केरला (Kerala) में पहली बार ज़ीका वायरस (Zika virus) का मामला सामने आया है. तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) ज़िले की एक 24-वर्षीय गर्भवती महिला के ब्लड सैंपल में वायरस पाया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला की हालत स्थिर है और उसने 7 जून को डिलीवरी की.
इसके अलावा, ज़िले में 13 लोगों के ब्लड सैंपल्स को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी, पुणे भेजा गया हैं और इनके संक्रमित होने की आशंका है.
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क्या है जीका वायरस?
ज़ीका वायरस से होनेवाली बीमारी (disease) एक वायरल बीमारी है जो संक्रमित एडीज़ प्रजाति के मच्छर (Aedes mosquito) के काटने से फैलती है. ये मच्छर दिन के समय में काटते हैं, और डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने के लिए भी ज़िम्मेदार हैं.
हालांकि इस वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण (symptoms) दिखाई नहीं देते हैं, कुछ हल्के लक्षण हैं - बुखार, दाने (rash), नेत्रश्लेष्मलाशोथ (conjunctivitis), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता या सिरदर्द. ये लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं..
अमेरिका के CDC के मुताबिक, ज़ीका वायरस से गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता और मृत्यु - असामान्य हैं.
कैसे फ़ैल सकता है वायरस? कितना ख़तरा है इससे?
ये वायरस गर्भावस्था के दौरान माँ से अजन्मे बच्चे में, यौन संपर्क (sex), रक्त आधान (blood transfusion) और अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) के माध्यम से फैलता है. गर्भावस्था के दौरान ये बीमारी होने से अजन्मे बच्चे में माइक्रोसेफ़ैली का ख़तरा होता है. माइक्रोसेफ़ैली एक जन्म दोष है जिसमें शिशुओं का दिमाग ठीक से विकसित न होने के कारण उनका सिर सामान्य बच्चों की तुलना में छोटा होता है. ज़ीका के कारण गर्भपात, मृत जन्म और अन्य प्रकार के जन्म दोष भी हो सकते हैं.
वयस्कों और बड़े बच्चों में इस बीमारी से तंत्रिका प्रणाली यानी नर्वस सिस्टम से जुड़े विकार हो सकते हैं.
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इलाज
ज़ीका वायरस बीमारी का कोई इलाज (treatment) या टीका (vaccine) उपलब्ध नहीं है. इसलिए इसे रोकने का सबसे आसान तरीका है मच्छर के काटने से बचना.
कुछ व्यक्तिगत सुरक्षा के उपाय अवशय हैं: ऐसे कपडे पहने जो शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को ढंके, खिड़की और दरवाज़े बंद रखें जिससे मच्छर घर में ना घुस पाए, त्वचा या कपड़ों पर कीट विकर्षक (mosquito repellent) लगाएँ. वायरस से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिन में या शाम को सोते समय मच्छरदानी के अंदर सोना चाहिए. इसके अलावा, अपने आसपास के क्षेत्रों को साफ़ रखना और मच्छर के प्रजनन स्थलों को मिटाना भी आवश्यक हैं.
ज़ीका वायरस से बीमार लोगों को भरपूर आराम करना चाहिए, पर्याप्त तरल पदार्थ पीना चाहिए और दर्द और बुखार के लिए पैरासिटामोल लेना चाहिए, ऐसा भारत के नेशनल सेण्टर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ने कहा है. यदि लक्षण बिगड़ते हैं तो उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
इतिहास
ज़ीका वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में हुई थी. ये वायरस अफ़्रीका के युगांडा के ज़ीका जंगल में, बंदरों में पाया गया था. इसे बाद में 1952 में युगांडा और तंज़ानिया में मनुष्यों में पहचाना गया था. 1960 से 1980 तक, अफ़्रीका और एशिया में मानव संक्रमण के दुर्लभ छिटपुट मामले पाए गए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अब तक कुल 86 देशों और क्षेत्रों में जीका संक्रमण के प्रमाण मिले हैं.