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आपको लैम्ब्डा वेरिएंट से जुड़ी इन महत्वपूर्ण बातों को ज़रूर जानना चाहिए

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई देशों में लैम्ब्डा वेरिएंट के प्रसार को लेकर चिंता जताई है. दक्षिण अमेरिकी देशों के बाद ब्रिटेन में इसके मामले सामने आये हैं. हालांकि, भारत में अब तक कोई मामला नहीं पाया गया.

By - Mohammad Salman | 7 July 2021 10:26 PM IST

दुनिया भर में कोविड-19 (Covid-19) के डेल्टा वेरिएंट (Delta variant) के कारण बढ़ते कोरोना मामलों के बीच एक अन्य वेरिएंट ने दस्तक दे दी है. कोरोना वायरस (Coronavirus) का C.37 स्ट्रेन, लैम्ब्डा वेरिएंट (Lambda Variant) दुनिया के कई देशों में तेज़ी से फैल रहा है. वैज्ञानिक और विशेषज्ञों द्वारा लैम्ब्डा वेरिएंट को एक नए उभरते हुए ख़तरे के रूप में देखा जा रहा है.

लैम्ब्डा वेरिएंट अब 25 से अधिक देशों में पाया गया है. इसे डेल्टा वेरिएंट की तरह ही मूल वायरस की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से फैलने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, इस पर पर्याप्त अध्ययन की कमी के कारण यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. लैम्ब्डा वेरिएंट पेरू और दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों में प्रमुख रूप से फैल रहा है. कोविड-19 का यह स्ट्रेन अभी तक भारत में नहीं पाया गया है, लेकिन हाल ही में यूके और अन्य यूरोपीय देशों में इसके मामले सामने आये हैं.

सबसे पहला किस देश में सामने आया?

लैम्ब्डा वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में पाया गया था. माना जाता है कि यहीं लैम्ब्डा वेरिएंट की उत्पत्ति हुई है और यह लगभग 80% संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है. यह दिसंबर 2020 की शुरुआत के मामलों में पाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लैम्ब्डा को 14 जून को " वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट" के रूप में नामित किया था.

पेरू के अलावा चिली में भी कई मामले सामने आए थे, लेकिन कुछ समय पहले तक यह इक्वाडोर और अर्जेंटीना सहित कुछ मुट्ठी भर दक्षिण अमेरिकी देशों में ही पाया जा रहा था. यूनाइटेड किंगडम में अब तक लैम्ब्डा के 6 मामलों की पहचान की गई है, और सभी को विदेश यात्रा से जोड़ा गया है. हाल ही में, यह ऑस्ट्रेलिया में भी पाया गया है. लैम्ब्डा वेरिएंट ब्रिटेन सहित अब तक 30 देशों में फैल चुका है.

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लैम्ब्डा वेरिएंट

लैम्ब्डा वेरिएंट आमतौर पर तेज़ी से फैलता है और एंटीबॉडी के प्रतिरोध से जुड़ा होता है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि इस तथ्य को मजबूती से स्थापित करने के लिए अधिक डेटा की ज़रूरत है. वैक्सीन के मामले में, पेरू में एक प्रारंभिक अध्ययन का दावा है कि लैम्ब्डा वेरिएंट चीन द्वारा विकसित कोरोनावैक वैक्सीन द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी से आसानी से बचने में सक्षम है. हालांकि, अध्ययन की अभी समीक्षा की जानी बाकी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, Sars-CoV-2 वायरस जो कोरोनावायरस का कारण बनता है, समय के साथ बदल गया है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इनमें से कुछ परिवर्तन वायरस के गुणों को प्रभावित करते हैं, जैसे कि यह कितनी आसानी से फैलता है, संबंधित रोग की गंभीरता, या वैक्सीन और दवाओं का इसपर कितना प्रभाव पड़ेगा. डब्ल्यूएचओ ने इसके विकास की निगरानी और आकलन करने के लिए दुनिया भर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक नेटवर्क बनाया है.

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