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बिहार चुनाव: कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में नहीं किया गोमांस वैध करने का वादा

बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. बिहार चुनाव के संदर्भ में महागठबंधन द्वारा जारी घोषणापत्र में इस तरह का कोई वादा नहीं किया गया है.

By -  Jagriti Trisha |

4 Nov 2025 5:33 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन ने 28 अक्टूबर को 32 पन्नों का घोषणापत्र 'तेजस्वी प्रण' जारी किया. इसी बीच पहले चरण के मतदान से ठीक पहले सोशल मीडिया पर एक पुरानी पेपर क्लिपिंग को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए सत्ता में आने के बाद बिहार में गोमांस वैध करने का वादा किया है.

बूम ने महागठबंधन द्वारा जारी घोषणापत्र का विश्लेषण किया तो पाया कि वायरल दावा गलत है. घोषणापत्र में गोमांस को वैध करने से जुड़ा कोई वादा नहीं किया गया है.

असल में वायरल पेपर क्लिपिंग लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान की है. उस समय कांग्रेस के 48 पन्नों वाले घोषणापत्र ‘न्यायपत्र’ को लेकर भी इसी तरह के फर्जी दावे किए गए थे.

गौरतलब है कि बिहार में 6 और 11 नवंबर को मतदान होंगे और 14 नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे.

सोशल मीडिया पर क्या है वायरल?

एक्स और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर यह पेपर क्लिप खूब वायरल है, जिसमें दावा किया गया है कि कांग्रेस ने अपने 48 पन्नों के घोषणापत्र में ‘लव जिहाद’ का समर्थन किया है और सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों के लिए गोमांस को वैध करने की बात कही है. (आर्काइव लिंक)

इस पेपर कटिंग को बिहार चुनाव से जोड़कर शेयर करते हुए यूजर लिख रहे हैं कि 'यह है कांग्रेस का घोषणापत्र, बिहार में गोमांस को वैध कर देंगे. 18% वोट बैंक को खुश करने के लिए 82% की आस्था से खिलवाड़. यही तो कांग्रेस है.' (आर्काइव लिंक

पड़ताल में क्या मिला:

1. महागठबंधन ने घोषणापत्र में ऐसा कोई वादा नहीं किया 

कांग्रेस की आधिकारिक वेबसाइट पर बिहार चुनाव से जुड़ा यह घोषणापत्र उपलब्ध है. हमने पाया कि इस घोषणापत्र में कहीं भी गोमांस को वैध करने से संबंधित कोई जिक्र नहीं है. घोषणापत्र के 'सांप्रदायिक सौहार्द और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा' वाले हिस्से में वक्फ संशोधन विधेयक पर रोक लगाने के साथ-साथ रोजगार और शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने की बात कही गई है.



2. वायरल पेपर क्लिपिंग लोकसभा चुनाव 2024 के समय की है

वायरल पेपर क्लिप में स्पष्ट देखा जा सकता है कि इसके हेडिंग में कांग्रेस के घोषणापत्र पन्नों की संख्या 48 बताई गई है, जबकि बिहार में महागठबंधन द्वारा जारी घोषणापत्र कुल 32 पन्नों का है.

हमने पाया कि पेपर कटिंग में लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस द्वारा जारी घोषणापत्र की बात हो रही है. उस समय भी सोशल मीडिया पर इस पेपर क्लिपिंग के हवाले से इसी तरह के दावे किए गए थे. हमने 2024 में कांग्रेस द्वारा जारी मेनिफेस्टो 'न्यायपत्र' की भी जांच की तो पाया कि इसमें भी गोमांस वैध करने को लेकर इस तरह का कोई वादा नहीं किया गया था.

इसके अल्पसंख्यक वाले सेक्शन में कांग्रेस ने समान अधिकार, अवसर और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, शिक्षा और रोजगार में सहयोग बढ़ाने तथा उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने से संबंधित वादे किए थे.

बूम ने 2024 में भी कांग्रेस के मेनिफेस्टो में आर्टिकल 370 और CAA को लेकर किए गए इसी तरह के भ्रामक दावों का फैक्ट चेक किया था, जिन्हें वायरल पेपर क्लिप में भी दोहराया गया है. फैक्ट चेक रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

जांच के दौरान हमें वायरल पेपर क्लिप से संबंधित कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी, लेकिन यह स्पष्ट है कि इसमें कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर किए गए दावे भ्रामक हैं.



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