बांग्लादेश के बाढ़ ग्रसित नोआखाली में राहत कार्य के दौरान एक बच्चे के गले से तावीज निकालने का वीडियो गलत सांप्रदायिक दावे से वायरल है. सोशल मीडिया यूजर दावा कर रहे हैं कि मौलवी ने मदद से पहले हिंदू बच्चे के गले से तुलसी की माला निकाल ली.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल दावा गलत है. वीडियो में दिख रहा बच्चा मुस्लिम समुदाय से है जिसके गले में पड़ी तावीज मौलवी दांत से काटकर निकालते हैं. बच्चा बांग्ला में कहता है कि पैरंट्स इस बारे में पूछेंगे, जिस पर मौलवी जवाब देते हैं कि तावीज पहनना इस्लाम के खिलाफ है.
गौरतलब है कि बांग्लादेश में बाढ़ के कारण अब तक 59 लोगों की मौत हो चुकी है. आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्रालय ने अपनी लेटेस्ट प्रेस रिलीज में बताया कि नौ जिलों में जारी बाढ़ के कारण छह महिलाओं और 12 बच्चों सहित कुल 59 लोगों की मौत हो गई.
दक्षिणपंथी एक्स यूजर और ऑप इंडिया वेबसाइट के पूर्व पत्रकार अजीत भारती ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'सड़ी हुई कौम जो सहायता दे कर गले की माला छीनती है.'
इसके अलावा एक और वेरिफाइड एक्स यूजर @jpsin1 ने लिखा, 'बांग्लादेश के नोआखाली में एक हिंदू बच्चा बाढ़ में फंसा है और कई दिनों से भूखा है. जमाते इस्लामी का एक मौलवी उस हिन्दू बच्चे को सहायता देने से पहले पहले उसके कान में कलमा पढ़ता है उसके बाद उसके गले में हिंदू पहचान यानी तुलसी की माला जबरजस्ती निकालता है.'
इसी तरह फेसबुक पर भी कई यूजर ने यह वीडियो शेयर करते हुए सांप्रदायिक दावा किया. (आर्काइव लिंक)
फैक्ट चेक: वायरल वीडियो में दिख रहा लड़का हिंदू नहीं है
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हिंदू बच्चे के गले से तुलसी माला तोड़ने का दावा किया जा रहा है. बूम ने पाया कि दावा गलत है. वीडियो में दिख रहे बच्चे का नाम सोहैल है.
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए बूम ने इनविड टूल से वीडियो के कीफ्रेम लेकर रिवर्स इमेज सर्च किया. इस दौरान बांग्लादेश के एक फेसबुक यूजर रसैल खान के अकाउंट पर 27 अगस्त 2024 को पोस्ट गया वही वीडियो मिला जो वायरल है.
वीडियो के कमेंट सेक्शन में रसैल खान ने बताया, 'तावीज तोड़ने वाले शख्स का नाम अब्दुल मालेक मियाजी है. जो जामिया दारुत तौहीद के सहायक प्रधानाचार्य हैं. तौहीद अकादमी ऐंड इस्लामिक सेंटर की पहल पर वह बाढ़ पीड़ितो को राहत सामग्री वितरित करने के लिए नोआखाली गए थे.' इसी के साथ उन्होंने बच्चे का नाम बताते हुए उसकी डिटेल भी दी.
कमेंट में आगे बताया गया, 'बच्चे का नाम- सोहैल/साहेल, बच्चे के पिता का नाम- अब्दुल हक, मां का नाम- रुजिना खातून, गांव- चार अलगी, उपजिला- कबीर हाट सेनबाग, जिला- नोआखाली, बच्चा एक स्थानीय मदरसे में कक्षा तीन में पढ़ता है.'
यहां से संकेत लेकर हम तौहीद अकादमी एंड इस्लामिक सेंटर के फेसबुक पेज पर गए. जहां हमें 2 सितंबर 2024 को पोस्ट किया गया एक वीडियो मिला जिसमें बच्चे के हिंदू होने दावे का खंडन किया गया. वीडियो में बांग्ला में लिखे टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है, 'जिस लड़के का वीडियो वायरल हुआ, वह हिंदू है या मुस्लिम, सुनिए. अफवाहों से बचिए.'
वीडियो में बच्चे ने अपना और माता-पिता के नाम के साथ अपना धर्म इस्लाम बताया. साथ ही कलमा भी पढ़कर सुनाया.
तौहीद अकादमी के प्रिंसिपल ने वायरल वीडियो का बताया सच
इसके बाद बूम बांग्लादेश की टीम ने तौहीद अकादमी के प्रिंसिपल से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि वे लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य सामग्री बांट रहे थे, साथ ही धार्मिक प्रतिबंधों के कारण इजाजत लेकर तावीज काट रहे थे. उन्होंने बूम बांग्लादेश को बताया कि इस दौरान हिंदू धर्म से जुड़े धागे को नहीं काटा गया.
वीडियो में बच्चे की तावीज काटने वाले अब्दुल मालेक मियाजी ने बूम बांग्लादेश से बातचीत में बताया कि बच्चा नोआखाली जिले के चार अलगी गांव का रहने वाला है. उन्होंने आगे बताया, "चूंकि इस्लाम में तावीज का इस्तेमाल निषेध है इसलिए हमने बाढ़ राहत वितरण अभियान के दौरान तावीज हटाने का अभियान भी चलाया."
बूम बांग्लादेश से तौसीफ अकबर से मिले इनपुट के साथ