम्मू कश्मीर को लेकर लिखा है कि 26 अक्टूबर 1947 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्ससेशन पर हस्ताक्षर के बाद से कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की घटनाक्रमों का गवाह रही है. कांग्रेस इस बात को दोहराती है कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हम राज्य के इतिहास और उन परिस्थितियों का भी सम्मान करते हैं जिनके तहत राज्य ने भारत में विलय को स्वीकार किया, जिसके चलते भारत के संविधान में आर्टिकल आर्टिकल 370 लाया गया. इस संवैधानिक स्थिति को बदलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
2019 के मेनिफेस्टो के सेक्शन 30 के तीसरे पॉइंट में लिखा है, भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह के अपराध को परिभाषित करने वाली) का दुरुपयोग हुआ, और बाद में नए कानून बन जाने से उसका महत्व खत्म हो गया, इसे निरस्त किया जाएगा.
मेनिफेस्टो के 38वें सेक्शन के तीसरे पॉइंट में कहा गया, 'पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के खिलाफ बीजेपी सरकार की ओर से पेश नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को हम तुरंत वापस लेंगे.'
मेनिफेस्टो के 37वें सेक्शन के तीसरे पॉइंट में लिखा है, कांग्रेस ने सशस्त्र बलों की तैनाती की समीक्षा करने घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर अधिक जवानों को तैनात करने, कश्मीर घाटी में सेना और सीएपीएफ की मौजूदगी को कम करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को और अधिक जिम्मेदारी सौंपने का वादा करती है.
घोषणापत्र के 30वें सेक्शन के छठे पॉइंट के अनुसार, सशस्त्र बल अधिनियम 1958 में से यौन हिंसा, गायब कर देना और यातना के मामलों में प्रतिरक्षा जैसे मुद्दों को हटाया जाएगा, ताकि नागरिकों और सुरक्षा बलों के बीच संतुलन बना रहे.
अधिक जानकारी के लिए बूम ने कांग्रेस के नैशनल मीडिया कॉर्डिनेटर अभय दुबे ने बात की. अभय दुबे ने आर्टिकल 370 और सीएए पर दावा खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है. यह सब बीजेपी आईटी सेल की तरफ से फैलाया जा रहा है."
हमने एक्स अडवांस सर्च की मदद से जी न्यूज एमपी/छत्तीसगढ़ में प्रसारित हुए वीडियो को ढूंढने की कोशिश की, जिसमें यह ग्राफिक्स इस्तेमाल हुए हों. हमें जी न्यूज एमपी/छत्तीसगढ़ के यूट्यूब चैनल पर 2 अप्रैल 2019 को पब्लिश हुए वीडियो का लिंक मिला. वीडियो में 6.22 मिनट पर कांग्रेस के मेनिफेस्टो में आर्टिकल 370 और देशद्रोह की धारा को लेकर क्या वादे किए गए थे, इसे सुना जा सकता है.
हालांकि कांग्रेस ने मेनिफेस्टो के 'राज्य न्याय' वाले सेक्शन के 'संघवाद और केंद्र-राज्य संबंध' वाले पैरा के नौवें पॉइंट में लिखा है कि वह जम्मू-कश्मीर को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेंगे.
इस बारे में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में लॉ डिपार्टमेंट के प्रफेसर शैलेंद्र गुप्ता ने बूम को बताया, "कांग्रेस के घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की गई है. पूर्ण राज्य के दर्जे का मतलब है जैसे यूपी-बिहार और बाकी राज्य. ऐसे राज्य जिनका अपना विधानमंडल होता है, वहां चुनाव होते हैं और मुख्यमंत्री नियुक्त होता है. अभी जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की श्रेणी में है."
शैलेंद्र गुप्ता ने आगे बताया, "कांग्रेस का कहना है कि अगर वह सरकार में आती है तो वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर विधानसभा को बहाल करेगी." इस मामले में दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने को कहा है.