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फैक्ट चेक

कर्नाटक में भगवा रंग के चलते साइनबोर्ड हटाए जाने का दावा भ्रामक है

वायरल वीडियो को लेकर दावा है कि कर्नाटक की दुकानों में भगवा रंग का उपयोग नहीं कर सकते हैं. बूम की जांच में दावा भ्रामक पाया गया.

By - Shefali Srivastava | 14 March 2024 8:39 AM GMT

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें कुछ लोग दुकानों के साइन बोर्ड तोड़ते दिख रहे हैं. इस वीडियो को लेकर दावा है कि कर्नाटक में घर, दुकान और मंदिरों में भगवा रंग का उपयोग नहीं कर सकते हैं.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. वीडियो में दिख रहे लोग बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के कर्मचारी हैं, जो दुकानों के नाम कन्नड़ भाषा में न लिखे होने की वजह से साइनबोर्ड हटा रहे थे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ' अगर आप कांग्रेस को वोट करेंगे तो आप अपनी दुकान, घर, मोहल्ला मंदिर वगैरह पर भगवा रंग का उपयोग नहीं कर सकते- कर्नाटक'

आर्काइव लिंक देखें

फेसबुक पर भी कुछ यूजर ने इसी दावे के साथ वीडियो साझा किया है.


कुछ और यूजर्स ने भी यह पोस्ट शेयर की है जिसे आप यहां और यहां देख सकते हैं.

फैक्ट चेक

वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने इनविड टूल की मदद से कीफ्रेम लेकर गूगल लेंस पर चेक किया. यहां हमें एक इंस्टाग्राम पोस्ट का लिंक मिला, जहां यह वीडियो शेयर हुआ था.


bengalurublr नाम के अकाउंट ने 24 फरवरी को पोस्ट साझा कर कैप्शन में बताया, 'बीबीएमपी के कर्मचारियों को शहर में दुकानों के अंग्रेजी नाम वाले बोर्ड को तोड़ते देखा जा सकता है. बीबीएमपी ने इससे पहले बेंगलुरु के एमजी रोड और ब्रिगेड रोड पर ऐसी कई दुकानें बंद करवा दी हैं जहां कन्नड़ साइनबोर्ड नहीं लगे थे.' (अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित)

यहां से मदद लेते हुए हमने संबंधित कीवर्ड्स के साथ गूगल पर सर्च किया. यहां इंडिया टुडे के यूट्यूब चैनल पर 23 फरवरी को पोस्ट हुई एक वीडियो स्टोरी का लिंक मिला. वीडियो में बताया गया कि नगर निकाय बीबीएमपी के कर्मचारियों ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड हटाने शुरू कर दिए हैं जबकि डेडलाइन 28 फरवरी है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया कि कार्रवाई के दौरान बीबीएमपी स्टाफ दुकानदारों पर चिल्लाते नजर आए.

Full View

दरअसल, दिसंबर 2023 में बेंगलुरु नगर निकाय ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि शहर के व्यापारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी दुकानों के साइनबोर्ड में कम से कम 60 फीसदी कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल किया जाए. इसके लिए 28 फरवरी 2024 तक की समयसीमा दी गई थी.


इसमें यह भी कहा गया था कि जो भी प्रतिष्ठान आदेश का पालन करने में विफल रहते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसने कर्नाटक में भाषा विवाद को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया था. 

इस तरह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. भगवा रंग की वजह से दुकानों से साइनबोर्ड नहीं हटाए जा रहे थे.

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